निजी स्कूलों में शुल्क बढ़ाने के सरकारी फरमान

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कोरोना काल से महंगाई की मार झेल रहे लोगों पर एक और सितम,अब निजी स्कूलों में शुल्क बढ़ाने के सरकारी फरमान से जनता पर एक और बोझ।

पेशबंदी में लगे राज्य के स्कूलों को 9.5 % तक का शुल्क बढ़ाने का शस्त्र-शास्त्र राज्य सरकार ने आज थमा ही दिया। अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला की ओर से जारी शासनादेश में महंगाई के बोझ से दबे राज्य के करोड़ों अभिभावकों के खाली जेब की परवाह किये बिना स्कूलों को मनमाने पन पर उतारू होने का लाइसेंस शुल्क बृद्धि के रूप में आखिर दे ही दिया गया।


तर्क दिया गया है कि कोरोना काल मे वे शुल्क बृद्धि न कर सके थे। स्पष्ट है कोरौना काल मे खस्ताहाल हो चुकी राज्य की अर्थव्यवस्था तथा रोजगार रहित हो चुकी जनता को लूटने का अवसर निजी स्कूलों को नही मिल सका था जिसकी भरपाई आखिर माध्यमिक शिक्षा विभाग आज ने कर ही दी। शासनादेश से लगता है कि अब चूंकि कोरौना समाप्त हो चुका है तथा राज्य की जनता धनशाली हो चुकी है इन परिस्थितियों में गरीबी की मार झेल रहे राज्य के स्कूलों को धनलेपन का स्वादिस्ट तड़का दिया गया है।

ज्ञातव्य है कि राज्य के अधिकांश स्कूलों ने अभिभावकों से शुल्क तो पूरा लिया परंतु कर्मचारियों को वेतन आधा ही दिया। इन परिस्थितियों में तर्क रहित शुल्क बृद्धि की परिस्थिया महंगाई की मार झेल रही राज्य की जनता को अपने अन्य खर्चो में कटौती कर स्कूलों का पेट भरना उनकी मजबूरी बनेगा साथ ही वर्तमान महंगाई की मार उनके भविष्य परिवेश को अवश्य प्रभावित करता हुआ दिखेगा।