खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे

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मोदी का ‘धोबियापछाड़’ दांवः विचार मंच-

श्याम कुमार

स्वर्गीय चन्द्रभानु गुप्त द्वारा स्थापित बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं प्रतिष्ठित संस्था ‘विचार मंच’ द्वारा ‘कृषि कानूनों की वापसी’ विषय पर फोन-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहाकि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा धोबियापछाड़ दांव चला है कि कृषि-कानूनों की वापसी की मांग को लेकर एक साल से जो उत्पाती तत्व देश का माहौल खराब कर रहे थे, वे हतप्रभ हो गए हैं तथा खिसियानी बिल्ली की तरह खम्भा नोचते हुए अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार राजेश राय ने कहाकि ‘शाहीनबाग’ के बाद किसानों के नाम पर अराजक तत्वों ने पुनः एक साल से माहौल खराब कर रखा था तथा तरह-तरह की झूठी बातों से जनता को बरगला रहे थे और किसानों को भ्रमित कर रहे थे। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृष्ण-नीति का अनुकरण कर विवाद की जड़ ही समाप्त कर दी। किसानों के नाम पर जो बिचैलिए एवं अन्य स्वार्थी तत्व तीनों कृषि-कानूनों की वापसी की मांग कर रहे थे और एक साल से मोदी के विरुद्ध जहर उगल रहे थे, वे बगलें झांक रहे हैं और जबरदस्ती नई मांगों द्वारा अपनी सार्थकता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

एक समय की बात है देश मे चतुर चालुराम नाम का एक आदमी रहा करता था।चालुराम के पास बातों की ‌‌‌कोई कमी ‌‌‌नही थी उसके पास इतना धन आरम से मिल ‌‌‌जाया करता था की वह अपने और अपने परिवार को आराम से सभी सुख सुविधा दे सके।चालुराम के घर मे हर दिन शांती रहा करती थी । क्योकी उसका परिवार बहुत ही सिधा साधा था।वह किसी के साथ भी झगडा नही करता था इसके अलावा वे आपस मे भी किसी बात को लेकर झगडा नही करते थे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचार वार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहाकि जब सर्वाेच्च न्यायालय ने तीनों कृषि-कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी और विचार के लिए विशेष समिति का गठन किया था तो यदि आंदोलनकारियों की नीयत खराब नहीं थी तो वे तुरंत अपना आंदोलन वापस लेकर उस समिति के पास जाते और अपना पक्ष रखते। लेकिन वे यह रट लगाए हुए थे कि सरकार सबसे पहले तीनों कृषि-कानून वापस ले। अब जब मोदी सरकार ने वे तीनों कानून वापस ले लिए हैं तो आंदोलनकारी आंदोलन जारी रखने के लिए नए बहाने ढूं़ढ़ रहे हैं। सच्चाई यह है कि उन आंदोलनकारियों का उद्देश्य किसानों का हित करना था ही नहीं। उनके कुकृत्य से भारतविरोधी एवं हिंदूविरोधी ताकतें उनकी भरपूर मदद कर रही थीं। कैलाश वर्मा, राजीव अहूजा, राम सिंह तोमर आदि वरिष्ठ पत्रकारों ने कहाकि तीनों कृषि-कानूनों से किसानों को बहुत भला होने वाला था। पर सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा उन कानूनांें पर स्थगन आदेश देने से वे कानून अपनी उपयोगिता दिखा ही नहीं पाए। किसानों को जो लाभ उन कानूनों से मिलने वाला था, वह लाभ उन्हें अब नहीं मिल पाएगा।

वरिष्ठ समाजसेवी सुशीला मिश्र ने उन लोगों को कड़ी फटकार लगाई, जो कृषि-कानूनों की वापसी को मोदी की हार बता रहे हैं और इस प्रकार अपनी मूर्खता का परिचय दे रहे हैं। मोदी के हर कदम के पीछे गहरी सोच, देशहित की भावना एवं दूरदर्शिता समाहित होती है। वरिष्ठ मजदूर नेता एवं विश्लेषक सर्वेश चंद्र द्विवेदी तथा सुविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अम्बिका प्रसाद तिवारी ने कहाकि स्वार्थी अराजकतत्वों ने बहकाकर किसानों का बहुत नुकसान किया है। समाजसेवी पासी विनोद राजपूत ने कहाकि किसानों के नाम पर जो आंदोलनकारी सालभर से सड़कें छेके बैठे थे, उन्होंने धरना-स्थल पर पक्के निर्माण करा लिए थे तथा वातानुकूल(एसी) का इस्तेमाल करते हुए ऐश कर रहे थे। विचारक हरिप्रकाश ‘हरि’ ने कहाकि ‘शाहीनबाग’, ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर दो साल से सड़कें बंद होने से जनता भीषण यातना भुगत रही थी, किन्तु बात-बात में स्वतः संज्ञान लेने वाली न्यायपालिका को नागरिकों को मिल रही वह यातना नहीं दिखाई दे रही थी। वह बार-बार यह कहकर खामोश हो जाती थी कि सड़कें अनंतकाल तक नहीं रोकी जा सकती हैं।