मण्डल कमीशन की कितनी सिफारिशें अब तक लागू हुईं…?

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चौ.लौटनराम निषाद

मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट के अध्याय 13 में कुल 40 प्वाइंट में सिफारिशें की हैं। हैरानी की बात है कि इनमें बहुत कम सिफारिशें ही लागू हो सकीं हैं।अगर मोटे तौर पर कहा जाए तो सिर्फ 2 बड़ी सिफारिशों पर ही अमल हो सका। रिपोर्ट के पहले प्वाइंट में ही कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ापन और गरीबी, जाति आधारित बाधाओं की वजह से है। यह बाधाएं हमारे सामाजिक ढांचे से जुड़ी हुई हैं। इन्हें खत्म करने के लिए ढांचागत बदलाव की जरूरत होगी। देश के शासक वर्ग के लिए ओबीसी की समस्याओं की अनुभूति में बदलाव कम महत्वपूर्ण नहीं होगा। अभी तक मण्डल कमीशन की 2 सिफारिशें-सरकारी सेवाओं में आरक्षण व उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को ही लागू किया जा सका है।एक को विश्वनाथ प्रताप सिंह ने लागू किया तो दूसरे को अर्जुन सिंह जी ने।

मंडल कमीशन की सिफारिशें-

1.खुली प्रतिस्पर्धा में मेरिट के आधार पर चुने गए ओबीसी अभ्यर्थी को उनके लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे में समायोजित न किया जाए।
2.ओबीसी रिजर्वेशन सभी स्तरों पर प्रमोशन कोटा में भी लागू किया जाए।
3.हर श्रेणी की पोस्ट के लिए रोस्टर व्यवस्था उसी तरह से लागू की जानी चाहिए, जैसा कि एससी और एसटी के अभ्यर्थियों के मामले में है। मतलब ऐसा न हो किसी खास पोस्ट पर रिजर्वेशन पाने वाला पहुंच ही न सके।
4.सरकार से किसी भी तरीके से वित्तीय सहायता पाने वाली प्राइवेट सेक्टर की सभी कंपनियों को आरक्षण लागू करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
5.इन सिफारिशों को असरदार बनाने के लिए पर्याप्त वैधानिक प्रावधान सरकार द्वारा किए जाएं, जिसमें मौजूदा अधिनियमों, कानूनों, प्रक्रिया आदि में संशोधन शामिल है।इस तरह से आरक्षण को सख्ती से लागू करवाया जा सकेगा।
6.अन्य पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा देने के लिए अलग से पैसों का प्रावधान किया जाना चाहिए।जिससे अलग से योजना चलाकर गंभीर और जरूरतमंद स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित किया जा सके और उनके लिए उचित माहौल बनाया जा सके।

  1. पिछड़े वर्ग के बच्चों की स्कूल छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है।इसे देखते हुए ओबीसी की घनी आबादी वाली जगहों पर प्रौढ़ शिक्षा के लिए एक व्यापक और समयबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए। पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए ऐसे स्कूल खोले जाएं, जिनमें रहने की व्यवस्था हो।इससे उन्हें गंभीरता से पढ़ने का माहौल मिल सकेगा। इन स्कूलों में रहने खाने जैसी सभी सुविधाएं, मुफ्त मुहैया कराई जानी चाहिए। इससे गरीब और पिछड़े घरों के बच्चे इनकी ओर आकर्षित होगें।
    9.ओबीसी विद्यार्थियों के लिए अलग से सरकारी हॉस्टलों की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिनमें खाने, रहने की मुफ्त सुविधाएं हों।
    10.ओबीसी शिक्षा बहुत ज्यादा व्यावसायिक प्रशिक्षण की ओर झुकी हुई हो।कुल मिलाकर सेवाओं में आरक्षण से शिक्षित ओबीसी का एक बहुत छोटा हिस्सा ही नौकरियों में जा सकता है। शेष को व्यावसायिक कौशल की जरूरत है, जिसका वह फायदा उठा सकें।
    11.ओबीसी स्टूडेंट्स के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए।
    12.आरक्षण से प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में विशेष कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाए।
    13.गांवों में बर्तन बनाने वालों, तेल निकालने वालों, लोहार, बढ़ई जैसे वर्ग के लोगों को ट्रनिंग दी जाए।उन्हें उचित संस्थागत वित्तीय और तकनीकी सहायता के साथ प्रोफेशनल ट्रेनिंगई दिलाई जाए। जिससे वे अपने दम पर छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकें।इसी तरह की सहायता उन ओबीसी अभ्यर्थियों को भी मुहैया कराई जानी चाहिए, जिन्होंने कोई स्पेशल स्किल कोर्स किया है।
    14.छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बनी विभिन्न फाइनेंशियल और टेक्निकल एजेंसियों का फायदा सिर्फ प्रभावशाली तबके के सदस्य ही उठा पाते हैं। इसे देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि पिछड़े वर्ग की अलग से फाइनेंशियल और टेक्निकल एजेंसियों की व्यवस्था की जाए।
    मंडल कमीशन में छोटे और मझोले उद्योगों से जुड़े पिछड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अलग से संस्थाएं बनाने को कहा गया है।

15.देश के बिजनेस और एंटरप्रेन्योर में ओबीसी की हिस्सेदारी नगण्य है।फाइनेंशियल और टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस का अलग नेटवर्क तैयार किया जाए, जो ओबीसी वर्ग में कारोबारी और औद्योगिक इंटरप्राइजेज को गति देने में सहायक हो।
16.सभी राज्य सरकारों को प्रगतिशील भूमि सुधार कानून लागू करना चाहिए।इससे देश भर के मौजूदा उत्पादन संबंधों में ढांचागत एवं प्रभावी बदलाव लाया जा सकेगा।
17.इस समय अतिरिक्त भूमि का आवंटन एससी और एसटी को किया जाता है। भूमि सीलिंग कानून आदि लागू किए जाने के बाद से मिली अतिरिक्त जमीनों को ओबीसी भूमिहीन श्रमिकों को भी आवंटित की जानी चाहिए।
18.कुछ पेशेगत समुदाय जैसे मछुआरों,बंजारा,बांसफोड़,खाटवास आदि के कुछ वर्ग अभी भी देश के कुछ हिस्सों में अछूत होने के दंश से पीड़ित हैं। उन्हें आयोग ने ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया है, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर विचार करना चाहिए।
19.पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगमों की स्थापना की जानी चाहिए। यह केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए, जो पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए विभिन्न सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक कदम उठा सकें।
20.केंद्र व राज्य स्तर पर पिछड़े वर्ग के लिए एक अलग मंत्रालय/विभाग बनाया जाना चाहिए, जो उनके हितों की रक्षा का काम करे।
21.पूरी योजना को 20 साल के लिए लागू किया जाना चाहिए और उसके बाद इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मंडल आयोग की सिफारिशों को देखें तो इसके सिर्फ दो बड़े बिंदुओं पर ही कुछ हद तक काम हुआ है। पहला है केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण और दूसरा केंद्र सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रवेश में ओबीसी का 27 फीसदी आरक्षण।बाकी सिफारिशें अब भी धूल फांक रही हैं।



(लेखक मंडलवादी सामाजिक न्याय चिन्तक व भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।)