ई-पेंशन पोर्टल का शुभारम्भ

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मुख्यमंत्री ने ई-पेंशन पोर्टल https://epension.up.nic.in  का शुभारम्भ किया।मुख्यमंत्री ने 31 मार्च, 2022 को सेवानिवृत्त हुए 1,220 पेंशनर्स के खातों में पेंशन की राशि हस्तान्तरित की।मई दिवस श्रम के महत्व को रेखांकित करने वालाव उसका सम्मान करने वाला दिवस।सरकारी कर्मचारी ने एक कर्मयोगी के रूप  में जो योगदान दिया है,उसका पेंशन भोगी नहीं, बल्कि पेंशन योगी के रूप में सम्मान होना चाहिए।प्रदेश सरकार ने विगत 05 वर्षाें के दौरान तकनीक का अधिकाधिकउपयोग करते हुए प्रदेश के 25 करोड़ लोगों के जीवन मेंव्यापक परिवर्तन लाने के लिए अच्छी मंशा से कार्य किया।


-पेंशन पोर्टल की यह व्यवस्था ‘ईज ऑफ लिविंग’ का ही एक हिस्सा।ई-पेंशन पोर्टल के शुभारम्भ से प्रदेश के 11.50 लाख कार्मिक सीधे लाभान्वित होंगे।‘योगक्षेमं वहाम्यहं’ के कल्याणकारी भाव से व्यक्ति,समाज, लोक का जीवन सुखद और प्रसन्नचित होगा।पेंशनधारकों के पास जीवन के 35-40 वर्षाें का एक लम्बाअनुभव होता है, यह अनुभव ही वास्तव में व्यावहारिक ज्ञान।पेंशनर को सेवानिवृत्त होने के 06 माह पहले ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और आवेदन करना होगा, पूरी प्रक्रिया 90 दिनोंके अन्दर सेवानिवृत्ति से 03 महीने पहले पूर्ण कर ली जाएगी।


उ0प्र0 पहला राज्य है, जिसने अपने पेंशनधारकों कोयह सुविधा उपलब्ध कराने की कार्यवाही की।पेंशन के लिए किसी को भटकना नहीं पड़ेगा।मृतक आश्रित की नियुक्ति पाने वाले कार्मिकोंके लिए भी इस प्रकार का एक पोर्टल बनाने की आवश्यकता।मुख्य सचिव के स्तर से अन्तर्विभागीय समिति बनाकर एक व्यवस्थातैयार की जाए, जिससे मृतक कार्मिक के देय के भुगतान के साथही मृतक आश्रित को नौकरी देने का प्राविधान किया जा सके।प्रत्येक विभाग अपनी प्रक्रिया को ई-ऑफिस से जोड़े।राज्य सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किये।


लखनऊ। आज यहां लोक भवन सभागार में मुख्यमंत्री ने ई-पेंशन पोर्टल https://epension.up.nic.in  के शुभारम्भ अवसर पर आयोजित समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 31 मार्च, 2022 को सेवानिवृत्त हुए 1220 पेंशनर्स के खातों में पेंशन की राशि भी हस्तान्तरित की। ई-पेंशन पोर्टल के शुभारम्भ से प्रदेश के 11.50 लाख कार्मिक सीधे लाभान्वित होंगे। तकनीक व्यक्ति के जीवन में व्यापक परिवर्तन ला सकती है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की बागडोर सम्भालते समय आह्वान किया था कि हमें एक भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की स्थापना के लिए तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विगत 05 वर्षाें के दौरान तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करते हुए प्रदेश के 25 करोड़ लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए एक अच्छी मंशा से कार्य किया है। आज उसके परिणाम भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में उन सभी पेंशनधारकांे के लिए, जो इस समय पेंशन प्राप्त कर रहे हैं और जो भविष्य में पेंशन प्राप्त करेंगे, उन सभी के लिए ई-पेंशन पोर्टल का शुभारम्भ इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिससे वे अपने जीवन को और सरलीकृत कर सकेंगे। यह व्यवस्था ‘ईज ऑफ लिविंग’ का ही एक हिस्सा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः जिसे लोग छोटी घटना मानते हैं, यह आवश्यक नहीं है कि वह घटना जिस पर बीतती है, उसके लिए भी छोटी हो। उसके लिए तो यह घटना अपने आपमें बड़ी होती है। अपनी समस्या के समाधान के लिए व्यक्ति को बहुत कुछ करना होता है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए और प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने ई-पेंशन पोर्टल के विकास के माध्यम से प्रदेश के लाखों कार्मिकों के जीवन में परिवर्तन लाने वाला अवसर सामने रखा है। 31 मार्च, 2022 को जो लोग सेवानिवृत्त हुए हैं ऐसे 1,220 कार्मिकों का भुगतान आज सीधे उनके खाते में भेजा गया है। अब किसी भी सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को कहीं भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत पेंशनर को सेवानिवृत्त होने के 06 माह पहले ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और आवेदन करना है। रजिस्ट्रेशन करने के बाद आहरण एवं वितरण अधिकारी (डी0डी0ओ0) द्वारा पंेशनर के आवेदन की जांच कर 30 दिन के अन्दर पेंशन पेमेण्ट ऑर्डर (पी0पी0ओ0) जारी करने वाले अधिकारी को अग्रसारित कर दिया जाएगा। पी0पी0ओ0 जारी करने वाले अधिकारी द्वारा 30 दिनांे के अन्दर पी0पी0ओ0 जारी कर दिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया 90 दिनों के अन्दर, सेवानिवृत्ति से 03 महीने पहले पूर्ण कर ली जाएगी। यहां से पेंशन के कागजात पूर्ण होने का संदेश आवेदनकर्ता के पास आ जाएगा। नियत तिथि को कोषागार द्वारा पेंशनर के खाते में पेंशन का ऑनलाइन भुगतान हो जाएगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-पंेशन पोर्टल की सबसे अच्छी बात यह है कि यह कॉन्टैक्टलेस है। आपको कहीं जाना नहीं है। बस ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना है। बाकी की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। यह पेपरलेस तथा कैशलेस है। पूरी प्रक्रिया सेवानिवृत्ति के 06 माह पूर्व से शुरु होकर अपने आप पूरी हो जाएगी। ऑनलाइन डैशबोर्ड द्वारा यह पूरी तरह अनुरक्षित होगा। यह सुविधा अनेक उपलब्धियों से भरी है। पेंशन के लिए किसी को भटकना नहीं पड़ेगा। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने अपने पेंशनधारकों को यह सुविधा उपलब्ध कराने की कार्यवाही की है।सरकारी कर्मचारी ने सरकार के साथ जो एग्रीमेण्ट किया, उसके क्रम में यह पेंशन आपको प्राप्त हो रही है। इसमें कर्मचारी एवं राज्य दोनों का योगदान होता है। एक कर्मयोगी के रूप मंे जो योगदान आपने दिया है, उसका पेंशन भोगी नहीं बल्कि पेंशन योगी के रूप में सम्मान होना चाहिए। आपने जो योगदान दिया है उस योगदान के प्रति शासन और आपके स्वयं के योगदान का प्रतिफल आपको प्राप्त हो रहा है। हमें यह उसी रूप में आगे भी बढ़ाना चाहिए। ‘योगक्षेमं वहाम्यहं’ यह भाव हमारा होना चाहिए। यह कल्याणकारी भाव जब भी व्यक्ति, समाज, लोक के मन में होगा, तो उसका आगे का जीवन उतना ही सुखद और प्रसन्नचित होगा।


हमें सदैव अच्छी और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। अच्छी और सकारात्मक सोच व्यक्ति को नई ऊर्जा से ओत-प्रोत करती है। उसके जीवन में खुशहाली लेकर आती है। सकारात्मक सोच व्यक्ति को उन्नति की ओर लेकर जाती है। हमें अच्छी सोच, अच्छा देखना, अच्छा करना, अच्छे सकारात्मक भाव के साथ आगे बढ़ने की व्यवस्था करनी है। नकारात्मक सोच व्यक्ति को अवनति की ओर ले जाती है। जिस व्यक्ति को हर जगह गलत ही दिखायी देता है, हर जगह खामी दिखायी देती है, वह व्यक्ति न स्वयं का, न समाज का और न ही लोक का भला कर सकता है।आप अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करने के अनुभव का उपयोग समाज के लिए कुछ रचनात्मक करने में कर सकते हैं। पेंशनधारकों के पास जीवन के 35-40 वर्षाें का एक लम्बा अनुभव होता है। यह अनुभव ही वास्तव में व्यावहारिक ज्ञान है। लोगों को उनकी समस्याओं तथा चुनौतियों से बचने के लिए आप सही उपाय दे सकते हैं। आपके अनुभव वर्तमान के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। जीवन में नकारात्मकता को कोई स्थान मत दीजिए। अपने जीवन को अपने तरीके से प्रफुल्लित होकर जीने की नई आदत हमें डालनी होगी, स्वयं को समाज के लिए अधिकाधिक उपयोगी बनाना होगा।


भारत की आश्रम पद्धति ने जीवन को चार भागों में विभाजित किया है। सबसे पहला ब्रह्मचर्य आश्रम, जब व्यक्ति ज्ञान की साधना में लीन होता है। यह 25 वर्ष की आयु तक माना गया है। 25 वर्ष की आयु तक व्यक्ति को सीखने, जानने का एक उचित अवसर मिलना चाहिए। आज बालिग होने की उम्र 18 वर्ष है। व्यक्ति 18, 20 अथवा 22 वर्ष के बाद सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरी में आ जाता है। 25 से 50 वर्ष का समय गृहस्थ आश्रम का होता है। इसका मतलब उसने पूर्व में 25 वर्ष समाज से लिया है, समाज के योगदान से वह आगे बढ़ा है, अब आगे के 25 वर्षाें में वह अपने पैरों पर खड़ा होने की आदत डाले। स्वावलम्बन का जीवन बिताए। इन 25 वर्षाें में वह अपनी आजीविका के लिए मेहनत एवं परिश्रम करे।मुख्यमंत्री ने कहा कि आगे के 25 वर्ष वानप्रस्थ आश्रम के अर्थात गृहस्थ आश्रम के बचे हुए दायित्वों को पूरा करने के साथ-साथ समाज के लिए योगदान करने की तैयारी करना है। वरिष्ठ नागरिकों का यह समय वानप्रस्थ का होता है। अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी हम समाज को योगदान दे सकते हैं। अलग-अलग व्यक्ति अलग-अलग क्षेत्रों में योगदान दे सकते हैं। कोई शिक्षा के क्षेत्र में, कोई स्वास्थ्य के क्षेत्र में, कोई गांव मंे गरीब कल्याण के क्षेत्र में, शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने में योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ भारत अभियान, जल संरक्षण अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ जुड़ सकते हैं।


अगर एक व्यक्ति 100 वर्ष जीता है, तो वह व्यक्ति जीवन के शेष 25 वर्ष पूरी तरह समाज के लिए, लोक के लिए समर्पित करते हुए जीवन में सफलता के रहस्यों को उद्घाटित करते हुए मोक्ष की प्राप्ति भी करेगा। यह आदर्श भारतीय जीवन दर्शन का हिस्सा है। इस दिशा में बेहतर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। बहुत से कार्मिकों की असामयिक मृत्यु हो जाती है। मृतक आश्रित की नियुक्ति पाने वाले कार्मिकों के लिए भी इस प्रकार का एक पोर्टल बनाने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें कहीं भटकना न पड़े। सब कुछ ऑनलाइन हो, यह आज की आवश्कता है। ईज ऑफ लिविंग का मतलब जीवन को सरलीकृत करना है। प्रत्येक क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग करते हुए इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाना चाहिए। इस दिशा में मुख्य सचिव के स्तर से अन्तर्विभागीय समिति बनाकर एक व्यवस्था तैयार की जाए, जिससे मृतक कार्मिक के देय के भुगतान के साथ ही मृतक आश्रित को नौकरी देने का प्राविधान किया जा सके। आने वाले समय में प्रत्येक विभाग अपनी प्रक्रिया को ई-ऑफिस से जोड़े, जिससे लोकतंत्र की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक सामान्य नागरिक को योजनाओं का लाभ देने के लिए समर्थ किया जा सके।


मई दिवस श्रम के महत्व को रेखांकित करने वाला व उसका सम्मान करने वाला दिवस है। उन्होंने सभी कार्मिकों, श्रमिकों, नागरिकों को मई दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके श्रम से प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है, लोक कल्याण के पथ पर आगे बढ़ा है। राज्य सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक श्रमिक चाहे वह प्रवासी हो, या निवासी, को 02 लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा कोरोना काल के दौरान उपलब्ध करायी है। प्रदेश सरकार प्रत्येक श्रमिक को 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने की कार्यवाही कर रही है। पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों के लिए, कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए, अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों के लिए, रेलवे-बस स्टेशन पर या इधर-उधर भटकने वाले बच्चों हेतु, जिनमें प्रतिभा तो है, लेकिन उचित मार्गदर्शन के अभाव में उन बच्चों को पठन-पाठन का बेहतर माहौल नहीं मिल पाता ऐसे सभी बच्चों के लिए पहले चरण मंे प्रदेश के 18 मण्डलों में 18 अटल आवासीय विद्यालय बनाए जा रहे हैं। इनमें कक्षा 06 से 12 तक की शिक्षा उपलब्ध होगी। सरकार द्वारा सभी प्रकार की सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करायी जाएंगी।इससे पूर्व, कार्यक्रम में वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री जी को अंगवस्त्र, स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश की प्रति तथा भगवान कुबेर की प्रतिमा भंेट कर सम्मानित किया।कार्यक्रम में प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, जनपद के मुख्य/वरिष्ठ कोषाधिकारी तथा प्रत्येक जनपद कोषागार से पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनर भी वर्चुअली जुड़े थे।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं ब्रजेश पाठक, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव वित्त एस0 राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 नवनीत सहगल, सूचना निदेशक शिशिर सहित बड़ी संख्या वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। [/Responsivevoice]