क्या हक हिस्सेदारी मांगना अपराध है….?

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आज सभी विपक्ष के बड़े-बड़े नेता अति पिछड़े,अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज की लड़ाई लड़ने वाले नेता ओमप्रकाश राजभर पसंद नहीं आ रहे हैं, सभी विपक्ष के लोग एक साथ हमलावर क्यों हैं, क्या कारण है कोई नेता अति पिछड़ों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है, जबसे ओमप्रकाश राजभर समाज की समस्याओं पर चर्चा करने लगे है, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की लड़ाई लड़ रहें है, तब से सारे विपक्ष के लोग ओमप्रकाश राजभर को कोशने लगें हैं किसी भी नेता की हिम्मत नहीं है कि कोई सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराने की बात करें। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट क्या है पिछड़ी जाति को लागू 27ः आरक्षण के बंटवारे पर बनी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट जिसमें 7ः पिछड़ा 9ः अति पिछड़ा 11ः सर्वाधिक पिछड़ा इसको लागू कराने की विपक्ष के किसी नेता की हिम्मत नहीं पड़ रही हैं। कि सामाजिक न्याय समीति की रिपोर्ट लागू कराने पर कोई बोले इस मुद्ये को लेकर जब ओमप्रकाश राजभर लड़ाई लड़ रहे है इससे ध्यान भटकाने के लिए अति पिछड़ों को गुमराह करने के लिए ओमप्रकाश राजभर का विरोध किया जा रहा है।

सन् 1952 से चुनाव हो रहंे तमाम सरकारें आई और गई क्या किसी ने अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के विषय में बोला आज जब ओमप्रकाश राजभर अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के सवाल पर उनके हक अधिकार मान सम्मान की बात बोल रहें है तो सभी विपक्ष के लोग लामबंद होकर सिर्फ ओमप्रकाश राजभर का विरोध करने में लगे है। आज विपक्ष के लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि जब सत्ता में रहते थे तो क्या अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज की याद आई जो आज अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के नेता का विरोध कर रहे हैं। क्या हक हिस्सेदारी मांगना अपराध है। मैं विपक्ष के लोगों से पूछना चाहता हूं कि सत्ता में रहने वाले लोगों जब कल सत्ता में थे तब अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के सवाल पर जब पुलिस की भर्ती होती थी, सरकारी नौकरियों में जो भर्ती होती थी तो क्या अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के विषय में सोचा आज जब ओमप्रकाश राजभर उनके हक अधिकार की आवाज बुलन्द कर रहें है। उनकी समस्याओं को लेकर लड़ाई सदन से लेकर सड़क तक लड़ते हैं तब सदन में भी अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के नेताओं ने साथ नहीं दिया साथ देने की बजाय आज विपक्ष के सभी नेता एकजुट होकर ओमप्रकाश राजभर के ऊपर हमलावर है।

ओम प्रकाश राजभर ने कहा किअगर पढ़ा लिखा व्यक्ति झाड़ फूंक की बात करे, तो यह उसके दिमाग का दिवालियापन –

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने सपा अध्यक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि पढ़ा लिखा व्यक्ति अगर वो झाड़-फूंक पर विश्वास करता है तो हम समझते हैं कि ये उसके दिमाग का दिवालियापन है। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। आज सभी विपक्ष एकजुट होकर सिर्फ ओमप्रकाश राजभर की खिलाफत कर रहे हैं। दरअसल, सपा सुप्रीमो ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ओपी राजभर के अंदर किसी दल की आत्मा घुसने और झाड़-फूंक कराने की बात कही थी, उसी बयान पर ओपी राजभर ने पलटवार किया है।

अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज की बात ना बोले दलितों की बात ना बोलें ओमप्रकाश राजभर अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज को जगा रहा है इस नाते विपक्ष के सभी नेता अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज को गुमराह करने,यह समाज अपने हक अधिकार के प्रति जागरूक ना होने पाए, उनका सिर्फ वोट लेने का काम करो, उनको हिस्सा देने का काम मत करो। आज इसी बात का विरोध जब पूरे मुस्तैदी से सड़क से सदन तक ओमप्रकाश राजभर कर रहा है तो इसी वजह से सारे विपक्ष के लोग मिलकर ओमप्रकाश राजभर का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष के लोग जब सत्ता में थे अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज को कितना हिस्सा दिया, उनके ऊपर हो रहे जुल्म ज्याति अत्याचार के ऊपर कौन बोला था। किसकी हिम्मत बोलने की है आज जब हम अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज को जगा रहे हैं हक के लिए उनको जागृत कर रहे हैं  उनके ऊपर हो रहंे, अत्याचार को लेकर के लड़ रहे हैं, तो अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज को गुलाम बनाकर रखने वाले लोग आज ओमप्रकाश राजभर का विरोध कर रहे हैं ऐसे लोगों से सावधान होने की जरूरत है क्योंकि यह विपक्ष के लोग जब सत्ता में रहते हैं तब हम अति पिछड़े, अति दलित अल्पसंख्यक एवं आदिवासी समाज के लोग इनको नहीं दिखाई देते हैं।

हाई कोर्ट का आदेश दिनांक 11.03.2022 को भर/राजभर जाति को 2 माह के अंदर अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है। सदन के अंदर इस बात को लेकर जब ओमप्रकाश राजभर ने आवाज उठाई तो पक्ष या विपक्ष का कोई भी राजभर नेता साथ नहीं दिया। विभिन्न पार्टियों से जीतकर आए राजभर जाति के विधायक उनकी भी जबान सदन के अंदर नहीं खुली। सदन से बाहर समाज के उत्थान की बात करने वाले राजभर समाज के नेताओं से यह सवाल समाज को जरूर पूछना चाहिए। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सर्व समाज के उत्थान के लिए एक संकल्प ‘‘सहयोग आपका संघर्ष हम सबका‘‘ एवं जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के साथ सदैव लक्ष्य प्राप्ति तक संघर्षरत रहेगी।