क्या शिवपाल भाजपा में जा रहे हैं….?

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आज कल उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा शिवपाल को राज्यसभा भेज सकती है और जसवंतनगर सीट उनके बेटे आदित्य यादव को दे सकती है. अखिलेश ने विधानसभा चुनाव में आदित्य यादव को टिकट देने से मना कर दिया था.ऐसा कहा जा रहा है कि बिगत दिनों दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातों के दौर फिर लखनऊ में शिवपाल के योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिवपाल यादव के राज्यसभा जाने की पटकथा तैयार कर ली गई है.शिवपाल सिंह यादव भाजपा की मदद से राज्यसभा जा सकते हैं. दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातों के दौर और फिर योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिवपाल यादव के राज्यसभा जाने की पटकथा तैयार कर ली गई है.परन्तु शिवपाल सिंह यादव कच्चे खिलाडी नहीं है वह उत्तर प्रदेश में रहकर ही राजनीति करना चाहेंगे।जिस प्रकार भतीजे ने अपमान किया है उसका हिसाब भी चाचा करना चाहते हैं.

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव लगातार उपेक्षा से आहत होकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं. हालांकि इसकी अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है,यह सिर्फ कयास ही है, चर्चा है कि शिवपाल यादव ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुकाकात की थी. मुख्यमंत्री योगी और शिवपाल यादव की इस मुलाकात के बाद से सियासी गलियारे में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है.सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि इटावा से दिल्ली जाने के दौरान शिवपाल ने पूर्व विधायक हरिओम यादव से भी मुलाकात की थी.उत्तर प्रदेश में राजनीति में जल्द ही शिवपाल यादव बड़ा एलान कर सकते हैं. आपको बता दें कि विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.

उत्तर प्रदेश में चाचा भतीजे की 24 मार्च को आखिरी बार मुलाकात हुई थी। सपा के सिंबल पर लड़कर विधायक बने शिवपाल यादव ने अब सपा संगठन में ही बड़ी भूमिका मांगी, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी प्रसपा का आधार बढ़ाने की सलाह दी,ऐसा सूत्रों के हवाले से जानकारी हुई है.पिता कि शिवपाल अब उम्र के इस पढ़ाव पर चाहते हैं कि उनके पास भी एक सुरक्षित घर हो और बेटे का राजनीतिक भविष्य भी संरक्षित हो सके. इस बार भी शिवपाल अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव ने इससे इनकार कर दिया। शिवपाल यादव की भाजपा से नजदीकियों के पीछे यही अहम वजह मानी जा रही है.

यादव परिवार में एक बार फिर फूट पड़ पड़ती नज़र आ रही है, कुछ दिन बहू अपर्णा यादव ने परिवार की पार्टी छोड़कर भगवा चोला ओढ़ लिया तो अब छोटे भाई शिवपाल यादव भी उसी राह पर हैं. 2017 विधानसभा चुनाव से पहले अपनी अलग पार्टी बनाने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल सिंह यादव हाल में संपन्न हुए चुनाव में भतीजे अखिलेश यादव से मिली निराशा से इस कदर आहत हैं कि भाजपा में जाने को तैयार होते नज़र आ रहे हैं. आखिर 7 मार्च तक अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात करने वाले शिवपाल अब विरोधी खेमे में जाने को क्यों तैयार हो गए हैं…..?

शिवपाल की नारजगी की शुरुआत करीब 6 साल पहले उस समय हुई जब सपा की बागडोर मुलायम सिंह यादव के हाथ से निकलकर अखिलेश यादव के पास चली गई. मुलायम के सपा मुखिया रहते शिवपाल सपा में हमेशा नंबर दो की हैसियत में रहे हैं.उनका सम्मान होता रहा,मगर, सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आने के बाद सम्मान न मिलने की वजह से यह दूरियां बढ़ती गईं. शिवपाल का राजनीतिक घर ही पराया हो गया, उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन करके अपनी अलग जमीन तैयार करने की कोशिश की जिसमें वह सफल होते-होते रह गये.जिसका करें भ्रातप्रेम रहा है शिवपाल यादव कोई काम स्वछंद होकर नहीं कररहे थी वह नेता जी से सलाह से करते रहे हैं लेकिन नेता जी के चरख़ा दांव से मात खा गये जिसके कारण उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिल पाई.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिवपाल का पाला बदलना तय माना जा रहा है.शिवपाल सिंह लगातार भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं.असल में शिवपाल नेता विरोधी दल बनना चाहते थे लेकिन आजमगढ़ के सांसद पद से इस्तीफा देकर अखिलेश खुद नेता विरोधी दल बन गए.शिवपाल सिंह यादव ने राजनीति में बड़े संकेत दिए हैं. शिवपाल सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर फॉलो कर लिया है,इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी फॉलो किया है. इससे पहले शिवपाल सिंह यादव पीएम और सीएमओ को ही फॉलो करते थे. शिपवाल सिंह यादव अब इन नेताओं को पर्सनली फॉलो कर रहे हैं.

राजनीतिक मजबूरियों एवं नेताजी की बात मानकर विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने एक बार फिर भतीजे अखिलेश का साथ मंजूर किया. बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर वह भतीजे के साथ गठबंधन को तैयार हो गए. लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी और उन्हें सपा के सिंबल पर ही लड़ने को मजबूर किया, उससे प्रसपा प्रमुख बेहद आहत हो गए थे.इस हालत में प्रसपा के कई बड़े नेता शिवपाल यादव का साथ छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए.चुनाव के दौरान ही शिवपाल यादव का दर्द कई बार जुबान पर आ गया था.अब शिवपाल यादव का यही दर्द खुल कर सामने आने जा रहा है.जब शिवपाल यादव का यह दर्द प्रदेश में खुल कर आयेगा तो कई तरह के परिवर्तन भी नज़र आएँगे.अगर शिवपाल के साथ यादव वोट चला गया तो सपा के लिए बड़ा ख़तरा हो सकता है.ख़ैर हम यह भविष्य पर छोड़ते हैं.

सूत्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा शिवपाल को अखिलेश यादव के इस्तीफा देने से रिक्त हुई आजमगढ़ संसदीय सीट के उपचुनाव में भी उतार सकती है. अगर ऐसा होता है तो शिवपाल अपनी जसवंतनगर विधानसभा सीट से बेटे आदित्य यादव को उपचुनाव में भाजपा के टिकट से उतार सकते हैं.अखिलेश यादव की ओर से आजमगढ़ की सीट खाली किए जाने के बाद इस पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होना है. एक चर्चा यह भी है कि शिवपाल यादव को भाजपा इस सीट से उतार सकती है. यह सीट सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन सपा कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ रखने वाले शिवपाल के इस सीट से उतारे जाने से भाजपा को परिणाम हक में आने की उम्मीद है. भाजपा हर हाल में लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहेगी, जिससे 2024 से पहले एक और सकारात्मक संदेश दे सके. [/Responsivevoice]