खूंखार अतीक से सबक लें अपराधी

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अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा
अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा

खूंखार अतीक अहमद की हत्या से अपराधी सबक लें। राजस्थान में अपराधी सुधर जाएं या फिर सरेंडर करें, नहीं तो वही हश्र होगा जो बाकी का हो रहा है-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

राजस्थान 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के खूंखार अपराधी अतीक अहमद और अपराध में उसका सहयोगी रहा सगा भाई अशरफ को तीन बदमाशों ने तब मौत के घाट उतार दिया, जब दोनों भाई पुलिस के पहरे में थे। बदमाश इतने दिलेर थे कि उन्हें न्यूज चैनलों के लाइव कैमरों का भी डर नहीं रहा। तीनों बदमाशों के नाम लवनेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य है। इन तीनों बदमाशों का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। पुलिस अब इन तीनों बदमाशों की आपराधिक पृष्ठ भूमि की जानकारी एकत्रित कर रही है। बदमाशों ने अतीक अहमद और उसके भाई को उसी प्रयागराज के पश्चिम क्षेत्र में मौत के घाट उतारा, जिसमें कभी अतीक अहमद का खौफ रहा। एक समय था जब प्रयागराज में अतीक और उसके परिवार की तूती बोलती थी।

अतीक जब सांसद बना तो उसके विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में अतीक के भाई अशरफ को समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन अशरफ बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजू पाल से हार गया। यह हार अतीक के परिवार को हजम नहीं हुई और थोड़े ही दिनों बाद विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई। राजू पाल की हत्या का चश्मदीद गवाह उमेश पाल था, जिसे भी पिछले दिनों अतीक अहमद के शूटरों और बेटे असद अहमद ने सरेआम गोलियों से भून दिया। इससे अतीक के आतंक का अंदाजा लगाया जा सकता है।

खूंखार अतीक से सबक लें अपराधी
खूंखार अतीक से सबक लें अपराधी

वही हश्र होगा:- 16 अप्रैल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस अकादमी में आयोजित परेड समारोह में कहा कि राजस्थान में अपराधियों के विरुद्ध लगातार कार्यवाही हो रही है। उन्होंने कहा कि या तो अपराधी सुधर जाए या फिर सरेंडर कर दे। नहीं तो वही हश्र होगा जो बाकी का हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही गहलोत ने कहा कि मैं लोकतंत्र में विश्वास करता हूं इसलिए कानून के अनुरूप अपराधियों को सजा दिलवाने का काम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह अपराधियों को सजा दी जा रही है वह तो आसान तरीका है।

जो लोग अपराध की दुनिया में सक्रिय हैं उन्हें अतीक अहमद और उसके परिवार के हश्र से सबक लेना चाहिए। जिस प्रकार अतीक के इशारे पर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया उसी प्रकार तीन बदमाशों ने अतीक और उसके भाई अशरफ के शरीर में 17 गोलियां दाग दी। यानी अपराध का अंत अपराध ही है। यदि अतीक अपराध की शुरुआत नहीं करता तो 15 अप्रैल को इस तरह उसकी मौत नहीं होती। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो अतीक और उसका भाई कड़े पुलिस सुरक्षा पहरे में थे, उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया गया। दोनों भाई अपना बचाव इसलिए भी नहीं कर सके कि दोनों के हाथ एक ही हथकड़ी में बंधे हुए थे।

हाथ एक हथकड़ी में बंधे होने के कारण ही बदमाशों को एक साथ मारने में आसानी हुई। यदि दोनों भाई अलग अलग होते तो एक भाई पर हमले के बाद दूसरा बच सकता था। लेकिन इसे बुरे कर्मों का नतीजा ही कहा जाएगा कि मौत के समय भी दोनों भाई एक साथ बंधे रहे। जो लोग अपराध की दुनिया से पैसा कमा कर शोहरत प्राप्त करते हैं उन्हें भी इस घटना से सबक लेना चाहिए। जो जैसा कर्म करता है उसे वैसे ही फल मिलता है। अतीक और उसके परिवार ने जो बोया उसे ही अब काटा जा रहा है। यूपी सरकार ने पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।

अपराधियों की हरकतों को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी है। पुलिस और सरकार अपना काम करती रहेगी, लेकिन अपराधियों को अब अपनी आदतों को बदल लेना चाहिए। अपराध के बजाए व्यक्ति को सरल स्वभाव का होना चाहिए ताकि ईश्वर ने मनुष्य की जो योनी कुछ समय के लिए दी है उसका सदुपयोग किया जा सके। देश दुनिया में ऐसे करोड़ों लोग हैं जो शांति से जीवन व्यतीत कर रहे हैं। खूंखार अतीक से सबक लें अपराधी