बेटियों का सशक्तिकरण आने वाली पीढियों को भी बनायेगा सशक्त

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विनोद यादव

रुरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो बेटियां भी घर में उजाला करती हैं। बेटियों का सशक्तिकरण आने वाली पीढियों को भी बनायेगा सशक्त। चाहे खेल कूद हो अथवा अंतरिक्ष विज्ञान, हमारे देश की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। वे आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं।नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। आइये हम लड़कियों के जन्म होने पर खुशियां मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर समान रूप से गर्व होना चाहिए। मानवता की प्रगति महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना अधूरी है।

अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस दुनिया भर में सितंबर माह के चौथे रविवार को और इस बार 25 सितंबर को विश्व बेटी दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि पिता का बेटी से माता का बेटे से विशेष प्यार होता है मुझे लगता है मां सब बच्चों को प्यार करती है बेटियों की शिक्षा पूरी होने के बाद विवाह की जिम्मेदारी भी माता पिता पर बढ़ जाती है तो विवाह के बाद तो उन्हें दूसरे घर जाना होता है वो उन्हें उसी रूप में तैयार करतीं हैं आगे चलकर उन्हें कोई मुश्किल ना आये बेटियां सच में सीख अच्छी देती है मेरी बहन हमेशा कहती हैं कि एक घर में बेटी हमेशा मां के बराबर होती है।

हमेशा सुखदुख में परिवार के साथ खडी रहती है हम जो बेटियों को सिखाते हैं बेटों को भी बचपन से सिखाया जाना चाहिए क्योंकि असली बुढ़ापे की लाठी बेटे होते हैं उन्हें लाड़ प्यार से बिगाड़ देते हैं बेटियां सच में जिगर का टुकड़ा होती है उन सभी बेटियों को संजोने के लिए जो हमारे जीवन में इतना प्यार और खुशियाँ लाएँगी। यह बहुत अच्छा है कि हमारी बहने और बेटियों को कुछ अतिरिक्त प्यार और स्नेह के साथ प्रशंसा करने और उन्हें यह दिखाने का एक उत्कृष्ट अवसर मिले कि उन्हें कितना प्यार किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर, हमें अपने परिवार, खूबसूरत बेटी, उम्र बढ़ने वाले भागीदारों और एक बेटी को बिना शर्त प्यार दिखाना चाहिए जो एक असाधारण स्तर की कनेक्टिविटी और कई प्रतिबद्धताओं को बनाए रखता है जो परिवार को एक साथ और स्वस्थ रखता है।

अंकिता और वैशाली दोनों बहने बनी आईएएस अफसर। एक ही घर की दो बेटी एक ही नोट से पढ़ाई कर सकें यूपीएससी टॉप किया है एक ही जनपद से 2 अभ्यर्थियों का यूपीएससी निकालना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में एक ही घर की दो बेटियों एक ही साल में एक साथ यूपीएससी की परीक्षा पास करने तो यह वाकई में काबिले तारीफ है और यह सुहाना पल बेटियों ने ही दिया है।

बेटियों को रंगोली, अल्पना के रूप में भी देखा जा सकता है, जो घर की सुंदरता को बढ़ाती हैं। लेकिन बेटियों को समाज में बेटों या पुरुषों से कमतर समझा जाता है। कई रूढ़िवादी विचार के लोग मानते हैं कि बेटियां तो पराई होती हैं, बेटे ही परिवार का वंश चलाते हैं। बेटे पर घर परिवार की जिम्मेदारी होती है, जबकि माता पिता को समर्पित बेटी को हमेशा दूसरे घर जाना होता है। इस कारण बेटी और बेटे में लोगों बेटों को अधिक महत्व देते हैं। हमारे समाज में तो बेटियों की चाह न होने के कारण ही अधिकतर भ्रूण हत्या के मामले सामने आते हैं। ऐसे में बेटियों को बचाने, उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर साल सितंबर माह में बेटियों को समर्पित एक खास दिन मनाया जाता है। वास्तव में बेटियां वरदान होती हैं, माता-पिता का अभिमान होती हैं। बेटियों का सशक्तिकरण आने वाली पीढ़ियों को भी सशक्त करता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश कि विधानसभा में पहलीबार मातृशक्ति रुपी बेटियों ,माताओं की हुंकार भी सदन में देखने को मिली तो ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस पर आइए हम बेटियों की शिक्षा व स्वास्थ्य के अधिकार को और मजबूत बनाते हुए उन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने को संकल्पित हों।