विज्ञापनों में सब्ज बाग दिखा रही हैं शिक्षा की दुकानें

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परिषदीय विद्यालयों के शिक्षको का समय पर न पहुंचना बच्चों के शिक्षण कार्य में सबसे बड़ी बाधा।विज्ञापनों में सब्ज बाग दिखा रही हैं शिक्षा की दुकानें।

अब्दुल जब्बार एडवोकेट व मुदस्सिर हुसैन

भेलसर(अयोध्या)। नया सत्र शुरू होते ही छात्र अभिभावक विद्यालयों से रू ब रू हो गए इसके साथ ही नए सत्र की शुरुआत हो गई। अभिभावक अपने बच्चों को अगली क्लास में दाखिला कराने व बच्चो के बेहतर भविष्य का सपना सजोएं हैं तो सरकार सरकारी प्राथमिक विद्यालयो में छात्र/छात्राओ का शत प्रतिशत नामांकन कराकर सर्व शिक्षा अभियान को गति देने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना बना कर संकल्प व्यक्त कर रही है।दूसरी तरफ प्राइवेट शिक्षण संस्थाएं अभिभावकों को अपने बच्चो को उनके स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए विज्ञापनों व बड़े बड़े होल्डिंगो के माध्यम से सब्ज बाग दिखा रहे हैं।देखिए अब इस शैक्षिक प्रतियोगिता में कोन आगे जाएगा यह कह पाना अभी मुश्किल है। जहां प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधक शैक्षिक समर में पूरी तन्मयता से कूद पड़े हैं वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के जिम्मेदार कहे जाने वाले सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के फरमान को भी नजर अंदाज कर समय के पाबंद नही बन पा रहे उनके मातहत।


यह है ब्लॉक मवई अयोध्या का शैक्षणिक परिदृश्य।ऐसे हालात में अभिभावकों के गले यह बात नही उतर पा रही है कि कंप्यूटर व इंटर नेट जैसी आधुनिक हाई टेक प्रणाली के इस युग में केवल सरकारी स्कूलों में बट रहे मिड डे मील के भोजन के भरोसे क्या पढ़ रहे बच्चों के कामयाबी के दरवाजे खोलने में सफल होंगे।साथ ही सरकार के प्रयासों पर भी सवालिया निशान लग रहा है दूसरी ओर नजर डाले तो मवई शिक्षा क्षेत्र में करीब सेकडा भर सरकारी प्राथमिक शिक्षण संस्थाएं व लगभग दर्जन भर उच्य प्राथमिक स्तर की शिक्षण संस्थाएं संचालित है।इसके अतिरिक्त लगभग सभी प्राथमिक स्कूलों मे पूर्ति वश शिक्षा मित्र भी तैनात है।प्राइवेट शिक्षण संस्थाओ की प्रमाणित संख्या तो उपलब्ध नही है किंतु इस प्रकार के स्कूल लगभग प्रत्येक गांवो में प्रमुख चौराहों पर बेरोक टोक चल रहे हैं। जहां परिषदीय विद्यालय बच्चो को अपनी संस्थाओं में अधिक से अधिक नामांकन कराने के लिए मिड डे मील और बच्चो को ड्रेस व पुस्तके उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर रहे हैं ताकि प्राइवेट स्कूल की तरफ बच्चो का पलायन को रोका जाए वही प्राइवेट शिक्षण संस्थाएं चमक दमक दिखा कर अभिभावकों को अपनी ओर प्रेरित कर रहे हैं।आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक सोचने पर मजबूर हैं कि किस ओर उनके बच्चे का भविष्य अच्छा होगा। क्योकि एक ओर सरकारी स्कूलों की दयनीय दशा दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की चमक दमक,परंतु प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस व अन्य खर्चे की व्यवस्था का अभाव उनके मंसूबों पर पानी फेर रहा है। शिक्षा क्षेत्र मवई में परिषदीय विद्यालय के अधिकांश शिक्षक अपनी मन मर्जी से विद्यालयों में आना जाना उनका मिजाज बन गया है और जब से स्कूलों में मिड डे मील योजना लागू हो गई है यह योजना उनके लिए कामधेनु बन गई है। समय बिताने के लिए आवंछित रूप से वे इस कार्य में अपने को व्यस्त कर लेते है। ज्यादा तर सरकारी स्कूलों में शिक्षको का अपने समय पर न पहुंचना, बच्चों के शिक्षण बाधा पहुंचा रहा है।जब कि बच्चे समयानुसार विद्यालय पहुंच जाते है लगभग मवई ब्लॉक के दर्जन भर सरकारी स्कूलों में यही हाल है सरकारी स्कूलों के शिक्षको का आखिर कब आयेगी गाड़ी पटरी पर।क्या यूंही चलता रहेगा सरकारी स्कूलों के शिक्षको आना जाना….?