उम्मीद से ज्यादा देखने को मिला ज्ञानवापी मस्जिद

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1669 में भले ही अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब ने बनारस में बाबा विश्वनाथ का मंदिर तोड़ा हो, लेकिन अब ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मुस्लिम पक्ष ने सकारात्मक रुख दिखाया।कांग्रेस सर्वे की कार्यवाही से खुश नहीं।जो दावा किया था वो उम्मीद से ज्यादा देखने को मिला है- याचिकाकर्ता सोहनलाल आर्य।

एस0 पी0 मित्तल

14 मई को सुबह जब अदालत के आदेश से बनारस में बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर में बनी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे हुआ तो मुस्लिम पक्ष ने बेहद ही सकारात्मक रुख दिखाया। अदालत ने निर्देश दिए थे कि मस्जिद के तहखाने में बने चार कमरों की चाबियां नहीं मिले तो तालों को तोड़ कर कमरों में रखे सामानों की सूची भी बनाई जाए। कमरों की वीडियोग्राफी करने के निर्देश भी दिए गए। जिला अदालत के निर्देशों के तहत बनारस के प्रशासन ने सर्वे के लिए सभी इंतजाम कर रखे थे, लेकिन सर्वे में कोई परेशानी नहीं हुई। ज्ञानवापी मस्जिद इंतजामिया कमेटी यानी मुस्लिम पक्ष ने तहखाने के तीनों कमरों की चाबियां कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर को सौंप दी। एक कमरे की चाबी हिन्दू पक्ष ने पहले ही कोर्ट कमिश्नर को दे दी थी। ऐसी स्थिति में मस्जिद के तहखाने में बने चारों कमरों का सर्वे का कार्य आसानी से हो गया। मुस्लिम पक्ष ने अब जो सकारात्मक रुख दिखाया, उसकी बनारस के जिला प्रशासन ने भी प्रशंसा की है, क्योंकि इससे सर्वे का कार्य शांतिपूर्ण तरीके से हो गया। मुस्लिम पक्ष का बदला हुआ रुख इसलिए भी महत्व रखता है कि 1669 में अत्याचार मुगल शासक औरंगजेब ने ही बनारस में बाबा विश्वनाथ का मंदिर तोड़ कर मस्जिद का निर्माण करवाया था। औरंगजेब ने देश के कई धार्मिक स्थलों को नष्ट किया। मस्जिद से जुड़े मुस्लिम पक्ष की इसलिए भी प्रशंसा हो रही है कि 13 मई को ही आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने औरंगजेब की मजार पर जाकर फूल चढ़ाए हैं। ओवैसी का कहना है कि वे नहीं चाहते कि मुसलमानों के हाथों से एक और मस्जिद निकल जाए। ओवैसी का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद बनी रहनी चाहिए। कांग्रेस ने भ सर्वे की कार्यवाही पर न खुशी जाहिर की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि सर्वे जैसी कार्यवाही से दो समुदायों में तनाव होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के प्रकरण में मुस्लिम पक्ष की भावनाओं का भी सम्मान होना चाहिए।

उम्मीद से ज्यादा:-

14 मई को प्रातः 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का काम हुआ। चार घंटे के सर्वे के बाद मस्जिद परिसर से बाहर निकले हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता सोहनलाल आर्य ने कहा कि यह खुशी की बात है कि सर्वे में सभी पक्षों का सहयोग मिला है। सर्वे के दौरान क्या क्या देखने को मिला के सवाल पर आर्य ने कहा कि मैंने अपनी याचिका में हिन्दू प्रतीक चिन्हों को लेकर जो दावे किए थे, उससे ज्यादा देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में सर्वे की जानकारी देने पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसलिए मैं ज्यादा तो कुछ नहीं बता सकता, लेकिन सबूत मेरी कल्पना से भी ज्यादा है। वहीं जानकार सूत्रों के अनुसार सर्वे के दौरान कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद परिसर में हिन्दू धर्म के अनेक प्रतीक चिन्ह देखने को मिले। इनमें स्वास्तिक के निशान, कमल के फूल और हिन्दू देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां भी शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि ऐसे सबूत मस्जिद के तहखाने के कमरों में ही नहीं बल्कि दीवारों पर भी हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद के तहखाने में ज्योर्तिलिंग होने का दावा भी किया है। सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को अदालत में प्रस्तुत की जाएगी। जिला अदालत ने सर्वे के लिए 16 मई तक की तारीख निर्धारित की है। यानी अभी 15 और 16 मई को भी मस्जिद परिसर में सर्वे का काम होगा। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के प्रकरण में सुनवाई करने पर सहमति दे दी है। इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ करेंगे।