‘UP में का बा’नोटिस बा..!

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'UP में का बा'नोटिस बा..!
'UP में का बा'नोटिस बा..!


‘UP में का बा’नोटिस बा..!,’यूपी में का बा’ गाने वाली नेहा राठोर को यूपी पुलिस ने थमाया था नोटिस और मांगा जबाब. यूपी में का बा नोटिस के जबाब को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने बताया अवैध.

विनोद यादव
विनोद यादव

बिहार में का बा’ से लेकर ‘यूपी में का बा’ गाने वाली मशहूर लोक गायिका नेहा राठोर को बीते दिनों यूपी पुलिस ने भले नोटिस थमाया था. उसके बाद ने मानों नेहा सिंह राठौर एक नये अंदाज में उभर कर आयी और राजधानी लखनऊ अम्बेडकर पार्क के पास चल रहें साहित्यिक आज के मंचों से अपने गीतों के माध्यम से लोगों को बताया कि हमने क्या कोई गुनाह कर दिया गा कर. नेहा राठौर डरती नहीं हैं. नेहा सिंह राठौर सामाजिक मद्दों को लेकर गाने लिखती हैं और खुद ही गाती है. सोशल मीडिया पर उनके गानों को काफी पसंद किया जाता है. नेहा सिंह बिहार की रहने वाली लोक गायिका हैं. उनकी शादी यूपी के अम्बेडकर नगर में हुई है, वो बिहार और यूपी सरकार की नाकामियों पर कई बार अपने गानों के जरिए कटाक्ष कर चुकी हैं. लोग उनके गाने को काफी पसंद करते हैं.

‘बिहार में का बा’ के बाद वो ‘यूपी में का बा’ गाना गाकर काफी फेम हो चुकी हैं. लेकिन कानपुर कांड में मां बेटी के जलने और उनके घर पर राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा बुलडोजर चलाने के चलते पुनः यूपी में का बा का पार्ट टू जैसे गया कि पुलिस ने उनके अंबेडकरनगर और नोयडा आवास पर नोटिस थमा कर मांगे 7 सवालों के जवाब. 2018 से भले नेहा का लोकगीत में कैरियर भले शुरू हुआ लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में उनके गीतों को लोगों ने काफी सुना जिससे ओ काफी सुर्खियों में भी रहीं. नेहा सिंह राठौर का जन्म साल 1997 में बिहार के कैमूर जिले के जलदाहां गांव में हुआ था. उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन किया है. सिंगिंग में उनका कैरियर 2018 से शुरू हुआ. सबसे पहले नेहा ने भोजपुरी में कोरोना पर जागरूकता के लिए एक गाना गाया था उसके बाद उन्होंने ‘बिहार में का बा’ और ‘यूपी में का बा’ गाया. इन तमाम गीतों ने सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरीं. नेहा सोशल मीडिया पर भी बहुत एक्टिव रहती हैं.

भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. उनके गीत ‘यूपी में का बा’ पार्ट-2 के बाद पहले उन्हें नोटिस मिला और अब पति हिमांशु से उनके कोचिंग संस्थान ने इस्तीफा मांग लिया है.

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नोटिस में नेहा से इन 7 सवालों के जवाब पूछे गए हैं…अकबरपुर थाना प्रभारी की तरफ से भेजे गए इस नोटिस में पुलिस ने लिखा है- डिजिटल पर एक वीडियो प्रसारित हो रहा है, जो प्रथम दृष्टया आपका प्रतीत होता है। जिसके बोल कुछ इस प्रकार हैं… ‘यूपी में का बा’ उक्त प्रसारित वीडियो के संबंध में स्थिति स्पष्ट करें।

  • क्या वीडियो में आप स्वयं हैं अथवा नहीं।
  • यदि वीडियो में आप स्वयं हैं तो स्पष्ट करें कि क्या यह वीडियो आपके द्वारा यूट्यूब चैनल Neha Singh Rathore ‘यूपी में का बा Season 2’ शीर्षक से तथा ट्विटर अकाउंट @nehafolksinger पर स्वयं की ईमेल आईडी से अपलोड किया गया था अथवा नहीं।
  • क्या Neha Singh Rathore Channel और ट्विटर अकाउंट @nehafolksinger आपके हैं अथवा नहीं। यदि हैं, तो क्या आपके द्वारा इनका उपयोग किया जाता है या नहीं।
  • वीडियो में प्रयुक्त किए गए गीत के शब्द क्या आपके द्वारा स्वयं लिखे गए हैं अथवा नहीं।
  • यदि उक्त गीत आपके द्वारा स्वयं लिखे गए हैं। आप इसे प्रमाणित करती हैं अथवा नहीं।
  • यदि उक्त गीत किसी अन्य के द्वारा लिखा गया है तो क्या आपके द्वारा लेखक से उसकी पुष्टि सत्यापित करवाया गया अथवा नहीं।
  • उक्त गीत से उत्पन्न भावार्थ से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव से आप भिज्ञ हैं अथवा नहीं।

सोशल मीडिया पर 3 मिलियन से ज्यादा लोग उन्हें फॉलो करते हैं. पिछले साल ही नेहा सिंह राठौर की शादी यूपी अम्बेडकर नगर जिले के हिमांशु सिंह से हुई. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस अवैध हैं नेहा सिंह राठौर ने चुटकीले अंदाज में लिखा “मुझे नोटिस मिलने पर खुश होने वालों के लिए एक हृदय-विदारक सूचना है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री मार्कण्डेय काटजू जी ने उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से मुझे भेजे गए नोटिस को अवैध बताया है और मुझे आश्वासन दिया है कि भारत की न्यायपालिका न्याय के पक्ष में मेरे साथ खड़ी है. पिछले एक सप्ताह से जिस पुलिस नोटिस की वजह से मैं और मेरा परिवार मानसिक संत्रास और दबाव झेल रहे हैं, वो नोटिस नियमों की अवहेलना कर के मुझे भेजा गया है.जिस पीड़ा को मैं और मेरा परिवार झेल रहा है, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”

साहित्यि राजनीति को आईना दिखाने का जहां काम करता हैं वहीं उसे भी दबाने का प्रयास जारी हैं जब व्यवस्था पर चोट हो विपक्ष कमज़ोर हो ,मीडिया सरकारों की गुलाम हो ऐसे में कवियों और लोक की व्यथा बयान करने वालों को (वह लोक गायन या अन्य किसी विधा में हो)आगे आना ही चाहिए यह हमारा दायित्व भी है और अधिकार भी, इसी को जनवाद कहते हैं. सरकारों को भी ऐसी आवाजें सुनकर सुधारात्मक काम करना चाहिए. एक बात और!कविता प्रतीक और बिंब के माध्यम से कहीं जाती है किसी पार्टी और व्यक्ति पर आक्षेप नहीं किया जाता ,जैसे आपातकाल में जब सरकार की नीतियों के विरुद्ध बोलने पर अंकुश था उस समय दुश्यंत जी ने लिखा. मत कहो आकाश में कुहरा घना है. यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है. या कहां तो तय था चरागां हरेक घर के लिए. कहां चराग़ मयस्सर नहीं सहर के लिए. ‘यूपी में का बा’नोटिस बा..!