राहुल गांधी के कहने मात्र से हिन्दू और हिन्दुत्ववादी अलग अलग नहीं हो जाएंगे

92

हिंदुत्ववादियों ने ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करवाया तो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को भी हटाया। बनारस में काशी विश्वनाथ धाम के 800 करोड़ रुपए के कॉरिडोर का लोकार्पण भी किया है । राहुल गांधी के कहने मात्र से हिन्दू और हिन्दुत्ववादी अलग अलग नहीं हो जाएंगे।

एस0 पी0 मित्तल

जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई विरोधी रैली में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा कि हिन्दू और हिन्दुत्ववादी अलग अलग हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता की लालसा रखने वाला हिन्दुत्ववादी बताया गया। राहुल ने स्वयं को हिन्दू घोषित करते हुए हिन्दू की अपनी ही परिभाषा बताई। राहुल गांधी के सलाहकार कौन हैं यह तो वे ही जाने, लेकिन यह सब जानते है कि राहुल गांधी की माताजी श्रीमती सोनिया गांधी ईसाई धर्म को मानने वाली रही है तथा उनकी दादीजी श्रीमती इंदिरा गांधी ने मुस्लिम फिरोज खान से विवाह किया था। ऐसे में राहुल गांधी का धर्म कौन सा होगा, यह ऊपरवाला ही जानता है, लेकिन राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि हिंदुत्ववादियों ने ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करवाया। इतना ही नहीं अब कश्मीर में बसाया भी जा रहा है। देश को ऐसा हिन्दू नहीं चाहिए, जिसकी नीतियों से कश्मीर से हिन्दुओं को भगाया जाता है। हिन्दुत्ववादी ही कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी को रोक सकते हैं। देश को ऐसे हिन्दू नहीं चाहिए जो अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण में बाधाएं उत्पन्न करते हैं। ऐसे हिन्दू भी नहीं चाहिए जो हिंदुत्ववादियों पर गोलियां चलाते हैं।

देश को ऐसे हिन्दुत्ववादी चाहिए जो अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाएं। राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिन्दुत्ववादी मानते हैं, लेकिन इन्हीं नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को बनारस में काशी विश्वनाथ धाम के 800 करोड़ रुपए की लागत से बने कॉरिडोर का लोकार्पण किया है। इस कॉरिडोर का शिलान्यास भी 8 मार्च 2019 को मोदी ने ही किया था। यानी यह भव्य कॉरिडोर मात्र पौने तीन वर्ष में बन कर तैयार हो गया। वाकई देश को ऐसा हिन्दुत्ववाद प्रधानमंत्री चाहिए जो धार्मिक स्थलों का विकास करें। राहुल गांधी को अच्छी तरह पता होगा कि काशी विश्वनाथ की सकड़ी गलियों के घर घर में धार्मिक स्थल थे, लेकिन आपसी सहमति से ऐसे धर्म स्थल को हटाया गया, तब जाकर भव्य कॉरिडोर बना है। राहुल गांधी आज जिन हिन्दुत्ववादी की आलोचना कर रहे हैं उन्हीं हिंदुत्ववादियों को लोकसभा में 545 में से 303 सीटें मिली हुई हैं और राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी के पास मात्र 51 सीटें हैं। हिन्दुत्ववादी नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं, जबकि राहुल गांधी हिन्दू बाहुल्य अमेठी से लोकसभा का चुनाव तक हार गए। राहुल गांधी भले ही हिंदुत्ववादियों से नफरत करते हों, लेकिन देश के अधिकतम लोग हिंदुत्ववादियों को पसंद करते हैं। राहुल गांधी भले ही हिन्दू और हिंदुत्व नदियों में भेद करते हों, लेकिन हिन्दुत्ववादी ही सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास के सिद्धांत में भरोसा करते हैं। हिंदुत्ववादियों के शासन में सभी धर्मों के लोग अमन चैन से रह सकते हैं।

हिन्दुत्ववादी नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुसलमानों के घर में भी शौचालय बनवाए हैं तथा रसोई गैस का सिलेंडर भी दिया है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना में मुस्लिम परिवारों को भी पांच लाख रुपए तक का बीमा मिला है। देश के जिन 80 करोड़ लोगों को पिछले एक वर्ष से प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त में मिल रहा है, उनमें करोड़ों मुसलमान भी हैं। राहुल गांधी बताएं कि हिंदुत्ववादियों के शासन में किस पर अत्याचार हो रहा है? यह सही है कि अब तक इस देश पर हिन्दू बनकर जो लोग राज कर रहे थे, उनके हाथ से सत्ता निकल गई है। ऐसे लोग अब छटपटा रहे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री को मिलने वाली एसपीजी की सुविधा भी हथिया ली थी। ऐसे हिन्दुओं के हाथ से न केवल केंद्र की सत्ता फिसल गई है, बल्कि राज्य भी हाथ से निकल गए हैं। पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में एक विधायक भी नहीं होना कांग्रेस के लिए शर्मनाक बात है। देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भीड़ जुटाने की स्थिति में भी नहीं है। यही वजह रही कि कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में करनी पड़ी। इस रैली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी भी देखने को मिली। 40 हजार की क्षमता वाले जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में एक लाख लोगों की भीड़ एकत्रित कर गांधी परिवार के तीनों सदस्यों को चकाचौंध कर दिया। असल में जादूगर का काम ही भ्रम फैलाना होता है। इसे जादूगर की कला ही कहा जाएगा कि जो हकीकत में नहीं होता, उसका अहसास करवा दिया जाता है। राहुल गांधी की हिन्दुत्व पर सोच और जयपुर रैली से कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह भविष्य ही बताएगा।