ब्रजेश पाठक के लिए सुनहरा मौका

95
श्याम कुमार

विरले ही होते है जो कि अभियान रहित,संवेदनशील ह्रदय वाले, शरीफ लोगों की तरफ ध्यान देने वाले, स्वयं के लाभ की जगह जनहित की सोचने वाले, सरल, मिलनसार-मुझे भी ऐसे सभी गुण ब्रजेश पाठक जी में दिखे साथ ही एक अलग तरह की प्रज्ञा भी मौजूद है उनमें -उनकी हिंदी भाषा की अच्छी पकड़, धाराप्रवाह सेंस वाली बातें ही बोलते है।

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”]

ब्रजेश पाठक के लिए सुनहरा मौका है। कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी में अपनी लोकप्रियता का कीर्तिमान स्थापित किया था। उनके अवसान के बाद उस रिक्त स्थान की पूर्ति योगी आदित्यनाथ ने की। लेकिन योगी आदित्यनाथ का कद इतना ऊंचा हो गया है कि वह अब भाजपा में राष्ट्रीय स्तर के नेता बन गए हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश- भाजपा में अब कल्याण सिंह-जैसी लोकप्रियता हासिल करने वाले जिस एक अन्य नेता का आविर्भाव हुआ है, वह हैं ब्रजेश पाठक। ब्रजेश पाठक को हाल में किए गए व्यापक जनसर्वेक्षण में योगी मंत्रिमंडल का सर्वाधिक लोकप्रिय मंत्री पाया गया था। उनकी सबसे बड़ी विशेषता है उनकी जनता से निकटता। जनता से इस निकट जुड़ाव का ही नतीजा है कि उनके यहां नित्यप्रति अपनी समस्याएं लेकर आनेवालों की संख्या सैकड़ों में होती है। चुनाव-परिणाम घोषित होते ही जो नजारा ब्रजेश पाठक के आवास पर देखने को मिला, वह उनकी अपार लोकप्रियता का ही ज्वलंत उदाहरण था। चुनाव-परिणाम आने के पहले उनके आवास पर भीतर से लेकर सड़क तक भारी जनसमूह एकत्र हो गया था और जैसे ही ब्रजेश पाठक के जीतने की खबर वहां पहुंची, ‘ब्रजेश पाठक जिंदाबाद’, ‘हमारा नेता कैसा हो, ब्रजेश पाठक जैसा हो’ नारों के साथ भाजपा तथा मोदी एवं योगी के जयकारों से आकाश गूंजने लगा। इतना भारी उत्साहमय वातावरण अन्य किसी मंत्री के यहां नहीं था। ब्रजेश पाठक के यहां आगंतुकों की भीड़ निरंतर बढ़ती जाती थी, जिसके साथ प्रशंसकों के नारे भी तेज हो रहे थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि ब्रजेश पाठक के यहां सारी सजावट व व्यवस्थाएं उनके प्रशंसकों द्वारा ही की गईं। अगले दिन पूर्वान्ह में मैं जब ब्रजेश पाठक के यहां पहुंचा तो उस समय वहां उन्हें आगंतुकों द्वारा मालाओं से लादा जा रहा था। मालूम हुआ कि सवेरे से यहां ऐसा ही माहौल है। मैं पास में रखे सोफे पर बैठ गया और आगंतुकों की भावभंगिमाएं देखने का आनंद लेने लगा।

कल्याण सिंह के यहां भी उनके प्रशंसकों का ऐसा ही रेला रहता था। वह सोफे पर मुझे अपने बगल में बिठाते थे और वहां बैठकर मैं उनसे मिलने आने वालों का तरह-तरह से अध्ययन करता रहता था। ब्रजेश पाठक लोगों की बधाइयां स्वीकार करते-करते बगल के कमरे में बैठ गए और वहां मैं भी उनके बगल के सोफे पर बैठ गया। बीच-बीच में जैसे ही कुछ मिनटों के लिए मौका मिला, मैंने ब्रजेश पाठक से कुछ बातें कीं। मैंने ब्रजेश पाठक से पूछा कि जब वह लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र-राजनीति करते थे, उस समय क्या कभी उनकी इच्छा हुई थी कि उन्हें भविष्य में विधायक व मंत्री बनने का अवसर मिले? उन्होंने तुरंत जोर देकर कहा-‘‘कभी नहीं। उस समय मैं छात्र-राजनीति की दुनिया में पूरी तरह रमा हुआ था। विद्यार्थियोें की समस्याएं हल कराने में बड़ा सुख मिलता था। उसके आगे भी राजनीति का कोई संसार है, इसका कभी विचार नहीं उठता था। वह तो जब मैं छात्र-राजनीति से बाहर निकला, तब दूसरी तरह की राजनीति सामने मिली। अपने विद्यार्थी समाज की मदद करने में मुझे जो सुख मिलता था, वही सुख अब बड़े पैमाने पर लोगों की समस्याएं हल कराने में मिलने लगा। लोगों की मदद करने की यह भावना प्रबल होती गई और मैं धीरे-धीरे मुख्य राजनीति में समर्पित हो गया। उसमें विधायक व मंत्री बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ।’’ ब्रजेश पाठक से जब मैंने पूछा कि वह अपनी प्रेरणा का स्रोत किसे मानते हैं तो उन्होंने कहा- ‘‘उनकी राजनीतिक प्रेरणा के स्रोत अटल जी(अटल बिहारी वाजपेयी) थे तथा आध्यात्मिक प्रेरणा के स्रोत स्वामी विवेकानंद रहे। राष्ट्रवाद मुझे बचपन से अच्छा लगता था और स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति के गौरव का जो उद्घोष किया, उसने मुझे अपने रंग में रंग लिया।’’ मैंने पूछा- ‘‘आप बहुजन समाज पार्टी से भारतीय जनता पार्टी में आए थे तो आपको यहां कैसा लगा?’’ ब्रजेश पाठक बोले- ‘‘भाजपा में आने पर मुझे महसूस हुआ कि जैसे अब मुझे वास्तविक मंजिल मिल गई है।

जो राष्ट्रवाद मेरे भीतर छिपा हुआ था, उसे मुखर होने का अवसर मिल गया। इसी से मैंने दृढ़संकल्प किया कि अब भारतीय जनता पार्टी ही मेरी आत्मा और शरीर है। ‘जल में कुम्भ, कुम्भ में जल है’ वाली बात हो गई।’’ ब्रजेश पाठक ने बताया कि उनका बड़ा सादा जीवन है। वह शुद्ध शाकाहारी हैं। कोई बुरी लत नहीं है। सुबह नियमित रूप से योग-प्राणायाम करते हैं, जिसके बाद दिनभर की व्यस्त जिंदगी शुरू हो जाती है। फरियादियों की समस्याएं हल कराने में वह सुख महसूस करते हैं तथा बड़ों का आशीर्वाद मिलता है तो नई ऊर्जा भर जाती है। ब्रजेश पाठक को बधाई देनेवालों का क्रम अविरल चल रहा था, इसलिए मैंने सोचा कि उनसे फिर कभी फुरसत में और बातें होंगी। पर उनसे एक बात मैंने बड़ी गंभीरता से कही, जिस पर अमल करने का उन्होंने आश्वासन दिया। मैंने कहा-‘‘आज के समय में शरीफ व्यक्ति की कोई सुननेवाला नहीं होता है। वह अपनी सज्जनता एवं स्वाभिमान के कारण उपेक्षा का शिकार होते-होते अंत में लाचार होकर चुप बैठ जाता है। इसलिए आप शरीफों की हमेशा हरसंभव मदद कीजिएगा।’’ सही व्यक्ति को पहचानने और उसकी मदद करने का गुण बहुत कम लोगों में होता है। ब्रजेश पाठक में यह गुण मुझे परिलक्षित हुआ। मैं जब उनके पास बैठा था और लोग उन्हें माला पहनाते थे या उनके साथ सेल्फी लेने लगते थे तो वह बार-बार खड़े हो जाते थे। उसी समय उन्होंने पीछे खड़े एक व्यक्ति को आगे बुलाया। वह व्यक्ति सज्जनतावश अन्य लोगों को ठेलकर आगे आने के बजाय चुपचाप पीछे खड़ा था। ब्रजेश पाठक ने आगे बुलाकर उसकी शुभकामनाएं स्वीकार कीं और उसके साथ सेल्फी खिंचवाई।

ब्रजेश पाठक को मेरा यह सुझाव है कि वह लोगों की जिन समस्याओं के लिए अधिकारियों को फोन करते हैं अथवा लिखित आदेश देते हैं, उस सम्बंध में उन्हें अपने यहां एक विशेष कार्याधिकारी तैनात करना चाहिए, जिसका यह दायित्व हो कि वह कड़ाई से यह देखे कि मंत्री के निर्देशों का ठीक से पालन हुआ या नहीं। जो लोग अपनी समस्याएं लेकर वहां आते हैं, उनका एवं उनकी समस्याओं का पूरा विवरण उस विशेष कार्याधिकारी को अपने पास रखना चाहिए तथा हर मामले में ‘फालोअप’ करते रहना चाहिए। वह विशेष कार्याधिकारी भी ऐसा होना चाहिए, जिसे जनता की सेवा में सुख मिलता हो। जनता की समस्याओं के निवारण में जो अधिकारी या कर्मचारी ढीले पाए जाएं, उन्हें कठोर दंड दिया जाना चाहिए। ब्रजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी में अनमोल रत्न के रूप में उभरे हैं। इस उपलब्धि को कायम रखना उनकी भारी जिम्मेदारी है। उन्होंने यदि आम नेताओं की बदनाम लीक से हटकर काम किया तो जनता में वह बेजोड़ एवं अविस्मरणीय हो जाएंगे। उन्हें दूसरे नेताओं की झूठ बोलने एवं झांसा देने की कुप्रवृत्ति से शतप्रतिशत दूर रहना चाहिए। उन्हें यह सबक लेना चाहिए कि पांच साल तक प्रदेश की सड़कें गड्ढों से भरी रहीं, जिससे योगी सरकार की बड़ी बदनामी हुई। यदि सड़कें अच्छी दशा में होतीं तो भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में और बड़ी जीत हासिल हुई होती…..!

[/Responsivevoice]