श्रीराम से सीखें कर्तव्यों के प्रति समर्पण-प्रधानमंत्री Learn devotion to duty from Shri Ram – Prime Minister

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अयोध्या में प्रधानमंत्री ने कहा इस बार लालकिले से मैंने सभी देशवासियों को पंच प्राणओं को आत्मसात करने का आह्वान किया है। इन पंच प्राणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है वो भारत के नागरिकों का कर्तव्य है। आज दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है। श्रीराम से जितना सीख सकें उतना सीखना है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। मर्यादा मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी सिखाती है। हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है, ‘रामों विग्रहवान धर्मः’ अर्थात राम साक्षात धर्म के ज्ञानी कर्तव्य के सजीव स्वरूप हैं। भगवान राम जब जिस भूमिका में रहे, उन्होंने कर्तव्यों पर सबसे ज्यादा बल दिया। जब वो राजकुमार थे तब ऋषियों की, उनके आश्रमों की रक्षा की। राज्याभिषेक के समय श्रीराम ने आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाया।

उन्होने पिता और परिवार के वचनों को प्राथमिकता देते हुए राज्य के त्याग को अपना कर्तव्य समझकर स्वीकार किया। वो वन में होते हैं तो वनवासियों को गले लगाते हैं। आश्रम में जाते हैं तो मां सबरी का आशीर्वाद लेते हैं। वो सबको साथ लेकर लंका पर विजय प्राप्त करते हैं। जब सिंहासन पर बैठते हैं तो वन से वही सब साथी राम के साथ खड़े होते हैं, क्योंकि राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते। राम कर्तव्य भावना से मुख नहीं मोड़ते। राम भारत की उस भावना के प्रतीक हैं जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए हमें कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने की जरूरत है। संयोग देखिए हमारे संविधान की जिस मूल प्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण का चित्र अंकित है, संविधान का वो पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। इसलिए हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे राम जैसे राज्य की संकल्पना साकार होती जाएगी।