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आगरा विश्वविद्यालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा में एससी,ओबीसी का कटऑफ जनरल से अधिक पर बनाना न्यायोचित नहीं। एकलव्य शर्मिंदा है,द्रोणाचार्य अभी ज़िन्दा है।

लौटनराम निषाद

आरक्षण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका,जापान,जर्मनी,ब्रिटेन,कोरिया, इटली,मिश्र,रूस आदि विकसित देशों में भी है।सभी वर्गों,नश्लों के प्रतिनिधित्व सुनिश्चितिकरण व राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु डाइवर्सिटी रिज़र्वेशन है।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि यह कहना कि ओबीसी,एससी, एसटी आरक्षण के कारण सवर्णों की हकमारी हो रही है,आरक्षण से अयोग्य लोगों का चयन हो रहा है।जिस तरह अर्जुन को महानतम धनुर्धर बनाने के लिए द्रोणाचार्य ने निषाद पुत्र एकलव्य का छल-कपट से दाहिने हाथ का अँगूठा कटवा लिया।अगर एकलव्य का अँगूठा नहीं कटवाया गया होता तो उससे महान कोई धनुर्धर होता ही नहीं।लेकिन दुर्भाग्य है कि भारत सरकार कोचों को द्रोणाचार्य व खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार देकर एकलव्य का अपमान कर रही है।

यह वर्णव्यवस्था व तुच्छ जातिवाद का घृणित उदाहरण है।उन्होंने कहा कि आज भी विश्वविद्यालयों,आयोगों की भर्ती की साक्षात्कार टीम व चयन बोर्ड में तमाम द्रोणाचार्य हैं,जो गलत मेरिट व कटऑफ बनाकर ओबीसी,एससी, एसटी,माइनॉरिटी के एकलव्यों का अँगूठा काट रहे हैं।उन्होंने कहा कि वर्तमान की जातिवादी भेदभाव पर एकलव्य शर्मिंदा है,क्योंकि द्रोणाचार्य अभी भी जिंदा है।उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2021-22 में ओबीसी, एससी की कटऑफ अन रिज़र्व से अधिक बनाने को बिल्कुल गलत करार दिया है।कहा कि हरहाल में ओबीसी,एससी, एसटी की मेरिट सामान्य वर्ग से कुछ कम कटऑफ मार्क्स पर बनाई चाहिए,पर पीएचडी प्रवेश परीक्षा में तो ओबीसी,एससी से कम अंक पर सामान्य की मेरिट बनाई गई।उन्होंने कहा कि पिछड़ों,वंचितों को हर स्तर पर जातिवादी ताक़तों द्वारा रोकने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।


निषाद बताया कि आगरा विश्वविद्यालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा में कृषि रसायन व मृदा विज्ञान विषय में जनरल की कटऑफ 90 थी एवं ओबीसी की 100 व एससी/एसटी की 94,एग्रीकल्चर एग्रोनोमी में जनरल की कटऑफ 100 व ओबीसी की 102 थी।एग्रीकल्चर-एनिमल हसबेंडरी एंड डेयरिंग में सामान्य की कटऑफ 100 व ओबीसी की 104,वनस्पति विज्ञान में सामान्य की कटऑफ 102 व ओबीसी की 108,बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में सामान्य की कटऑफ 100 व ओबीसी की 102 रखी गयी।इसी तरह कम्प्यूटर साइंस में सामान्य की मेरिट 104 व ओबीसी की 106,जंतुविज्ञान में सामान्य की कटऑफ 92 व ओबीसी की 100,अंग्रेजी में सामान्य की कटऑफ 90 व एससी/एसटी की 94 थी।भूगोल विषय में सामान्य की 116 व ओबीसी की 122 कटऑफ मार्क्स पर मेरिट बनाई गई।हिंदी में सामान्य की कटऑफ 76,ओबीसी की 114 व एससी/एसटी की 90,संगीत में सामान्य की कटऑफ104,ओबीसी की 116 व एससी/एसटी की 128 थी।


निषाद ने आगे बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा पीएचडी प्रवेश परीक्षा में भौतिक शास्त्र में सामान्य वर्ग की कटऑफ 118 व ओबीसी की 144,फिजिकल साइंस में सामान्य की कटऑफ 110 व ओबीसी की कटऑफ 116 पर बनाई गई।इसी तरह मनोविज्ञान विषय मे सामान्य की मेरिट 100 पर तियर की गई तो ओबीसी की 102 अंक के कटऑफ पर।उन्होंने कहा कि क्या पिछड़ी, दलित वंचित जातियों में प्रतिभा की कमी है?क्या प्रतिभा सिर्फ सवर्ण जातियों में ही होती है?उन्होंने कहा कि हर स्तर पर तरह तरह के गलत तरीके ईज़ाद कर ओबीसी,एससी, एसटी, माइनॉरिटी की प्रतिभाओं को पीछे किया जा रहा है।

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