दिन हो या रात यूपी अखिलेश के साथ,पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर रचा इतिहास

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अखिलेश यादव की गाजीपुर से लखनऊ तक चौथे चरण की विजय रथ यात्रा में लाखों की तादात में जनता की उपस्थिति ने इतिहास रच दिया। इस विजय यात्रा ने 17 नवम्बर 2021 की तारीख को इतिहास का गौरव दिवस बना दिया है। गाजीपुर से लखनऊ की 350 किलोमीटर के हर छोर पर समाजवादी लहरें उठ रही थीं और एक्सप्रेस-वे समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में स्वतः बदल गया था। विद्वेष भावना से इतिहास के लेख बदलने का भाजपाई षड्यंत्र जनता के विजय नाद से फिर नेपथ्य में पीछे छूट रहा है।‘ग़ाज़ीपुर से लखनऊ तक उमड़ी जनता के जोश ने दिखा दिया है कि सपा एवं अन्य सहयोगियों की रैली में ‘आये हुए’ तथा भाजपा की ठंडी रैली में ‘लाए गये’ लोगों में क्या अंतर है। भाजपा की रैलियों में खाली सीटें बता रही हैं कि 2022 के चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की नयी विधानसभा में भी भाजपा की सीटें खाली रहेंगी।’ पार्टी के एक नेता ने बताया कि बुधवार को दोपहर करीब साढ़े बारह बजे गाजीपुर से से शुरू हुई यादव की रथ यात्रा लगभग 350 किलोमीटर की दूरी तय करके बृहस्पतिवार को सुबह करीब साढ़े चार बजे लखनऊ पहुंची तथा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर पार्टी समर्थकों की भारी भीड़ यात्रा के स्वागत के लिये रात भर खड़ी रही ।

2016 में समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के भूमिपूजन के शुभ अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।”जितनी रफ्तार बढ़ती है उतना विकास बढ़ता है”।”कहाँ जाता है कि अमेरिका ने सड़कें बनाई और सड़कों ने अमेरिका को बना दिया”।

 

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की शुरुआत

अखिलेश यादव की अगुवाई में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को मई 2015 में लखनऊ-आजमगढ़-बलिया एक्सप्रेसवे के रूप में घोषित किया गया था और अक्टूबर 2015 में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के रूप में लॉन्च किया गया था।अक्टूबर 2015 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सरकार ने लखनऊ-आजमगढ़-बलिया एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के रूप में फिर से लॉन्च किया। जुलाई 2018 में पीएम मोदी ने आजमगढ़ में एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी।उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा विकसित यह छह-लेन एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे पहले मार्च 2021 तक पूरा होने की उम्मीद थी। हालांकि, कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर, जिसने उत्तर प्रदेश को खंडित लॉकडाउन लागू करने के लिए मजबूर किया, की वजह से कार्यों में देरी हुई । पूर्वांचल एक्सप्रेसवे निर्माण लागत 22,496 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला पूर्वांचल एक्सप्रेसवे न केवल राज्य के कई केंद्रीय जिलों को पूर्वी से जोड़ता है, बल्कि इन जिलों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर जाने वाले सीधे सड़क संपर्क नेटवर्क में भी रखता है। सात पुलों और 22 फ्लाईओवरों के साथ एक्सप्रेसवे में एक हवाई पट्टी भी है जो उड़ानों की आपातकालीन लैंडिंग की अनुमति देगा।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि जनसमर्थन के ज्वार में विजय रथ के पहिए बिना रुके बुधवार दिनभर और रात भर चलते ही रहे। विशाल जनसमुदाय के उत्साह में यह यात्रा 4 घंटे में 60 किलोमीटर ही चल पाई। खुले आसमान के नीचे रात गहरा गई थी, ठंड ने अपने पंख फैला दिए थे तो भी लोगों का जोश और उत्साह बेकाबू था, घंटो-घंटों बेसब्री से इंतजार होता रहा। जनसमर्थन से अभिभूत अखिलेश यादव भी लोगों का अभिवादन करते रहे।


    350 किलोमीटर तक एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ घंटों इंतजार करते लाखों लोगों की संख्या इस बात का संकेत है कि 2022 के चुनाव में भाजपा सत्ता से कोसों दूर है। 17 नवम्बर 2021 को 12ः30 बजे गाजीपुर से शुरू समाजवादी विजय रथ यात्रा ने 16 घंटों में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर 350 किलोमीटर का सफर तय किया और 04ः30 बजे लखनऊ में चौथे चरण की यात्रा का समापन हुआ। लेकिन जैसा कि अखिलेश जी ने कहा है यह यात्रा अभी थमने वाली नहीं है, समाजवादी सरकार बनने तक जारी रहेगी।


विजय रथ यात्रा में जुटी भीड़ से गदगद अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखे वार किए। उन्‍होंने जगह-जगह रुककर जनता को सम्‍बोधित किया।अखिलेश ने प्रदेश सरकार पर पिछले साढ़े चार साल में कोई काम न करने का आरोप लगाया। गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विजय रथ यात्रा की शुरुआत करते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने आज एक भी काम नहीं किया। ये शिलान्यास का शिलान्यास कर रहे है। भाजपा सरकार ने जनता को धोखा दिया है। यह नाम बदलने वाली सरकार है। जनता अब इसे बदलने जा रही है। उन्होंने एक्सप्रेस वे के बिहार ले जाने। सस्ती बिजली और रोजगार देने का जनता से वादा किया। इस मौके पर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने ‘जबतक भाजपा की विदाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं ‘ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि जनता अब भाजपा सरकार से ऊब चुकी है। इस विधानसभा चुनाव में सभी वर्ग मिलकर भाजपा को सत्ता से उतार देंगे।भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी घटना पूर्व में न तो किसी ने देखी और न ही सुनी। विकास और जनता के हित में किये गये विकासकार्य को आधार बनाकर अखिलेश यादव द्वारा शुरू किये गये ईमानदार एवं जनपक्षधर राजनीति का व्यापक असर दिखाई दे रहा है। जनआकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में श्री अखिलेश यादव का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से प्रतिबद्ध है।

2016 में समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के भूमिपूजन के शुभ अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।”जितनी रफ्तार बढ़ती है उतना विकास बढ़ता है”।”कहाँ जाता है कि अमेरिका ने सड़कें बनाई और सड़कों ने अमेरिका को बना दिया”। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में एक 340.8 किमी लंबा 6-लेन का (प्रत्येक दिशा में 3-लेन ) एक्सप्रेस-वे है जिसे आठ लेन तक बढाये जा सकने लायक बनाया गया है। 2021 तक यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। एक्सप्रेसवे पूर्व में गाजीपुर शहर से राज्य की राजधानी लखनऊ के चांद सराय गाँव को (आजमगढ़ और अयोध्या के माध्यम) से जोड़ेता है। इसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा ₹22,494 करोड़ की लागत जिसमें भूमि अधिग्रहण का मूल्य भी शामिल है से विकसित किया गया है।सुल्तानपुर में कुरेभार नामक स्थान पर इस एक्सप्रेसवे पर 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी भी है जिसपर वायुसेना के लड़ाकू विमान और भारी कार्गो विमान जैसे हर्क्युलीज सी 24 भी उतर सकते हैं और आपातकाल में उड़ान भर सकते हैं। यह एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर के बीच 9 जिलों से होकर गुजरेगा जिनमें प्रमुख हैं- लखनऊ से शुरु होकर बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर में समाप्त हो जाएगा। एक्सप्रेसवे को वाराणसी -गोरखपुर राजमार्ग के साथ एक अलग लिंक सड़क के माध्यम से जोड़ा जाना है।

इसका निर्माण कार्य अक्टूबर 2018 में यूपीडा के द्वारा इसके भूमि अधिग्रहण के समाप्ति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास किये जाने के बाद शुरु हुआ और 16 नवंबर 2021 को नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन करने के बाद जनता को समर्पित हुआ। बाद में इस एक्सप्रेस वे को एक लिंकवे द्वारा आजमगढ़ में सलारपुर गांव के पास से गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे द्वारा गोरखपुर के जैतपुर गाँव से और आजमगढ़-वाराणसी राजमार्ग से भी जोड़ा जाना है।


    वीर भूमि गाजीपुर से शुरू हुयी विजय यात्रा मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी, अयोध्या, बाराबंकी होते हुए सुबह 04ः30 बजे लखनऊ पहुंची। दस जनपदों की अपनी इस यात्रा के दौरान अखिलेश जी ने किसानों, गरीबों, नौजवानों के दुःखदर्द से अपने को जोड़ते हुए भाजपा की किसान, नौजवान विरोधी नीतियों का फर्दाफाश किया। किसान बदहाल है तो नौजवान के आगे बेरोजगारी का संकट है। गरीब की कहीं सुनवाई नहीं। उन्होंने कानून व्यवस्था पर भाजपा के झूठ की पोल खोली और नौजवान पीढ़ी की उपेक्षा पर आक्रोश जताया।पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के विभिन्न स्थलों पर अन्नदाता का जो उत्साह दिख रहा था उससे यह स्थापित हो गया कि किसानों की आशाओं के केन्द्र में श्री अखिलेश यादव ही है। नौजवानों की आंखों में चमक यह साबित कर रही थी कि यूपी में बेरोजगारी की समस्या का अब स्थाई समाधान होगा। युवाओं को भरोसा है कि न केवल उनका रोजगार सुनिश्चित होगा बल्कि छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर स्वागत कर रही जनता का मानना था कि अब पलायन की अमानवीय त्रासदी से नहीं गुजरना पड़ेगा।

अखिलेश यादव का विजय रथ जिस तरह से एक्सप्रेस वे पर एक्सप्रेस की तरह दौड़ रहा है और प्रदेश की जनता उनके स्वागत एवं अभिनंदन को उमड़ रही है। इस नजारे को देखते हुए देखना है कि 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बांसुरी बजाएंगे या फिर अखिलेश यादव के विजय रथ को विधानसभा पहुंचने से रोकता है।अखिलेश यादव की भीड़ जिस तरह से उमड़ रही है अगर यह कहीं वोटों में तब्दील हो गया तो उन्हें विधानसभा पहुंचने में कोई दिक्कत नजर नहीं आ रही है।


  कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि यह अहंकार की हार है और किसानों की जीत है।लेकिन जनता भाजपा को माफ नहीं करेगी इन्हें साफ कर देगी। क्योंकि भाजपा को किसानों की नहीं वोटों की फिक्र है और यह निर्णय भी चुनाव के मद्देनजर लिया गया है।अखिलेश ने कहा कि जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को 2 मंडलों का प्रभारी बनाया गया है अभी और समय आएगा जब और बड़ों को और छोटा-छोटा प्रभारी बनाया जाएगा क्योंकि यह साफ नजर आ रहा है कि इस बार प्रदेश से भाजपा का सफाया हो रहा है।समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने खुला समर्थन अखिलेश यादव के नेतृत्व को दे दिया है जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हो सकेगी। सत्ता का अहंकार और झूठ-प्रपंच से भाजपा की विदाई करने का जनता ने मन बना लिया है। जननेता के स्वागत में उमड़ी जनता ने 2022 में अखिलेश यादव को यूपी की बागडोर देने का निश्चिय कर लिया है। प्रदेश भर में अखिलेश यादव के समर्थन में उमड़े जनसैलाब ने बाइस में बदलाव पर मुहर लगा दी है और जनता का पूरा समर्थन और भरोसा समाजवादी पार्टी के पक्ष में है।

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