प्रमुख सचिव का आदेश भी नहीं मानते जेल अफसर..!

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भ्रष्टाचारी को बचा रहे जेल ऑफिसर..!
भ्रष्टाचारी को बचा रहे जेल ऑफिसर..!

एक-एक जेल पर 12 से 15 साल से जमें बाबू व जेलकर्मी।अलीगढ़ जेल में एक रिटायरकर्र्मी से लिया जा रहा दो साल से काम।प्रमुख सचिव का आदेश भी नहीं मानते जेल अफसर..!

कुमार राकेश

लखनऊ। जेल राज्यमंत्री के बाद प्रमुख सचिव का आदेश भी जेल अफसरों के ठेंगे पर रहा। विभागीय वार्डर व हेड वार्डर समेत अधिकारियो के अटैचमेंट को समाप्त कर मूल स्थान पर तैनात किए का प्रमुख सचिव का आदेश भी हवा हवाई ही साबित हुआ। स्थानांतरित वार्डर संवर्ग के कर्मचारियों की समबद्धता दूर करना तो दूर ही बात जेल अधिकारी ढाई साल पहले रिटायर हुए कर्मचारी तक से काम ले रहे है। यही नहीं कई कारागारों में स्थानांतरित कर्मी वर्षों से डेरा जमाए हुए हैं।

प्रदेश के जेल राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने प्रभार संभालने के एक माह बाद ही विभाग के आला अफसरों को निर्देश किया था कि जेल के समस्त सम्बद्ध कर्मचाारियों को मूल तैनाती स्थल पर भेजा जाए। इस आदेश के तहत कोई कार्यवाही नहीं हुई। बीती 20 अक्टूबर को प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह ने प्रदेश के समस्त अधिकारियों को परिपत्र जारी किया इसमें कहा गया कि प्रदेश भर के समस्त संबद्ध कर्मचारियों और अधिकारियों की संबद्धता समाप्त कर उन्हें मूल स्थानातरित स्थल पर भेजा जाए। इस आदेश को हुए करीब एक माह से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अभी तक एक भी अधिकारी कर्मचारी को इधर-उधर नहीं किया गया है।

सम्बद्धता के बजाए लगाई जा रही ड्यूटीजेलकर्मियों की सम्बद्धता समाप्त कर उन्हें मूल तैनाती स्थल पर भेजे जाने के सवाल पर जेल मुख्यालय के अधिकारी इस शासन का मामला बताते हुए कुछ भी कहने से बचते नजर आए। विभाग के उच्चाधिकारी ने बताया कि विभाग का काम प्रभावित नहीं होने पाए इसके लिए कुछ कर्मियों और सुरक्षाकर्मियां की अन्य जेलों पर डय़ूटी जरूर लगाई गई है। विभागीय अफसर सम्बद्ध करने के बजाए अब कर्मियों की ड्यूटी लगाकर शासन को गुमराह कर रहे हैं। वर्षो से एक ही जेल पर तैनात कर्मियों के बारे में अधिकारियों का कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी। इन्हें हटाया जाएगा।

विभागीय सूूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानांतरित कर्मियों के अन्य जेलों पर संबद्ध होने के साथ निडर जेल अफसर रिटायर कर्मिैयों तक से काम करा रहे हैं। पश्चिम की कमाऊ कही जाने वाली अलीगढ़ जेल में तैनात अकाउंटेंट अनिल शर्मा करीब दो साल पहले रिटायर हो गया। रिटायर होने के बाद भी यह अकॉउंटेंट आज भी जेल पर काम कर रहा है। काम के एवज में जेल प्रशासन के अधिकारी इसे कैंटीन से प्रतिदिन होने वाली कमाई से रिटायर अकाउंटेंट को प्रतिमाह मोटी रकम के रूप में वेतन देते है। इसके अलावा गल्ला गोदाम में आने वाले खाद्यान का कमीशन इसकी अतिरिक्त कमाई का जरिया बना हुआ है। यही नही इस जेल पर तैनात वार्डर अरुण, नितिन, महिला हेड वार्डर लवली व लता का तीन साल पहले तबादला हुआ था।

इन्हें रिलीव करने के बजाए अफसरों ने मोटी रकम लेकर विभिन्न जेलो से पुन: इसी जेल पर सम्बद्ध (डयूटी लगाकर ) कर दिया गया। इसके अलावा गोरखपुर जेल पर तैनात वरिष्ठ सहायक कृष्ण कुमार पांडे पिछले काफी लंबे समय से इसी जेल पर जमे हुए है। कहने को तो इनका कई बार तबादला हुआ किंतु जुगाढ़ व धनबल की वजह से अधिकारी इन्हें हटा नही पाए। हाल ही में इनका तबादला गोरखपुर से गोंडा किया गया है। इन्हें रिलीव ही नही किया गया। इसी प्रकार आगरा जेल परिक्षेत्र कार्यालय में बीते करीब 15 साल जमीं रंजना कमलेश के साथ मथुरा जेल में बन्दियों को दी जाने वाली रोटियों को सुखाकर बेचने के लिए सुर्खियों में रहने वाले चूड़ामणि पिछले 13 साल से जमे है। इनका तबादला ही नहीं किया जाता है। मथुरा जेल पर तैनात बड़े बाबू वीरपाल का पिछले दिनों तबादला किया गया लेकिन आज तक इन्हें रिलीव नही किया गया है। यही नहीं प्रदेश की विभिन्न जेलों से करीब सौ सुरक्षाकर्मी जेल मुख्यालय, जेल प्रशिक्षण संस्थान व शासन से सम्बद्ध हैं। यह तो बानगी भर है इस प्रकार प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में बाबू एवम सुरक्षाकर्मी है जिन्हें तबादले के बाद आज तक रिलीव ही नहीं किया गया है।