कब तक चलेगा हुकूमत में दस्तूर आपका

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विनोद यादव
रामराज्य में प्रोफेसर लक्ष्मण यादव हिटलरशाही सत्ता भेदी बाण से आहत

कब तक चलेगा हुकूमत में दस्तूर आपका

कब तक चलेगा हुकूमत में दस्तूर आपका।
इक दिन टूटेगा निश्चित ही गरूर आपका।
उठेगी जुल्म के खिलाफ हर आवाज साहब।
बदल जायेगा अच्छें दिनों का शुरुर आपका।
बेबश हूं इस लिए मैं आज तक चुप बैठा रहा।
सह रहा हूं हर जुल्म ए हजूर आपका।
न खत्म हुआ अपराध न भ्रष्टाचार।
बदला बदला लगता हैं दस्तूर आपका।

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वक्त आयेगा एक दिन देखना जनाब।
हो जायेगा अंहकार ये चूर-चूर आपका।
ये खामोशियाँ एक दिन कोहराम मचाएगी।
ज्यादा दिन दुनिया में नहीं चली है किस की।
शीश झुकेगा कदमों में ये जरूर आपका।
लिखने ,बोलनो ,गाने वालों के खिलाफ हो तुम।
नोटिस का जबाब बटन दबाकर देगें जरूर आपका।

बदला बदला लगता हैं दस्तूर आपका।
जनवादी कहतें हैं समय रहते सम्भल जाईये।
इक दिन होगा झूठों का पुलिंदा चकनाचूर आपका।
सभी बेहाल हैं यहां पर झूठों के विकास।
जुल्मोसितम का जो चल रहा दस्तूर आपका।
सच्चा न्याय कब तलक कैद रहेगा आपकी चौखट पे।
बदल जायेगीं हुकूमत जिस दिन टूट जायेगा गुरुर आपका।

कब तक चलेगा हुकूमत में दस्तूर आपका


विनोद जनवादी
जनकवि / पत्रकार