खतरे में लोकतंत्र-अखिलेश यादव

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न कोई प्रजा है न कोई तंत्र है, यह आदमी के खिलाफ़  आदमी का खुला सा षड़यन्त्र है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की लोकतंत्र में जरा भी आस्था नहीं है। उसकी चाल है कि पूरा तंत्र ही लोक के हाथों से निकल जाए। उसकी मंशा है कि लोक पीछे रहे और तंत्र हावी रहे। लोकतंत्र खतरे में है। भाजपा के छल से लोकतंत्र को बचाने की दिशा में लोक की आवाज को कुचलने के प्रयासों पर प्रभावी रोक लगाने का काम समाजवादी पार्टी को करना है।

भाजपा अफवाहों के सहारे झूठ फैलाती है। भाजपा समाजवादी पार्टी को बदनाम करने की रणनीति बनाने में जुटी हुई है। सोशल मीडिया पर उसका कुप्रचार तंत्र चलता रहता है। सोशल मीडिया में कई भाजपाई छद्म नेता समाजवादी पार्टी के समर्थक बनकर समाजवादी पार्टी के विरुद्ध अभद्र टिप्पणियां करते है और बेबुनियाद कुप्रचार करने की साजिशों में लगे रहते हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भाजपा की इन गतिविधियों से सावधान रहना है।


अखिलेश यादव आज डाॅ0 राममनोहर लोहिया सभागार में बड़ी संख्या में एकत्र लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा प्रदेश के कार्यकर्ताओं का दायित्व इसलिए बड़ा है कि उत्तर प्रदेश ही देश की राजनीति की दिशा तय करता है। भाजपा के कारण संवैधानिक संस्थाओं को भी क्षति पहुंच रही है। उन्हें कमजोर किया जा रहा है। वह निर्वाचन की निष्पक्षता को भी प्रभावित करने की साजिश करती है।श्री यादव ने कहा है कि भाजपा का काम जनता को धोखा देना और धोखे में रखना है। साढ़े चार साल बीत गए और विधान सभा चुनावों में कुछ ही महीनें बचे हैं पर भाजपा कोई उपलब्धि नहीं बता सकती है। राज्य का विकास अवरूद्ध है।


मंहगाई, बेरोजगारी, नौजवानों की जिंदगी में अंधेरा और किसानों के ऊपर तीन काले कृषि कानूनो की मार भाजपाराज की देन है। किसानों को लागत का डेढ़ गुना तो मिला नहीं। एम.एस.पी. उसे मिलने वाली नहीं है, ऐसे में किसानों की आय 2022 तक दोगुना कैसे होगी? रसोई गैस के दाम एक हजार रुपए तक पहुंच गए हैं। समाजवादी सरकार में विकास सबके लिए था। समाजवादी पार्टी में सबका सम्मान है और सबके साथ न्याय होता है।अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में हो रही हत्याओं से उत्तर प्रदेश में भय व्याप्त हैं। जनता समाजवादी पार्टी की तरफ उम्मीद लगाए है। जनता ने भी तय कर रखा है कि वह 2022 में विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को 350 सीटों पर विजयी बनाएगी। जब भाजपा झूठ बोलकर 324 सीटें जीत सकती है तो उससे ज्यादा सीटें समाजवादी पार्टी अपनी सरकार में हुए विकास कार्यों के बल पर क्यों नहीं जीत सकती है?

2014 के पहले सब कुछ सही चल रहा था। देश में एकदम राम राज्य था सभी धर्म मिल जुलकर रहते थे ना कोई धर्म खतरे में था न देश का लोकतंत्र। इमरजेंसी तो ऐसे ही मजाक में लगा दी थी लेकिन इतनी छोटी सी बात पर थोड़ी लोकतंत्र को खतरा हो सकता है। खतरा तो तब होता है जब देश के गद्दारों को, आतंकियों को, घोटालेबाजों को सरकार जेल भेजने लगे और विकास पर ध्यान दे, जनता से विकास पर वोट मांगे, फैसलों पर न्याय करें, देश विरोधी ताकतों को कमजोर करें और राष्ट्रवाद मजबूत होने लगे, विश्व भर में देश की साख बढ़ने लगे तब असली मायनों में लोकतंत्र खतरे में आता है। मानो लोकतंत्र न हुआ 80 के दशक की फिल्म में हीरो की बहन की इज्जत हो गयी जो खतरे में है। अब जनता की जिम्मेदारी है की वे 2019 में लोकतंत्र को खतरे से बाहर निकाले और अगर फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बन गयी तो मतलब जनता भी मिली हुई है और लोकतंत्र फिर खतरे में ही रहेगा अगले 5 साल तक।

देश ने इमरजेंसी के वो “सुहाने” दिन भी देखे थे लेकिन तब लोकतंत्र सही था तब तो पता भी नही था किसी को की लोकतंत्र भी खतरे में आ सकता है। ये तो 2014 का साल ही ऐसा मनहूस था जब पूर्ण “लोकतान्त्रिक” तरीके से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की जनता ने पूर्ण बहुमत से नरेद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया जिसके बाद से लगातार आये दिन लोकतंत्र खतरे में आने लगा है। एक नेशनल हेराल्ड क्या हुआ लोकतंत्र खतरे में आ गया। याकूब को फांसी हुई, 2G घोटाला, चारा घोटाला, अन्य घोटालों में सजा मिलने की शुरुआत क्या हुई लोकतंत्र खतरे में आ गया।