गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफा

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  • उद्धव के समय महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पढ़ना भी मुश्किल था, लेकिन शिंदे के कार्यकाल में दही हांडी उत्सव के हर गोविंदा को 10 लाख रुपए का बीमा कवर मिलेगा। इसे कहते हैं संगत का असर।
  • बिहार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह ही फरार हो गए। आरजेडी के कोटे से बने हैं मंत्री।
  • गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा।
  • खडग़े जैसे वफादार नहीं है आजाद।

महाराष्ट्र में शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ढाई वर्ष तक कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से गठबंधन की सरकार चलाई। तब महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करना भी मुश्किल था। निर्दलीय सांसद नवीनत राणा ने जब उद्धव के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढऩे की घोषणा की तो राणा और उनके पति को जेल में डाल दिया गया। चूंकि शिवसेना की संगत कांग्रेस और एनसीपी के साथ थी, इसलिए उद्धव ठाकरे ने किसी की भी परवाह नहीं की। यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों तक को जेल में डाल दिया गया। लेकिन अब महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे की सरकार चल रही है।

सरकार ने महाराष्ट्र के सर्वाधिक लोकप्रिय दही हांडी उत्सव में भाग लेने वाले सभी गोविंदाओं को 10 लाख रुपए का बीमा कवर देने की घोषणा की है। प्रीमियम की राशि भी सरकार देगी। असल में गोविंदाओं की टोली ऊंचा पिरामिड बनाकर दहीहांडी को फोड़ते हैं। ऐसे में कई बार गोविंदओं के साथ अप्रिय घटना हो जाती है। दही हांडी के जोखिम भरे खेल को देखते हुए ही 10 लाख रुपए का बीमा कवर देने की घोषणा की है। मालूम हो कि एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के 40 विधायकों को तोड़ कर ही नई शिवसेना बनाई और अब भाजपा के सहयोग से गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। वाकई यह संगत का असर है जो गोविंदाओं के लिए भी दस लाख रुपए का बीमा किया जा रहा है।

कानून मंत्री फरार:-

यदि किसी सरकार का कानून मंत्री ही फरार हो जाए तो सरकार की विश्वसनीयता का अंदाजा लगाया जा सकता है। बिहार में 16 अगस्त को ही कार्तिकेय सिंह ने मंत्री की शपथ लेकर कानून विभाग का जिम्मा संभाला। लेकिन कानून मंत्री का कार्य शुरू करने से पहले ही कार्तिकेय सिंह को फरार होना पड़ा है। असल में अपहरण के एक मामले में अदालत में कार्तिकेय सिंह के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है। 17 अगस्त को गिरफ्तारी वारंट की खबर मीडिया में प्रसारित होते ही कार्तिकेय सिंह फरार हो गए। सिंह को आरजेडी के कोटे से मंत्री बनाया गया है।

16 अगस्त को ही बिहार के बाहुबली आनंद मोहन को जेल के बजाए बाहर इधर-उधर घूमते देखा गया था। चूंकि आनंद मोहन भी आरजेडी के कार्यकर्ता हैं, इसलिए उन्होंने आरजेडी के दफ्तर का मुआयना भी किया। बिहार में नीतीश कुमार अब आरजेडी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। इसलिए अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। कानून के फरार हो जाने से ही बिहार सरकार की विश्वसनीयता का अंदाजा लगाया जा सकता है। असल में बिहार के बाहुबलियों के दम पर ही नीतीश कुमार और आरजेडी का गठबंधन हो सका है। यही वजह है कि बिहार में अपराधी तत्वों के हौंसले रातों रात बुलंद हो गए। नीतिश कुमार की छवि आने वाले दिनों में कैसे बनेगी इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

खडग़े जैसे वफादार नहीं आजाद:-

जम्मू कश्मीर में विधानसभा के संभावित चुनावों को देखते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया। लेकिन आजाद ने तत्काल समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि आजाद की सहमति के बगैर ही उनके नाम की घोषणा कर दी गई। आजाद कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं और उन्होंने राज्यसभा में लंबे समय तक कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व भी किया है। लेकिन आजाद के कद को घटा कर उन्हें एक राज्य की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

जानकारों की माने तो आजाद को उम्मीद थी कि कांग्रेस पार्टी उन्हें राजस्थान या अन्य किसी प्रदेश से राज्यसभा का सांसद निर्वाचित करवाएगी, ताकि वे राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने रहे। लेकिन कांग्रेस आला कमान ने ऐसा नहीं किया। अब आजाद राज्यसभा के सांसद भी नहीं है। आजाद की मल्लिकार्जुन खडग़े को राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता बनाया गया है। खडग़े इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे। लेकिन 2019 का लोकसभा का चुनाव हार जाने के कारण खडग़े को राज्यसभा में लाया गया। असल में गांधी परिवार के प्रति खडग़े की जितनी वफादारी है, उतनी आजाद की नहीं है। वफादारी का परिणाम ही है कि गांधी परिवार ने नेशनल हेराल्ड के प्रकरण में जो यंग इंडिया कंपनी बनाई उसमें भी खडग़े को पदाधिकारी बनाया गया है।