वन विभाग में अनियमिततओं का बोलबाला

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लखनऊ। प्रदेश में वन विभाग के आला अफसरों की अनदेखी और भ्रष्ट कार्यशैली के चलते अनियमिततओं का बोलबाला है। विभागीय अफसरों की तैनाती में अनियमितता का आलम यह है कि यहां बड़े पैमाने पर कैडर डिवीजन में भारतीय वन सेवा के बजाय नान कैडर के सहायक वन संरक्षकों (एसीएफ) की तैनाती किए जाने की तैयारी चल रही है और इसका प्रस्ताव विचाराधीन है।


बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में वन विभाग में 66 डिवीजन कैडर डिवीजन हैं, जिनमें भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की तैनाती होती है। शेष 20 डिवीजन में नान कैडर हैं, जिनमें प्रान्तीय वन सेवा के सहायक वन संरक्षक(ए.सी.एफ) की तैनाती होती है। लेकिन विभाग ने नियमों की अनदेखी करते हुए नौ कैडर डिवीजन जैसे संतकबीर नगर, औरैया, कैमूर आदि में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को तैनात कर रखा है तथा कैडर डिवीजन सुल्तानपुर, सीतापुर आदि में प्रान्तीय सेवा के सहायक वन संरक्षकों को तैनात कर रखा है।

वैसे वर्तमान समय में भी सहायक वन संरक्षकों को महत्वपूर्ण कैडर डिवीजनों में तैनाती का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया गया है और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की तैनाती महत्वहीन नान कैडर डिवीजन में है। जबकि भारतीय वन सेवा कैडर नियमावली 1966 में व्यवस्था है कि कैडर पद पर नान कैडर के अधिकारियों को तैनाती नहीं दी जा सकती। यदि ऐसा आवश्यक हो तो भारत सरकार से इसकी पूर्वानुमति ली जाएगी और यदि यह तैनाती तीन माह अथवा इससे अधिक हो तो भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना तैनाती नहीं की जा सकती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में वन विभाग के आला अफसरों की गलत कार्यशैली से यहां उल्टी गंगा बह रही है।

वन विभाग में कैडर अधिकारियों को नान कैडर और कैडर के पदों पर नान कैडर( सहायक वन संरक्षकों) को पूर्व में तैनाती दी गई थी। विभागीय सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में भी समस्त कैडर पदों पर भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की तैनात न करके सहायक वन संरक्षकों को तैनात करने की तैयारी चल रही है। प्रदेश में वन विभाग में उच्चाधिकारियों द्वारा की जा रही अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर अब एक ओर जहां विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं वन विभाग के कैडर और नान कैडर अफसरों में टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।