सजा के बजाए लखनऊ अधीक्षक को तोहफा….!

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सजा के बजाए लखनऊ अधीक्षक को मिलेगा तोहफा !जुगाड़ से अलीगढ़ व मेरठ जेल पर तैनाती कराने की जुगत में,ढाई साल के कार्यकाल में ढाई दर्जन घटनाएं होने पर नहीं हुई कोई कार्यवाही।

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में आए दिन घटनाएं होने के बाद शासन जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें तोहफा देने की तैयारी में है। लखनऊ जेल अधीक्षक को लखनऊ से हटकर और अधिक कमाई वाली अलीगढ़ व मेरठ जेल जाने की जुगत में लगे है। जुगाड़ के बल पर कमाऊ जेल पर जाने को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जिस अधीक्षक के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा है शासन उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए तोहफा देने की तैयारी में जुटा हुआ है।

मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी की जिला जेल में तैेनात अधीक्षक आशीष तिवारी के ढाई साल के कार्यकाल में जेल में ढाई दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुई। जेल प्रशासन के उत्पीडऩ से आजिज आकर चार बंदियों को आत्महत्या करने तक के लिए विवश होना पड़ा। यही नहीं जेल में बंदियों की पिटाई कर वसूली के एक मामले की शिकायत आईजी जेल तक पहुंचने के बाद आरोपी अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आदर्श कारागार का अतिरिक्त प्रभार होने के दौरान जेल से दो खूंखार कैदियों की फरारी की घटना भी किसी से छिपी नहीं है। इसके अलावा जेल से बंग्लादेशी बंदियों की ढाका से फंडिंग का मामला, एवं बंग्लादेशी कैदी की गलत रिहाई का मामला भी किसी से छिपा नहीं है। इन घटनाओं के बाद शासन व जेल मुख्यालय ने आरोपी जेल अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। सिर्फ जांच कराकर इन गंभीर मामलों को रफादफा कर दिया गया।

यही नहीं लखनऊ जेल में बंदियों के कल्याण के लिए संचालित कैंटीन में मनमाने दामों पर खानपाप की वस्तुएं बेंचकर प्रतिमाह लाखों रुपए के वारे-न्यारे करने के मामले भी दोषी अफसरों के खिलाफ आजतक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सात माह तक जेल की सलाखों में रहने वाले जबरिया रिटायर किए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने जेल कैंटीन में मनमाने दामों पर दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ खानपान की वस्तुएं बेचे जाने की शिकायत लोकायुक्त से कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की है।

सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों जेल मुख्यालय ने आरोपी जेल अधीक्षक को बांदा जेल स्थानांतरित किए जाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा था। अधीक्षक ने शासन में सेटिंग-गेंटिग से इस प्रस्ताव को यह कहकर वापस करा दिया कि बांदा जेेल भेजने के बजाए उन्हें निलंबित कर दिया जाएं किंतुृ बांदा नहीं भेजा जाए। सूत्र बताते हैं कि पिछले करीब ढाई साल के कार्यकाल के दौरान जेल में तमाम घटनाएं होने के बाद कार्रवाई करने के बजाए आरोपी अधीक्षक को अलीगढ़ व मेरठ जैसी कमाऊ जेल पर भेजे जाने की कवायद चल रही है। इसको लेकर विभागीय अधिकारियों में हलचल मची हुई है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि कार्रवाई करने के बजाए आरोपी अधीक्षक को तोहफा देने की तैयारी है। उधर अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी से काफी प्रयास के बाद भी बात नहीं हो पाई। डीआईजी जेल मुख्यालय ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।