विदेश से हो रही लखनऊ जेल को फंडिंग….!

106

बीते एक पखवाड़े से जांच में जुटी एटीएस टीम।ढाका से वाया कोलकाता होकर लखनऊ पहुँच रहा पैसा।विदेश से हो रही लखनऊ जेल के बन्दियों को फंडिंग…!

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की लखनऊ जेल में बांग्लादेशी बन्दियों का खर्चापानी ढाका से आ रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन जेल में एटीएस टीम की जांच कुछ ऐसे ही संकेत कर रही है। एटीएस की टीम बीते करीब एक पखवाड़े से इसकी जांच के लिए लखनऊ जेल में डेरा डाले हुए है। यह अलग बात है कि विदेश से जेल में हो रही इस फंडिंग के मामले में एटीएस का कहना है कि जांच चल रही है, जांच पूरी होने के बाद इसका खुलासा प्रेस नोट जारी कर किया जाएगा। एटीएस की जांच से जेल प्रशासन के अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों में खलबली मची हुई है। जेल अधिकारी इस मामले मर लिप्त वार्डरों को बचाने की फिराक में लगे हुए है।

आईजी एटीएस का यह कहना- राजधानी की जिला जेल में चल रही एटीएस टीम की जांच के संबंध में आईजी एटीएस डॉ0 जी0के0 गोस्वामी से संपर्क किया गया। आईजी एटीएस ने बताया कि जेल में जांच तो पिछले कई दिनों से चल रही है। किस मामले की जांच की जा रही है के सवाल पर उन्होंने कहा हम इस बारे में कुछ नही बता सकते है। जांच पूरी होने पर जो होगा प्रेस नोट जारी कर बता दिया जाएगा।

मामला प्रदेश की राजधानी की लखनऊ जेल से जुड़ा हुआ है। पता चला है कि राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेश के कई विचाराधीन व सजायाफ्ता बन्दी निरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि बन्दियों के खर्चापानी की फंडिंग बांग्लादेश से हो रही है। बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग में जेल के कई अधिकारी व वार्डर शामिल है। बन्दियों के मैसेज भेजने के लिए वार्डर दो सौ से पांच सौ रुपये तक वसूल करते है। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय व आसपास जिलों के बन्दियों के अलावा बांग्लादेशी बन्दी भी इन्ही वार्डर से मैसेज करवाते है। मैसेज के माध्यम से बन्दी खर्च के लिए पैसा मंगवाते है। विदेशों से आनी वाली रकम का 10 फीसद हिस्सा रकम लाने वाला वार्डर रखता है शेष धनराशि जेल में बंद बन्दी को मिल जाती है।

दर्जनों वार्डर व बन्दियों से हो चुकी पूछताछ ..! राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग के मामले की जांच में जुटी एटीएस की टीम अब तक करीब दो दर्जन से अधिक वार्डर व बन्दियों से पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो एटीएस कुछ वार्डरों को उठाने की फिराक में थी। इस पर जेल अधीक्षक व जेलर ने जांच में सहयोग किये जाने बात कहकर उन्हें पूछताछ के लिए ले जाने से रोक भी लिया था। बताया गया है कि एटीएस बीते करीब एक पखवाड़े से इस मामले की जांच में जुटी हुई है।

इस सच का खुलासा एटीएस टीम के जेल में की जा रही जांच से हुआ है।एटीएस की टीम मामले की जांच में जुटी हुई है। सूत्रों की मानें तो जेल में बंद बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग बांग्लादेश से होने की भनक लगते ही एटीएस की टीम सक्रिय हो गयी। आनन-फानन में जेल बाहर पीसीओ व साइबर कैफे चलाने वाले (कैदियों) लोगों से इसकी पड़ताल की गई। पता चला कि इस काम मे जेल अधिकारियों के साथ जेल के करीब आधा दर्जन वार्डर शामिल है जो बन्दियों के मैसेज करने के साथ बाहर से आने वाली रकम को मोटा कमीशन लेकर बन्दियों तक पहुँचाते है। यह रकम ढाका से चलकर वाया कोलकाता होते हुए लखनऊ पहुंचती है।

एटीएस की जांच से जेल अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। बन्दियों में चर्चा है कि जेल में यह काम पिछले काफी समय से चल रहा है। जेल अधिकारी जानकर अनजान बने हुए है। जेल प्रशासन के मारपीटकर हो रही अनाप-शनाप वसूली से बन्दी पहले से ही काफी त्रस्त है। इस खुलासे ने जेल अधीक्षक, जेलर समेत अन्य अफसरों व सुरक्षाकर्मियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। अभी तक राजनीतिक दल एक दूसरे पर विदेशों से फंडिंग होने का आरोप लगाते नही थकते थे। इस नए खुलासे ने जेलो की सुरक्षा को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस संबंध में जेल अधीक्षक आशीष तिवारी से बात करने की कोशिश की गई तो तो उन्होंने फ़ोन ही नही उठाया।