दल बदलने पे थोड़े कउनो रोकटोक

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भैया रोक रैलियों पे लगी है दल बदलने पे थोड़े कउनो रोकटोक है । तो भइया ताल ठोंक के पाले बदले जा रहे हैं । दुई चार तो रोज बदल ही लेते हैं ।

नितेंद्र वर्मा

हमाये बड़े बुजुर्ग बता गये हैं कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है । बस्स हमाये नेतागण एकदम दिल पे ले लिए । बोले अगर परिवर्तन न किया तब तो प्रकृति का बहुत बड़ा अपमान हो जायेगा । अब प्रकृति है तो देश है औ देश है तो जनता है । मल्लब सवाल देशहित औ जनहित का था तो समझदार टाइप के नेता एकदम युद्धस्तर पे जुट गए । तभी तो दे दनादन पाले बदल रहे हैं ।

कुछ तो पिछली बार भी बदल के आये थे । बाकायदा मंत्री की कुर्सी भी कब्जियाये थे लेकिन ऐन चुनाव के पहिले ज्ञान प्राप्त हो गया । बोले हमारा औ जनता का शोषण हो रहा है । लेकिन भइया इनके धीरज की दाद देनी पड़ेगी । पूरे पांच साल शोषण झेले । चुनाव आते ही बोले अब और नहीं । अबकी बार दूसरी पार्टी में शोषण करवाएंगे । एक ही में कराते कराते वो मजा भी नहीं रहता औ कुछ नया भी सीखने को नहीं मिलता ।

लेकिन धन्यवाद दीजिये हमाये नेताओं को । वरना भला आज के टाइम में इतना कउन सोचता है जनता के लिए । मल्लब विधायिकी तो एक तरफ मंत्री पद तक ठुकरा दिए । वाह नेता हो तो ऐसा । लगन, समर्पण औ त्याग की जीती जागती मिसाल हैं ये । गिनीज बुक वाले भी ठूँढ रहे हैं । कुछ के सेवाभाव का टेम्परेचर इतना हाई है कि अंडरग्राउंड होना पड़ गया । घर वाले बाकायदा एफआइआर दर्ज कराए तब जाके मिले ।भइया ये खेला तो अभी महीना दो महीना चलेगा । लेकिन कोरोना बहुत तेजी से चढ़ा चला आ रहा है इसलिए आप सब बहुत सावधान रहिये । हम चलते हैं…