राजू यादव

राष्ट्रपति ने जनपद गौतमबुद्धनगर में सातवें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं, जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण, इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा, बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम, ऐसे में जल प्रबन्धन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम।जल संरक्षण, पर्यावरण, कृषि और विकास से जुड़े मुद्दे न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके समाधान के लिए सबके प्रयास की जरूरत।भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना। जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय, देश में जहां केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी, वहीं अब करीब 10.43 करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही। वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल,देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही। जल सीमित, इसका समुचित उपयोग और रीसाइकलिंग ही इस संसाधन को लम्बे समय तक बनाए रख सकता है, इसलिए हम सब का प्रयास होना चाहिए कि इस संसाधन का मितव्ययता के साथ उपभोग करें।


जनपद गौतमबुद्धनगर के इण्डिया एक्स्पो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में सातवें भारत जल सप्ताह का भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति जी ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असम्भव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं, जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। लेकिन फिलहाल स्थिति पर नजर डालें, तो स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है। ऐसे में जल प्रबन्धन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है। जल संरक्षण, पर्यावरण, कृषि और विकास से जुड़े मुद्दे न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। जल का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि 7वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इजराइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे।


राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले वर्षों में बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके समाधान के लिए सबके प्रयास की जरूरत है। जल शक्ति मंत्रालय इस कार्य को लेकर संकल्पबद्ध है। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना है। जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय, देश में जहां केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी, वहीं अब करीब 10.43 करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। इस मिशन से गांव के लोगों को स्वच्छ पानी पीने के लिए मिल रहा है, जिससे जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। नल से घर-घर जल की आपूर्ति ने पानी की बर्बादी को तो रोका ही है, साथ ही उसके दूषित होने की सम्भावना को भी कम किया है। इस मिशन से हमारी बहनों-बेटियों को पानी के लिए समय और ऊर्जा नष्ट नहीं करनी पड़ रही है। महिलाएं अब इस ऊर्जा और समय को अन्य रचनात्मक कार्यों में लगा पा रही हैं।


पानी हमारे किसानों और कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। हमारे देश में जल संसाधन का करीब 80 प्रतिशत भाग कृषि कार्याें में उपयोग किया जाता है। अतः सिंचाई में जल का समुचित उपयोग और प्रबन्धन जल संरक्षण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप यह योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल संरक्षण तकनीक को अपनाने की भी परिकल्पना करती है। सरकार ने जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया है, जिसके अन्तर्गत पारम्परिक और अन्य जल निकायों का नवीनीकरण, बोरवेल का रीयूज और रीचार्ज, वॉटरशेड विकास और गहन वनरोपण द्वारा जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।


राष्ट्रपति ने कहा कि आगामी दशकों में भारत की शहरी आबादी का तेज गति से बढ़ने का अनुमान है। शहरीकरण के फलस्वरूप वॉटर मैनेजमेण्ट और वॉटर गवर्नेन्स सिस्टम की आवश्यकता होगी। इस सिस्टम से जल का समान और सतत वितरण तथा रीसाइकलिंग जैसे कार्य प्रभावी रूप से हो सकेंगे। इन कार्यों को पूरा करने में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका होगी। इसके दृष्टिगत उन्होंने साइंटिस्ट, टाउन प्लानर्स और इनोवेटर्स से अपील करते हुए कहा कि वे इन कार्यों के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने का प्रयास करें। जल सीमित है और इसका समुचित उपयोग और रीसाइकलिंग ही इस संसाधन को लम्बे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए हम सब का प्रयास होना चाहिए कि इस संसाधन का मितव्ययता के साथ उपभोग करें। इसके दुरुपयोग के प्रति खुद भी जागरूक रहें और लोगों को भी जागरूक बनाएं। उन्होंने कहा कि 7वें वॉटर वीक के दौरान विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह इस पृथ्वी के और मानवता के कल्याण का रास्ता होगा। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से यह अपील करते हुए कहा कि वे जल संरक्षण को अपने आचार-व्यवहार का हिस्सा बनाएं, क्योंकि ऐसा करके ही हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल दे सकेंगे।

पानी का मूल्य वह समझता है,जो पानी के अभाव में जीता है- राज्यपाल

भारत के विकास में पानी की कमी बाधा ना बन सके, इसके लिए काम करते रहना हम सभी का दायित्व। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका, हर घर जल पहुंचेगा, तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति जी के प्रदेश की धरती पर पहली बार आगमन पर राज्य की 25 करोड़ जनता की ओर से उनका स्वागत एवं हार्दिक अभिनन्दन किया।


उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल जी ने राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत के विकास में पानी की कमी बाधा ना बन सके, इसके लिए काम करते रहना हम सभी का दायित्व है, सबका प्रयास बहुत आवश्यक है। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी की वजह से हमारे बच्चे अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण के कार्यों में न लगा पाए, उनका जीवन पानी की किल्लत से निपटने में ही बीत जाए, यह हमें नहीं होने देना है, इसके लिए हमें युद्धस्तर पर अपना काम जारी रखना होगा। आजादी के 75 साल का समय बीत गया है, अब हमें बहुत तेजी से कार्य करना है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी भी हिस्से में टैंकरों या ट्रेनों से पानी पहुंचाने की फिर नौबत न आए।


राज्यपाल ने कहा कि गांधी जी कहते थे कि ग्राम स्वराज का वास्तविक अर्थ आत्म बल से परिपूर्ण होना है। इसलिए हमारा निरंतर यह प्रयास होना चाहिए कि ग्राम स्वराज की यह सोच सिद्धियों की तरफ आगे बढ़े। ग्राम स्वराज का मतलब सिर्फ पंचायतों में चुनाव कराना ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जल और स्वच्छता के लिए आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल जीवन मिशन और पानी समितियां भी हैं।


राज्यपाल ने कहा कि जल जीवन मिशन स्कीम के तहत अब तक 17 करोड़ से अधिक ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया है, जिनमें 03 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को जल का कनेक्शन प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि पानी का मूल्य वह समझता है, जो पानी के अभाव में जीता है। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर घर जल पहुंचेगा, तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। हमारे सामने अनेक महानुभाव के उदाहरण हैं, जिन्होंने जल संरक्षण और जल संचयन को अपने जीवन का सबसे बड़ा मिशन बनाया हुआ है। हमें ऐसे लोगों से सीख लेते हुए प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को दिखाया है कि भारत के लोग दृढ़ संकल्प के साथ सामूहिक प्रयासों से कठिन से कठिन लक्ष्य को भी हासिल कर सकते हैं। हमें एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाना है।

उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल व सरफेस वॉटर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध-मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री की प्रेरणा से पिछले साढे़ 5 वर्षों में प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं विन्ध्य क्षेत्र में जल का बेहतर प्रबन्धन हुआ। प्रदेश सरकार ने कन्वर्जेन्स के माध्यम से निरन्तर प्रयास करते हुए 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करके उनमें जल प्रवाह सुनिश्चित किया। नमामि गंगे परियोजना से काफी अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे। कानपुर में सीसामऊ में सीवर प्वाइण्ट को पूरी तरह से समाप्त किया, आज वही प्वाइण्ट, सेल्फी प्वाइण्ट के रूप में जाना जाता। प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से वर्तमान में गंगा नदी में डॉल्फिन एवं अन्य जलीय जीव देखे जा सकते हैं। उ0प्र0 की ग्राम पंचायतों में 58,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण, जिससे प्रदेश में जल के संचयन के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे। बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र के गांवों में दिसम्बर, 2022 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। स्वच्छता व शुद्ध पेयजल जीवन की आवश्यकता, पूर्वी उ0प्र0 में जहां इंसेफेलाइटिस का प्रभाव रहता था, वहां स्वच्छता व शुद्ध पेयजल को अपनाकर इंसेफेलाइटिस से होने वाली 95 प्रतिशत मौतों को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति जी के प्रदेश की धरती पर पहली बार आगमन पर राज्य की 25 करोड़ जनता की ओर से उनका स्वागत एवं हार्दिक अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही उच्च प्राथमिक विषय उपलब्ध कराए, जिनमें से एक स्वच्छ पेयजल आपूर्ति भी है। उन्होंने कहा कि भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल व सरफेस वॉटर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। प्रदेश के क्रिटिकल जनपदों जैसे बुन्देलखण्ड के अन्तर्गत आने वाले जनपद तथा विन्ध्य क्षेत्र में वर्तमान में सतही जल का पर्याप्त भण्डारण है। प्रदेश सरकार भविष्य के लिए भी जल भण्डारण एवं जल संरक्षण हेतु भरपूर प्रयास कर रही है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से पिछले साढे़ 5 वर्षों में प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं विन्ध्य क्षेत्र में जल का बेहतर प्रबन्धन हुआ है। राज्य में हिमालय से आने वाली ज्यादातर नदियां सिल्ट लेकर प्रदेश में प्रवेश करती हैं। इनका चैनलाइजेशन नहीं होने से कुछ छोटी नदियां लुप्तप्राय हो गई थीं। प्रदेश सरकार ने कन्वर्जेन्स के माध्यम से निरन्तर प्रयास करते हुए 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करके उनमें जल प्रवाह सुनिश्चित किया है। नमामि गंगे परियोजना से काफी अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। प्रदेश में कानपुर में गंगा जी में बड़ी मात्रा में सीवर गिरने से मां गंगा प्रदूषित होती थीं। प्रदेश सरकार ने कानपुर में सीसामऊ में सीवर प्वाइण्ट को पूरी तरह से समाप्त किया। आज वही प्वाइण्ट, सेल्फी प्वाइण्ट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि कानपुर के जाजमऊ में गंगा नदी में जलीय जीव लुप्तप्राय हो गए थे। प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से वर्तमान में गंगा नदी में डॉल्फिन एवं अन्य जलीय जीव देखे जा सकते हैं।


राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019 में प्रयागराज कुम्भ का आयोजन किया गया था। प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता, सुरक्षा और सुव्यवस्था का मानक प्रस्तुत किया। गंगा जी और यमुना जी के तट पर इतना बड़ा सांस्कृतिक आयोजन, मानवता का जमावड़ा, गंगा जी के स्नान के लिए हुआ था। दशकों के बाद कुम्भ में आए पूज्य संतों और श्रद्धालुओं को गंगा जी में निर्मल व अविरल जल देखने को मिला।यह वर्ष भारत की आजादी का अमृत महोत्सव है। इस वर्ष में प्रधानमंत्री जी ने पूरे देशवासियों का जल संरक्षण का आह्वान किया था। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत तथा नगर निकाय में बड़े पैमाने पर अमृत सरोवर बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों में 58,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है, जिससे उत्तर प्रदेश में जल के संचयन के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग पर जोर देते हुये कहा कि घरों एवं सरकारी भवनों मंे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित कराये जाने की कार्यवाही निरन्तर की जा रही है।


प्रदेश सरकार ने राज्य में वर्ष 2018 में प्लास्टिक एवं थर्माकोल के प्रयोग पर रोक लगाकर जनसामान्य को परम्परागत बर्तनों के उपयोग तथा मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए प्रेरित किया। मिट्टी के बर्तन बनाने वालांे को इलेक्ट्रिक चाक एवं सोलर चाक उपलब्ध कराने के साथ ही, अप्रैल से जून तक उन्हें गांव के तालाब की मिट्टी निःशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण के अनेक प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्य कराए जा रहे हैं।बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र के गांवों में दिसम्बर, 2022 तक हम शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की स्थिति में होंगे। वर्तमान में स्वच्छता व शुद्ध पेयजल जीवन की आवश्यकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में जहां इंसेफेलाइटिस का प्रभाव रहता था, वहां स्वच्छता व शुद्ध पेयजल को अपनाकर इंसेफेलाइटिस से होने वाली 95 प्रतिशत दुःखद मौतों को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई है।इस अवसर पर भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एवं बिश्वेश्वर तुडू, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा देश-विदेश के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।