अच्छे दिन और सर्वम् दुःखम्

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चायवाले ने भरोसा दिया था-अच्छे दिन आयेंगे , कहा था न ! चायवाले को यह भरोसा देना पडा क्योंकि सामने जिससे मुकाबला कर रहा था वह अर्थशास्त्र का डाक्टर था और उसकी टीम में अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार प्राप्त अमर्त्य सेन , विश्व बैंक वाले रघुराम राजन , विश्व भर का वामपन्थी सेक्युलर सिविल समाज थे और वह 10 वर्षों से भारत की नाव मंझधार के पार ले जाने के एकेडमिक प्रयोग करते करते देश को गर्त में डाल चुके थे । अटल जी के समय में आई शाइनिंग इंडिया की समृद्धि को मनरेगा में फूंकने-तापने के बाद लुटियन्स, गोरी मालकिन व वंश को दिल्ली की सत्ता तो दोबारा मिल गयी पर जनता कराहने लगी । शासन के मात्र पांच वर्षों में पैसे ने पेडों पर उगना बन्द कर दिया, सीमापार के आतंकवादियों के लिए दरवाजे खुले मिलने लगे, आतंकवाद को सेक्युलर बनाने के लिए हिन्दू आतंकवाद को सृजित कर दिया गया , जनता को महंगाई डायन के सामने विवश छोड दिया गया , रोजगार चिदम्बरम साहब के वित्त मंत्रालय की फाइल में बन्द हो गये । ऐसे में डोकलाम और कश्मीर बचाने के लिये सेनाध्यक्ष वी के सिंह को गोला-बारूद चाहिये था पर मुश्किल यह थी कि नरसिम्हाराव और अटल बिहारी वाजपेयी के लगाये पेडों पर पैसे फलने बन्द हो गये थे – फ्रस्ट्रेशन में केन्द्र की सरकार के कैबिनेट निर्णय को गोरी महारानी के इकलौते राजकुमार ने बाँहें चढाकर पब्लिकली फाडना शुरू कर दिया , सरकार में चोरी और घूसखोरी से आई पाॅलिसी पैरालिसिस से पूरा देश एक भयंकर खतरे की आहट महसूस कर रहा था ।


चीन-पाकिस्तान की चढाई से भयभीत हमारे देश को मालदीव, लंका, बंगलादेश, इण्डोनेसिया, नेपाल सभी ऑखें दिखाने लगे थे । स्थिति वही हो गयी थी जो कंस के समय गोकुल की थी । जनता चाहने लगी कि ये नामुराद सेक्युलर वाले ठग जांय और कोई भरोसेमंद ईमानदार आदमी आये । च्वाइस में दो ही लोग थे – एक नीतीश कुमार जिनके पास मुख्यमंत्रित्व के अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल का अनुभव था , दूसरा चायवाला मोदी जिससे भयभीत गोरी महारानी कहती थी कि उसके हाथ खून से रंगे है । महारानी के इशारे पर सेक्युलर गैंग के कार्यकर्ता चायवाले पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर अमेरिकी संसद तक पिले पडे रहते थे , सेक्युलर गैंग ने कभी यह सवाल नहीं उठाया कि गोधरा दंगे की आधारभूमि के निर्माता , वहां ट्रेन की बोगियों में कारसेवकों को घेरकर जलाने वाले लोग कौन थे और उन्हें वहां कौन लै गया ? साजिश थी, संयोग था ? कभी जांच रिपोर्ट आई? या बोगियां जलाने की घटना को पब्लिक डिसकोर्स बनने दिया गया ? सेक्युलरिज्म के धुंध में सब धुंधला निराशाजनक हो गया था।


बहरहाल चायवाले ने स्टेज संभाला तो उसने अपने आशावाद, अपनी उर्जा, अच्छे भविष्य की भरोसेमंद बातों से धूम मचा दिया। पटना में 2 लाख लोगों की भीड उसे सुनने आयी, उस मैदान में बम विस्फोट हुए जिसमें भारत मां के कई लाल मर गये अनेक घायल हुए पर ठसाठस भीड टस से मस नहीं हुई, नये हीरो ने भी अवाम को निराश नहीं किया । सेक्योरिटी थ्रेट के बावजूद उसने बम विस्फोट से दहले मैदान पर जाकर के बहादुर बिहारियों को सम्बोधित किया और तभी उसके दिल से निकल पडा कि अच्छे दिन आयेंगे । चायवाले ने उस दिन पटना में एक असाधारण दैवी घोषणा कर दी थी -अच्छे दिन आयेंगे । उन परिस्थितयों , बम विस्फोटों के बीच यह वादा कि अच्छे दिन आयेंगे असाधारण और पूर्ण रूपेण दिव्य थे गोया माॅ भारती ने भविष्य वाणी की थी ।


आज जब भारत का बनाया तेजस पूरी दुनिया में धूम मचाये है और अगले साल स्टील्थ फाइटर जेट के निर्माण की खबर छाई हुई है । डिफेंस के लिए मेरा अनुमान है कि ऐसा कोई हथियार नहीं होगा जो भारत ने दबाकर न खरीदे हों । जो आयुध निर्माण संगठन पहले 30-30 साल आयुध का विकास नहीं कर पाते थे वे छह महीने- साल भर में फिफ्थ जेनरेशन के फाइटर विमान ला रहे हैं । बोइंग जैसे विशाल यात्री और कैरियर विमानों की मैन्यूफैक्चरिंग होने जा रही है , मेक इन इण्डिया मैन्यूफैक्चरिंग की आंधी सी आ रही है तो सवाल उठता है कि पैसे कहां से आ रहे हैं ? 80 करोड लोगों को मुफ्त राशन कहां से मिल रहा है , क्योंकि अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री सरदार मन मोहन सिंह एक ज्ञान दे चुके है कि पैसे पेड में नहीं लगते और नोटबन्दी तो डिजास्टर यानी विनाश है।तो क्या चायवाले ने 7 वर्षों में ही पैसे का कोई नया पेड लगा लिया है ? साहब तंज अपनी जगह है और तथ्य अपनी । सरदार जी दर असल बेईमानों, चोरों, ठगों के जाल में फंसे थे उसी तरह जैसे बुरे ग्रहों की चाल में अच्छा भला आदमी दीन हीन दास हो जाता है ।


सेना पिटती थी , मिलिटरी इन्टेलीजेन्स , आई बी और सीबीआई जैसी जांच एजेन्सियों को गली का कुत्ता बना दिया गया था , राॅ की हालत क्या थी यह बता पाना मुश्किल नहीं है पर चुप रहना ही ठीक है । बैंक लुटते थे , जाली नोट चलते थे , तब के वित्तमंत्री चिदम्बरम के गलत निर्णय से पाकिस्तान में छपे जाली नोट ट्रेजरी में हुआ करते थे , मंत्री भ्रष्टाचार में धंसे और चेयरपर्सन उर्फ गोरी महारानी की नीति और नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह लगते रहे । इण्डिया ब्रेक अप के कगार तक जा चुका था ….पर अब ? सुनते हैं कि हाइपर सोनिक मिसाइल को हाथ में लिए भारत माता की अंटी में चीन से ज्यादा फॉरेन रिजर्व बंध गया है और भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं सबसे बडी अर्थव्यस्था बन गयी है । डेढ साल तक लगे कोरोना शाॅक के बाद भी अर्थव्यवस्था चौकस है और वृद्धिदर लुटियन्स-खान अर्थशास्त्रियों के लिए अकल्पनीय है ।


एक ज्ञान मुझे भी आ रहा है कि भगवान बुद्ध ने जिस से भारत की इस धरती पर अवतरण किया था तब भारत धन-धान्य से भरा था फिर भी उन्हें घोषणा करनी पडी की सर्वम दुःखम् दुःखमिच्छामि। इसी की रोशनी में समझा जा सकता है कि अच्छे दिन आये तो हैं पर विवादी विषादजीवियों के लिए सर्वम् दुःखम् ही दिखते रहना नियति का प्रावधान समझिये ।[/responsivevoice]
….. दिनेश कुमार गर्ग