हार से भी नही ली सीख….!

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विपक्ष ने पहले की कई हार से भी नही ली सीख!जिस तरह सरकार के इशारे पर 4 दिन से पर्चा खरीदने जमा करने को लेकर प्रशासन विपक्ष के लिए चूहे बिल्ली का खेल खेल रहा था अगर विपक्ष चाहता तो प्रशासन की नाक में दम कर सकता था पर न प्लान था न हिम्मत और एक बार फिर मुहक़ी खाकर गिर गए -कल के हुए गैर जिम्मेदाराना रैवये से ये संदेश पब्लिक में है कि इतना आज़ाद अगर विपक्ष 2022 के चुनाव में भी रहा तो एक बार फ़िर मुहक़ी खायेगा और फिर कभी खड़ा नही हो पायेगा।

जो विपक्षी बंगाल के चुनाव को यूपी से जोड़ कर देख रहे हैं उनको अपना चश्मा सही करवाना चाहिए बंगाल में ममता की सरकार पहले से थी व्यवस्था पर उनका अधिकार था इस लिए 100 % जिले के अधिकारियों का स्तेमाल केंद्र सरकार नही कर पाई -पर जहां भी गड़बड़ कर पाए वहां उन्होंने किया था ।

पंचायत चुनाव में ऐसी मान्यता रही है कि यह चुनाव सत्ता का होता है। परंतु इस प्रकार की हत्या सत्ता दल ने शायद ही कभी की रही होगी। लोकतंत्र लगातार अगर आशा भरी नजरों से यही देखता रहा तो उसके लिए आने वाले समय काफी कठिनाई भरे होंगे।पंचायत चुनाव में लगातार लोकतंत्र की हत्याएं होती रही है। जहां पर जिससे जिला पंचायत चुना जाता है उसके बारे में जगजाहिर है कि बिना धन के वह मत नहीं करता है, फिर ऐसे मतदान का क्या अवचित है। इस पर भी शासन-प्रशासन अर्थात चुनाव आयोग को इसपर विचार करना चाहिए।

यूपी में तो उनकी सरकार है हर जिले -शासन तक में बैठे लोग उनके हैं अगर विपक्ष दिमाग से नही चलेगा तो एक बार फिर ये सत्ता परिवर्तन होने का सपना इनका सपना बन कर ही रह जायेगा।आप समीक्षा करियेगा विपक्ष अपने गुस्से को जितना हारने के बाद निकालता है उतना प्रयास जीतने के लिए लगाता तो परिणाम क्या सार्थक नही होते -?

आने वाले परिणाम से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए जिलाध्यक्ष पर कार्यवाही करके विपक्ष ने कोई अच्छा संदेश नही दिया जिला अध्यक्षों की कोई गलती नजर नही आई-विपक्ष के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुखिया को उन नेताओं पर कार्यवाही करनी चाहिए थी जो कल मौके पर थे नही ! या जो बिक गए थे! जिन कार्यकर्ताओं ने मेहनत की जिनके संरक्षण में की उन्ही के संरक्षक पर कार्यवाही कर कल के संघर्ष में शामिल सभी का मनोबल तोड़ा है जिनमे से कुछ जिलाध्यक्ष काफी अच्छे थे ।