पिछ़डो के शोषण पर सत्ता की मलाई खा रहें नेता

174

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”]

पिछ़डो के शोषण पर सत्ता की मलाई खा रहें नेता

विनोद यादव


पिछ़डो के शोषण पर सत्ता की मलाई खा रहें नेताओं की चुप्पी समूचे समाज का करेगीं बेडागर्क।

पूरे प्रदेश में लगातार पिछडों पर हो रहें शोषण पर पिछ़डे समाज के नेताओं की चुप्पी समाज के दमन का प्रमुख कारण हैं। यही वजह हैं कि हाशिए के समाज की चिंता छोड़ सत्ता की मलाई खाने में व्यस्त पिछ़डे समाज का चोला ओढे नेताओं से पिछडों को सजग रहने की जरूरत हैं। सत्ता का खुख भोग रहें नेताओं की मननीय बनने की चाह ने अपने ही समाज के ऊपर हो रहें अत्याचार से मुख फेर लेना मानो नदियों की धारा दूसरी तरफ प्रवहित हो रही हो। न्यायिक व्यवस्था से लेकर प्रशासनिक व्यवस्था तक लगातार पिछ़डो का दमन जारी होने के बावजूद सत्ता के मलाई का सुख भोग रहें नेताओ ने मानों आंख में काली पट्टी बाधें हुए हैं। चाहें केशव प्रसाद मौर्य हो या स्वतंत्र देव सिंह हो या अनुप्रिया पटेल हो या बात करें तो संजय निषाद की सभी के सभी सत्ता का रसापान करने में व्यस्त हैं।

केशव प्रसाद मौर्या ने हाल ही में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी पिछड़ों की राजनीति एक जाति तक सीमित रही है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के हकों की रक्षा करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। शायद ये शब्द केशव प्रसाद को मंचों की सोभा बढ़ाने के लिए ही अच्छे लगते हैंं। पूरे प्रदेश ही नहीं देश में पिछ़डो के ऊपर लगातार जुल्म अत्याचार हो रहे हैं। पिछडे़ तबके के नेताओं पर फर्जी एफआईआर दर्ज करायी जा रहीं हैं हत्यायें हो यही हैं। लेकिन सत्ता की मलाई चखने में व्यस्त पिछडों के हिमायती बने घूम रहें।

सफेदपोश भाजपा में पिछडो के नेताओं की जुबान पर हक और अधिकार अपने समाज को दिलाने के लिए ताले लग जाते हैं। शायद केशव प्रसाद मौर्या संजय निषाद,अनुप्रिया पटेल इस समय भले सत्ता के आचल में मुह मुंह छुपा कर बैठे हो। लेकिन पिछडे़ तबके के लोगों को इनसे सजग रहने की जरूरत हैं। ये ओ रंगे सियार हैं जो खोल तो पिछ़डे समाज की ओढे हैं लेकिन शिकार के लिए अपने समाज को आगे कर दिए हैं।

READ MORE- UP से होकर गुजरती है $5 ट्रिलियन के सपनों की राह

पिछड़ा समाज अपने अधिकारों को लेकर जब इनसे सवाल पूछता है कि मेरा हक और अधिकार क्यूं छीना जा रहा हैं तब इनके पास सत्ता का गुणगान और हिंन्दुत्व का स्वांग अलापते के सिवाय कोई भी प्रतिक्रिया नहीं रहती है।आखिर कब तक गुलाम बनकर पिछडे़ समाज के साथ धोखा करते रहेंगे ये हाशिए के समाज के लोगों को सोचना चाहिए। कुम्हार,कश्यप, बिंद मल्लाह, मौर्या ,लोधी, शाक्य, सैनी, कुर्मी ,अहीर सभी जातियों को भी यह सोचना चाहिए। जिनको हम अपने समाज के हक और अधिकार के लिए चुना है। इनसे यदि यह सब संभव नहीं हो पा रहा हैं तो तय मानो ये घोर पिछ़डा विरोधी है।

अब आपको धीरे-धीरे यह बात समझ में आयेगी कि जिनकों पिछडों का मसीहा मानते थें। ओ तो एक हित का काम भी नहीं करा सके मसलन इनकों सत्ता में तो हम भेज कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली हैं। पूरा देश बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है और इन ढोंगियों को रंग की चिता पड़ी रहती हैं। संघी फासिस्ट ताकतें देश के गरीब, मजदूर,किसान,नौजवान,महिलाओं, और विद्यार्थीयों को रोजगार तों दे नहीं पाईं। रंग के पीछे हाथ धोकर पड़ी भले रहती हैं। खैर अपने पूंजीपति मित्रों की सेवाभाव में सरकार इतनी मसरूफ हैं कि अपने आकाओं को नहीं भुली। देश की एक सौ पैंतीस करोड़ मेहनतकश जनता को भूल गए लेकिन पूंजीपतियों को नहीं भूले

हजारों करोड़ों रुपए देश की मेहनतकश जनता के ख़ून पसीने की गढ़ी कमाइ को पूजीपति मित्रों का माफ किया गया। लेकिन उसी दल में रह कर मलाई खाने वाले पिछ़डे समाज के नेताओं ने सास तक नहीं ली न बोलने की हिम्मत ही जुटा पाये कि ये तो पैसा हाशिए के समाज के लोगों का माफ होना चाहिए। हाशिए के लोगों को कंट्रोल का राशन भले दुकानों पर मिल रहा हो लेकिन उनके हक और अधिकार का कंट्रोल उसी दल में रह रहें लोगों की वजह से छीना जा रहा हैं। और ओ पिछडे़ समाज का चोला ओढे बोलने की हैसियत में नहीं हैंं।

शायद यहीं भाजपा में रह कर राजनीति और मलाई खा रहें नेताओं की हैं पिछ़डो के ऊपर हो रहें जुल्म अत्याचार के खिलाफ आवाज सत्ता में रंगे सियारो से उठायी जाय। ये संभव नहीं ऐसे में हाशिए के समाज को हिन्दुत्व के भूत को छोडकर अपने हक और अधिकार के लिए नयी खुद आगें निकलकर आवाज़ उठाना होगा

[/Responsivevoice]

पिछ़डो के शोषण पर सत्ता की मलाई खा रहें नेता