काशी की पहचान बाबा विश्वनाथ धाम से

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मुख्यमंत्री जनपद वाराणसी स्थित जंगमवाड़ी मठ में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल हुए।प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज देश, दुनिया में ‘एक भारत-सशक्त भारत’ के रूप में स्थापित होता हुआ दिखाई दे रहा।‘एक भारत-सशक्त भारत’ की इस परिकल्पना को साकार करने के लिए हमें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ अभियान के साथ स्वयं को भी जोड़ना होगा।योग, भारत की ऋषि परम्परा का महत्वपूर्ण प्रसाद, वैश्विक मंच पर योग को मान्यता दिलाने का कार्य प्रधानमंत्री के कारण ही सम्भव हो पाया।प्रयागराज कुम्भ के आयोजन के समय यूनेस्को ने कुम्भ को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी।प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में श्री काशी विश्वनाथ धाम बहुत अच्छे रूप में संवर चुका।काशी की पहचान बाबा विश्वनाथ धाम से।


वाराणसी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब धर्म के अनुयायी हैं। उससे भी बढ़कर हम सब भारत के अनुयायी हैं। हम सबका एक ही संकल्प है- ‘तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे’। इस संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए हम सब लोक कल्याण के वृहद अभियान के साथ जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में हम सब महाभारत के अर्जुन की तरह निमित्त मात्र हैं। उनका मार्गदर्शन व नेतृत्व सम्पूर्ण देश को प्राप्त हो रहा है। आज पूरा देश एक नई ऊर्जा के साथ प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विकास की नित नवीन योजनाओं के साथ सहभागी बन रहा है। वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी स्थित जंगमवाड़ी मठ में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 02 वर्ष पूर्व उन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गुरुकुल के शताब्दी कार्यक्रम में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। 100 वर्षाें की एक लम्बी यात्रा पूरी करके यहां के गुरुकुल की परम्परा ने एक भव्य शताब्दी समारोह का आयोजन किया था। उस समय में प्रधानमंत्री जी ने जंगमवाड़ी मठ में आकर यहां की परम्परा के प्रति अपना आदर व सम्मान प्रकट किया था। आज हम सभी प्रधानमंत्री जी की ओर से ही, उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में, उन्हीं के प्रतिनिधि बनकर आप सबके प्रति अपनी शुभेच्छा व शुभकामना व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुए हैं।


जब कोई राष्ट्र सशक्त होता है तो धर्म भी सशक्त होता है। हर पंथ, हर सम्प्रदाय का सम्मान होता है। जब राष्ट्र की इकाइयां कमजोर होती हैं तो प्रत्येक पंथ, धर्म, सम्प्रदाय के सामने अपने अस्तित्व का संकट आ खड़ा होता है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आज देश, दुनिया में ‘एक भारत-सशक्त भारत’ के रूप में स्थापित होता हुआ दिखाई दे रहा है। ‘एक भारत-सशक्त भारत’ की इस परिकल्पना को साकार करने के लिए हमें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ अभियान के साथ स्वयं को भी जोड़ना होगा। मत, पंथ, सम्प्रदाय या मजहब यह हमारी व्यक्तिगत भावना भी हैं और इस भावना का सम्मान होना चाहिए। वर्तमान में पूरे देश में इस भावना का सम्मान हो रहा है। सभी को सुरक्षा, सम्मान एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करना, यह सभी कार्यक्रम निरन्तर चल रहे हैं। पूरे देश में एक नया उत्साह है। 


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 21 जून को पूरी दुनिया में मनाए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में हम सभी को शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा। योग, भारत की ऋषि परम्परा का महत्वपूर्ण प्रसाद है। वैश्विक मंच पर योग को मान्यता दिलाने का कार्य प्रधानमंत्री जी के कारण ही सम्भव हो पाया है। 21 जून की तिथि को पूरी दुनिया भारत की इस परम्परा के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करती है। इसी प्रकार प्रयागराज कुम्भ के आयोजन के समय यूनेस्को ने कुम्भ को भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी थी। यह भी भारत की परम्परा के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव था। वैश्विक मंच पर जब भी भारत की परम्परा को सम्मान प्राप्त होता है, तो इससे केवल एक परम्परा का ही नहीं, बल्कि भारत की 135 करोड़ जनता का गौरव एवं सम्मान बढ़ता है। आज भारत का नेतृत्व इसी यशस्वी दिशा में पूरे देश को ले जाने का कार्य कर रहा है।  भारत में अलग-अलग पंथ और सम्प्रदाय हैं, लेकिन यह पंथ और सम्प्रदाय विभाजन के लिए नहीं हैं। यह मंजिल तक पहुंचने के लिए अलग-अलग मार्ग हैं। रास्ते अलग-अलग हैं, लेकिन लक्ष्य सबका एक-वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे सन्तु निरामयाः का है। जंगमवाड़ी मठ कई सौ वर्षों से इस परम्परा को मजबूती के साथ देश और दुनिया में बढ़ाने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें चौथी बार इस मठ में आने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। किसी भी मठ की परम्परा में पट्टाभिषेक का बहुत बड़ा महत्व होता है। एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को अपने ज्ञान की परम्परा के साथ-साथ वहां की पूरी व्यवस्था का उत्तराधिकार सौंपने की दिशा में अग्रसर होती है। वीर शैव मठ परम्परा में पांच प्रमुख मठ हैं। उन सभी का अपना-अपना महत्व है। इनमें से काशी का मठ ज्ञान की परम्परा के साथ ही जुड़ा हुआ है। इस मठ से जुड़े हुए सभी आचार्य और जगद्गुरु मजबूती के साथ धर्म के प्रचार, वीर शैव मठ की दार्शनिक परम्परा को प्रतिष्ठापित करने के साथ ही भारत और भारतीयता की स्थापना के लिए निरन्तर प्रयास कर रहे हैं। 


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में श्री काशी विश्वनाथ धाम बहुत अच्छे रूप में संवर चुका है। एक नये रूप में दुनिया के सामने आया है। काशी की पहचान बाबा विश्वनाथ धाम से है। प्रधानमंत्री जी ने सैकड़ों वर्षाें के बाद फिर से काशी को वह पहचान दिलायी है। यही कार्य अयोध्या में भी हो रहा है। अयोध्या भी अब संवर रही है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर का निर्माण कार्य बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने व्यवस्था बनायी है, जिसके अन्तर्गत देश के हर पंथ और सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए अयोध्या में अपनी धर्मशाला, मठ की स्थापना के लिए भूमि आवंटन का कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से बाबा विश्वनाथ के पावन धाम काशी में आए सभी लोगों का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए डॉ0 मल्लिकार्जुन शिवाचार्य महास्वामी जी को उनके पट्टाभिषेक के अवसर पर बधाई दी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मठ प्रशासन की ओर से प्रसाद व धार्मिक वस्तुएं भेंट की गईं। पीठाधीश्वर जगद्गुरु शिवाचार्य डॉ0 चंद्रशेखर महास्वामी ने उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किया। इस दौरान उन्होंने मठ में साधुओं से मुलाकात भी की। इस अवसर पर स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, महापौर मृदुला जायसवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।