कोयले की कमी से बिजली संकट का खतरा

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कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड ने आश्वासन दिया है कि वे अगले 3 दिनों में बिजली क्षेत्र को प्रतिदिन 1.6 मीट्रिक टन तक कोयला भेजने की सीमा को बढ़ाने की सर्वोत्तम कोशिश कर रहे हैं और इसे प्रतिदिन 1.7 मीट्रिक टन करने का प्रयास किया जा रहा है।इससे निकट भविष्य में बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार के निर्माण में मदद मिलने की संभावना है।

कोयले की कमी के कारण बिजली संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।सबसे चिंताजनक स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत समस्या का समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने पत्र में उन बिजली संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी है, जिनसे दिल्ली को बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार संयंत्रों के पास कोयले का लगभग 20 दिन का भंडार होना चाहिए, लेकिन यह कम होकर एक दिन का रह गया है। इस कारण गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता बढ़ी है, लेकिन उनके पास भी पर्याप्त गैस नहीं है।

अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, सितंबर में कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश, कोयला उत्पादन को प्रभावित करना और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि की वजह से घरेलू कोयले पर निर्भरता बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टॉक में कमी के कारण हैं।


जम्मू कश्मीर में पांच से छह घंटे की अघोषित कटौती हो रही है। एक जिले में एक घंटा कट लगाने के बाद फिर दूसरे जिले में कटौती की जाती है । ऐसे कर विभाग दिन में कुल पांच से छह घंटे की कटौती कर लेता है।मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर को थर्मल पावर से 300 से 400 मेगावाट बिजली मिलती है। सर्दियों में नदियों में पानी कम हो जाने पर जम्मू कश्मीर की 50 प्रतिशत आपूर्ति थर्मल पावर पर ही निर्भर हो जाती है।