उत्तर प्रदेश में संविधान निर्माता डॉ0 आम्बेडकर जी का प्रतिदिन अपमान

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ये तस्वीर लखनऊ मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के मुख्य गेट की तस्वीरें है। सम्बोधन के बाद कुछ इस तरह दिया गया सम्मान बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर जी जो निन्दनीय हैं।जहाँ एक ओर कुछ मिनट पहले ही महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर जी की स्मारक एंव सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण कार्य के शिलान्यास समारोह को संबोधन किया और कुछ देर बाद ही यह तस्वीरें देखने को मिली जो कि अत्यंत शर्मनाक है।एक घटना 18 मार्च को राष्ट्रपति कोविंद और उनकी पत्नी के प्रभु जगन्नाथ के दर्शन के समय हुई लेकिन इस बात का पता जब चला 20 मार्च को हुई मंदिर प्रबंधन कमिटी की बैठक का ब्योरा मीडिया के सामने आया।

संविधान निर्माता का जूता पहनकर पुष्प अर्पित करना महामहिम द्वारा उनका अपमान करना है ! जूता पहन कर महान सख्सियत बाबा साहेब अम्बेडकर जी को पुष्प अर्पित करने वाले महामहिम और मौजूदा मुख्यमंत्री जी माननीय राज्यपाल महोदया और संघियों के जी हुजूरियों आपके ज़िन्दा रहते और न मरने के बाद भी न गर्व हमे है और न आप पर गर्व कभी होगा।राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए भारत के राष्ट्रपति के रूप में बीजेपी के प्रवक्ता रहे राम नाथ कोविन्द को चुन अवश्य लिया गया पर जो कृत्य आप संघियो ने पिछले तीन दिन के अन्दर उनसे करवा दिया ये इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया जो सदियों याद रखा जाएगा। ये महामहिम के पद का हास्य बनकर उपहास उड़ा करेगा ।ये चाल मात्र है,ये बाबा साहब का अपमान ही नही आप लोगों ने संघी होने का प्रमाण पत्र सार्वजिनक किया है। दलित वोट जाना बसपा को ही है चाहे कोई कुछ भी कर ले।

महामहिम राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री ने बाबा साहब के चित्र पर जूता पहन कर किया पुष्पांजलि अर्पित

मनु और मछली की कहानी पर चर्चा कर सकते हैं। एक बार मनु ने पानी के बाहर एक मछली को देखा जो मरने के करीब थी. उसे उस पर दया आयी और उसने उसे अपने कमंडल में रख दिया। कुछ ही समय में मछली बढ़ने लगी और वह कमंडल उसके लिए छोटा पड़ गया।मनु ने उसे एक तालाब में छोड़ा और जब उसने देखा कि तालाब भी मछली के छोटा पड़ने लगा है तो उसने पहले उसे एक छोटी नदी में, फिर बड़ी नदी में और बाद में समुद्र में पहुंचा दिया। जब एक भारी विपदा आयी और समूची दुनिया समाप्त होने के करीब थी तब इस विशालकाय मछली ने अपनी पीठ पर मनु को रख कर उन्हें बचाया। जब प्रलय की घड़ी समाप्त हुई – तो मनु ने समूची दुनिया का पुनर्निर्माण किया।

बाबा साहब डॉ0 भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चप्पल पहन कर पुष्पांजलि अर्पित की क्या यह संविधान निर्माता डॉ0 भीमराव अंबेडकर का अपमान है या नहीं कृपया इस पर विचार करें….

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसी मछली की तरह बढ़ रहा है। समूची दुनिया अपने आप को प्रलयकारी स्थिति में देखती है, मौजूदा नाजुक परिस्थिति को लेकर लोग भी बेहद डरे हुए हैं और बदहवास होकर भाग रहे हैं और अपने आप को बचाने की कोशिश में मुब्तिला हैं। हर तरफ अराजकता है।लोग इस कदर डरे हुए हैं कि वे शेर से भी लिपटने को तैयार है मगर संघ उन्हें जबरदस्त आत्मविश्वास के साथ बता रहा है कि अगर हिंदू समाज संगठित हुआ तब वह अपने धर्म को और अपने आप को इस तूफान से बचा लेगा। एक संगठित समाज अपने आप को तबभी बचा सकता है जब ऊपर से आसमान जबरदस्त ताकत के साथ गिरने को हो।

 वर्ष 1949 के नवंबर में संविधान सभा ने भारत के संविधान पर अपनी मुहर लगायी, उसके सिर्फ तीन दिन बाद संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने अपने संपादकीय में न केवल इस संविधान को खारिज करने बल्कि मनुस्मृति को ही देश का संविधान बनाने की बात कही थी, लेकिन हमारे संविधान में प्राचीन भारत के इस अनोखे संवैधानिक घटनाक्रम का कोई उल्लेख नहीं है।

जब भारत के संविधान का ऐलान हुआ तब डॉ0 आंबेडकर ने कहा था कि इसने ‘मनु के शासन की समाप्ति की है।’ और इसके बावजूद यह दिख रहा है कि मनु की वापसी हो रही है, उसकी प्रसिद्ध रचना मनुस्मृति नियमित तौर पर सुर्खियों में बनी रहती है।मोदी का प्रसिद्ध वक्तव्य है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मैं उनके अनुरोध पर नहीं बल्कि उनके आदेश पर उनसे मिलने आया हूं।’ आचार्य धर्मेंद्र, संभाजी भिड़े और हिंदुत्व का कोई भी अनुयायी मनु को सम्मान और प्यार के काबिल समझता है, उनके लिए मनुस्मृति संविधान से भी अधिक महत्वपूर्ण चीज है।

विगत दिनों उत्तर प्रदेश में देश के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति का आगमन हुआ था। उन्होंने संविधान निर्माता डॉ0 भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि जूता पहनकर अर्पित की थी।उसके बाद संचालकों ने संविधान निर्माता की फोटो को वहीं जमीन पर रख दिया यह संविधान निर्माता डॉ0 भीमराव अंबेडकर का घोर अपमान था। अगर इतने बड़े कार्यक्रमों में संविधान निर्माता का इस तरह अपमान होता रहा तो यह समाज के लिए काफी नंदनी होगा। डॉ0 बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की ही देन है कि समाज में सभी वर्ग को समानता का अधिकार मिला है। लेकिन आज भी मनु वादियों की सोच की वजह से सबको समता का अधिकार सामान्य रूप से प्राप्त नहीं हो पा रहा है।