भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है भारत

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मुख्यमंत्री अपने आवास पर श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’के अवसर पर आयोजित ‘गुरुबाणी कीर्तन’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए । मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी की सवारी कास्वागत किया तथा पवित्र श्री गुरुग्रन्थ साहिब को अपने सिरपर उठाकर कार्यक्रम स्थल पर ले जाकर स्थापित किया । मुख्यमंत्री को सरोपा, प्रतीक चिन्ह एवं कृपाण भेंट कर सम्मानित किया गया । देश और धर्म के लिए अपना बलिदान देने वाले गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों-साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह की स्मृति में ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर किया जाना मेरे लिए सौभाग्य ।भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम भारत की सिख परम्परा में देखने को मिलता है ।
सिख गुरुओं ने अलग-अलग कालखण्ड में विदेशी आक्रान्ताओं कोजवाब देेने में जो भूमिका निभायी, वह आज प्रेरणा का स्रोत।गुरु नानक देव जी ने बाबर को जाबर कहने का साहस किया,गुरु तेगबहादुर देव जी ने कश्मीरी पण्डितों की रक्षा के लिए शहादत दी । सिख गुरुओं ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपनाबलिदान दिया, जिसे देश सदैव याद रखेगा । यह कार्यक्रम सिख पंथ पर उपकार नहीं, सिख गुरुओं ने जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत की परम्पराओं तथा देश की अस्मिता को बचाएरखने का कार्य किया उसकी याद में इस प्रकार के आयोजन किये जा रहे । गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार साहिबज़ादों को पाठ्यक्रम में स्थान देना हमारे लिए महत्वपूर्ण, जिससे आज की पीढ़ी देश और धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके दुनिया में सिख कौम अपने पुरुषार्थ के लिए जानी जाती है। भारत की यह गुरु परम्परा एक दिव्य परम्परा,जो उस कालखण्ड में हिन्दुस्तान को बचाने के लिए आयी थी। गुरु परम्परा से सम्बन्धित यह कार्यक्रम सिर्फ गुरुद्वारेतक सीमित न होकर प्रत्येक भारतीय के घर में होना चाहिए।ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े गुरुद्वारों एवं सिख परम्परा से जुड़ेस्थलों का विस्तार होना चाहिए, इसके लिए एक कार्ययोजना बनाकरप्रस्तुत की जाए, प्रदेश सरकार इसमें पूर्ण सहयोग करेगी। गुरु तेग बहादुर सिंह जी एवं गुरु गोबिन्द सिंह जी से सम्बन्धितलखनऊ के यहियागंज गुरुद्वारे के विस्तारीकरण पर विचार किया जाए।सिख गुरुओं के इतिहास एवं उनकी स्मृतियों से सम्बन्धित एक संग्रहालय की। स्थापना लखनऊ में होनी चाहिए, वर्तमान प्रदेश सरकार इसके निर्माण में पूर्ण सहयोग करेगी।


लखनऊ।
मुख्यमंत्री आवास पर श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के अवसर पर आयोजित ‘गुरुबाणी कीर्तन’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को सरोपा, प्रतीक चिन्ह एवं कृपाण भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने अपने आवास पर श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी की सवारी का स्वागत किया तथा पवित्र श्री गुरुग्रन्थ साहिब को अपने सिर पर उठाकर कार्यक्रम स्थल पर ले जाकर स्थापित किया। उन्होंने पवित्र ग्रन्थ पर माथा भी टेका। देश और धर्म के लिए अपना बलिदान देने वाले गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों-साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह की स्मृति में ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आवास पर पूर्व में गुरु नानक जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित ‘महान कीर्तन दरबार’ आयोजित किया गया था। विगत वर्ष भी ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन सम्पन्न हुआ था।


भारत के मध्यकालीन इतिहास में गुरु नानक जी से गुरु गोबिन्द सिंह जी तक चली आ रही सिख परम्परा एक शक्तिपुंज के रूप में है। भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम भारत की सिख परम्परा में देखने को मिलता है। भारत के सिख इतिहास से पता चलता है कि विदेशी आततायियों का अन्त गुरु परम्परा ने कर दिया था। विदेशी आततायियों को सिखों के पुरुषार्थ एवं गुरु परम्परा ने इतना क्षीण कर दिया कि वे भारत को गुलाम बनाने की अपनी मंशा को पूरा न कर पाए। सिख गुरुओं ने अलग-अलग कालखण्ड में विदेशी आक्रान्ताओं को जवाब देेने में जो भूमिका निभायी थी, वह आज प्रेरणा का स्रोत है। गुरु नानक देव जी ने बाबर को जाबर कहने का साहस किया था। गुरु तेगबहादुर देव जी ने कश्मीरी पण्डितों की रक्षा के लिए शहादत दी थी। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने ‘विचित्र नाटक’ के माध्यम से आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि यहां पर उपस्थित सभी का अन्तःकरण माता गुज़री देवी के प्रति सम्मान से भरता है। एक माँ जिसने गुरु तेगबहादुर एवं अपने पुत्र के चार पुत्रों के बलिदान को देखा। वह कितनी मजबूत रही होंगी। भारत के इसी इतिहास ने विदेशी आक्रान्ताओं से जूझने, उनसे लड़ने की एक नयी प्रेरणा निरन्तर प्रदान की है। यही प्रेरणा 04 साहिबज़ादों ने अपने बलिदान से भी दी। देश व धर्म के प्रति किसी भी प्रकार का विचलन चारों साहिबज़ादों को स्वीकार नहीं था। दो साहिबज़ादे युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये थे, दो सरहिन्द की दीवारों में चुनवा दिए गए।

सिख समाज को इतना सम्मान देने के लिए मैं मुख्यमंत्री जी का ऋणी-जल शक्ति राज्यमंत्री


सिख गुरुओं ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, जिसे देश सदैव याद रखेगा। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए बिना दुःखी हुए पूरे उत्साह के साथ कहा था कि ‘चार नहीं तो क्या हुआ जीवित कई हजार’। यहां पर आयोजित यह कार्यक्रम सिख पंथ पर उपकार नहीं है। सिख गुरुओं ने जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत की परम्पराओं तथा देश की अस्मिता को बचाए रखने का कार्य किया, उनकी याद में इस प्रकार के आयोजन किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार साहिबज़ादों को पाठ्यक्रम में स्थान देना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, जिससे आज की पीढ़ी देश और धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। दुनिया में सिख कौम अपने पुरुषार्थ के लिए जानी जाती है। भारत की यह गुरु परम्परा एक दिव्य परम्परा है, जो अपने विशिष्ट आयोजन व लोगों का मार्गदर्शन करने के साथ ही, उस कालखण्ड में हिन्दुस्तान को बचाने के लिए आयी थी। सिखों की देश भक्ति की परम्परा का अनुसरण करते हुए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि जो व्यक्ति या समाज, जाति या समुदाय अपने इतिहास को विस्मृत कर देता है, वह कभी अपने उज्ज्वल भविष्य को आगे नहीं बढ़ा सकता। प्रत्येक सिख अपनी परम्परा का सम्मान करते हुए उसको मजबूती से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। यह देश व धर्म के प्रति गुरु परम्परा की प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने का कार्य है।

गुरु परम्परा से सम्बन्धित यह कार्यक्रम सिर्फ गुरुद्वारे तक सीमित न होकर प्रत्येक भारतीय के घर में भव्य तरीके से होना चाहिए। जो भी भारत की एकता, अखण्डता व स्वाधीनता के प्रति सजग है, उसके मन में गुरु परम्परा के प्रति सम्मान का भाव इसी रूप में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े गुरुद्वारों एवं सिख परम्परा से जुड़े स्थलों का विस्तार होना चाहिए। इसके लिए एक कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत की जाए, प्रदेश सरकार इसमें पूर्ण सहयोग करेगी। उन्होंने गुरु तेग बहादुर सिंह जी एवं गुरु गोबिन्द सिंह जी से सम्बन्धित लखनऊ के यहियागंज गुरुद्वारे के विस्तारीकरण पर भी विचार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं के इतिहास एवं उनकी स्मृतियों से सम्बन्धित एक संग्रहालय की स्थापना लखनऊ में होनी चाहिए। इस संग्रहालय को तकनीकी के साथ जोड़कर बनाया जाए, जिससे वर्तमान पीढ़ी भी इससे मजबूती के साथ जुड़ सके। वर्तमान प्रदेश सरकार इसके निर्माण में पूर्ण सहयोग करेगी।

मुख्यमंत्री जी सदैव सिख धर्म के त्याग और बलिदान कीबातें बेबाकी से रखते हैं-डॉ0 दिनेश शर्मा


उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि उनके लिए गुरुद्वारा हमेशा श्रद्धा का केन्द्र रहा है। गुरुद्वारे के भजन व कीर्तन हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। आज प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में साहिबज़ादा शहीद बच्चों के इतिहास के विषय में बताया गया है। सिख धर्म हमेशा धरती माँ की रक्षा का संकल्प करता है। मुख्यमंत्री जी सदैव सिख धर्म के त्याग और बलिदान की बातें बेबाकी से रखते हैं।इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जल शक्ति राज्यमंत्री श्री बलदेव ओलख ने कहा कि सिख समाज को इतना सम्मान देने के लिए वे मुख्यमंत्री जी के ऋणी हैं। आज साहिबज़ादे व माता गुज़री के शहादत दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने स्वयं श्री गुरुग्रन्थ साहिब की सवारी का स्वागत किया। पूरे भारत में किसी भी मुख्यमंत्री के आवास पर सिख गुरुओं से सम्बन्धित इस प्रकार का ऐतिहासिक कार्यक्रम नहीं हुआ है, यह सिख समाज के लिए एक शान की बात है। कार्यक्रम को विधान परिषद सदस्य स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य परमिन्दर सिंह, गुरु गोबिन्द सिंह स्टडी सर्किल के बलविन्दर सिंह ने भी सम्बोधित किया।