पाकिस्तान बाढ़ पीड़ितों को राहत देने में हिन्दुओं के साथ भेदभाव

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पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के मामले में भी हिन्दुओं के साथ भेदभाव। एनआरसी का विरोध करने वाले बताएं कि ऐसे हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने में क्या हर्ज है….?

एस0 पी0 मित्तल

पाकिस्तान में इन दिनों बाढ़ की वजह से हालात बेहद ही गंभीर है। सिंध प्रांत के हालात कुछ ज्यादा ही खराब हैं। ऐसे में सरकार और स्वयंसेवी संगठनों की ओर से बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। इसमें भोजन भी शामिल है। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि जो बाढ़ पीड़ित हिन्दू हैं उन्हें भोजन सामग्री नहीं दी जा रही है। जबकि मुस्लिम बाढ़ पीड़ितों को पर्याप्त मात्रा में सामग्री दी जा रही है। हिन्दुओं को राहत सामग्री नहीं देने के वीडियो न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित हो रहे हैं। यूं तो पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या बहुत कम है, लेकिन जो हिंदू रह रहे हैं उन को धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। इसका ताजा उदाहरण बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री देने में भेदभाव का है।

पाकिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने के लिए ही नागरिकता कानून में संशोधन किया गया, लेकिन भारत में कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य शाहीन बाग में दिए गया धरना, जबकि नए कानून (एनआरसी) इसमें भारत के किसी भी मुसलमान की नागरिकता को कोई खतरा नहीं था। जिन लोगों ने एनआरसी का विरोध किया वे अब बताए कि पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ित हिन्दुओं को राहत सामग्री क्यों नहीं दी जा रही है? क्या पाकिस्तान में जल्लाद किस्म के ऐसे लोग हैं जो हिन्दुओं को भूखा मारना चाहते हैं?

इसे भारत में दुर्भाग्य स्थित ही कहा जाएगा कि जिन लोगों ने एनआरसी का विरोध किया था, वे अब बताए कि पाकिस्तान में हो रहे भेदभाव पर चुप क्यों हैं? सवाल उठता है कि पाकिस्तान में धर्म के आधार पर हिन्दुओं को किस तरह प्रताड़ित किया जा रहा है उसमें पाकिस्तान के हिन्द कहां शरण लें। ऐसे पाकिस्तानी हिन्दुओं की नजर भारत पर ही रहती है। सब जानते हैं कि 1947 में धर्म के आधार पर ही पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया गया, जबकि भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा गया। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर हर धर्म का व्यक्ति भारत में अपने धर्म के अनुरूप रह रहा है, लेकिन जब पाकिस्तान के हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने की बात होती है तो धर्मनिरपेक्षता झंडाबरदार ही विरोध करते हैं।