हाईकोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट की एफआईआर की खारिज

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट की एफआईआर की खारिज कहा- गैंग चार्ट तैयार करने से पहले संबंधित कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई थी।

हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिकी को रद्द कर दिया क्योंकि गैंग चार्ट तैयार करने से पहले संबंधित अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर नहीं किया गया था। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस विवेक कुमार सिंह की बेंच यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 198 की धारा 2/3 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील श्री वैभव कालिया ने कहा कि गैंग चार्ट में वह अपराध जो इसका आधार है उसमे चार्जशीट की तारीख 12.5.2021 बताई गई है।

हालाँकि, चार्जशीट 23.11.2021 को दायर की गई है क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील ने संबंधित अदालत से जारी एक प्रश्नावली दिखाई है जिसमें यह दर्शाया गया है कि आधार मामले में चार्जशीट 23.11.2021 को दायर की गई है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि संबंधित प्राथमिकी यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 2021 के नियम 10 (2) का उल्लंघन है। चूंकि गैंग चार्ट के साथ आरोप पत्र अदालत के समक्ष दायर नहीं किया गया है, इसलिए, आरोपित प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उत्तरदायी है।

पीठ के समक्ष विचार के लिए मुद्दा था:

क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर रद्द की जा सकती है या नहीं?

हाईकोर्ट ने पाया कि नियम 27.12.2021 से प्रभावी हो गए थे जबकि चार्जशीट ऐसी तारीख से पहले दायर की गई है, इसलिए, नियम 2021 के प्रावधान मामले में लागू नहीं होंगे। बेंच ने मास्टर @ रमजान और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य के मामले पर भरोसा किया, जहां यह अभिनिर्धारित किया गया था कि दिनांक 2.1.2004 के सरकारी आदेश के आलोक में आधार मामले में संबंधित न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दायर किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि गैंग चार्ट तैयार करने से पहले संबंधित न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दायर नहीं किया गया था। उपरोक्त के मद्देनजर, पीठ ने याचिका की अनुमति दी और FIR रद्द कर दी।

केस का शीर्षक: संजय कुमार मल्ल बनाम यूपी राज्य