कुमार केशव को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
कुमार केशव को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

उत्तर प्रदेश मेट्रो के पूर्व प्रबंध निदेशक कुमार केशव को भारतीय कंक्रीट संस्थान (आई.सी.आई) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से किया गया सम्मानित।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश मेट्रो के पूर्व प्रबंध निदेशक व वर्तमान में जर्मनी की राष्ट्रीय रेल कंपनी डीबी आरआरटीएस इंडिया (डॉयचे बान) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार केशव को आज भारतीय कंक्रीट संस्थान (आई.सी.आई) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनको सीमेंट और कंक्रीट में उनके उत्कृष्ट योगदान, और उनके द्वारा उत्तर प्रदेश के लोगों को मेट्रो परिवहन के रूप में विश्व स्तरीय सुविधा प्रदान करने व समाज के प्रति उनके योगदान के लिए दिया गया हैं।

कुमार केशव ने वर्ष 2014 में लखनऊ मेट्रो के प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी संभाली थी व आठ साल तक प्रबंध निदेशक पद पर रहे। इस दौरान कुमार केशव ने लखनऊ, कानपुर और आगरा में मेट्रो को दौड़ाने में अहम भूमिका निभाई। उनके जीवन के पिछले आठ साल पूरी तरह से यूपीएमआरसी के लखनऊ ,कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समर्पित रहे हैं

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कुमार केशव ने इंडियन कंक्रीट इंस्टिट्यूट का धन्यवाद करते हुए बताया कि “मैंने 2014 में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (पूर्व में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था, जो कि निःसंदेह मेरे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी। उस दिन से लेकर आज तक मैंने अपना सर्वस्व यूपीएमआरसी के लिए समर्पित किया है। कुमार केशव ने हमेशा माना है कि मेट्रो सिर्फ यात्रियों के सफर करने का साधन ही न हो बल्कि यात्रियों का व्यक्तिगत जुड़ाव होना सबसे अहम है। उन्होंने उत्तर प्रदेश मेट्रो में नई संस्कृति का भी आगाज़ किया जिसके तहत यात्रियों को उच्चतम स्तर की सुविधा और सुरक्षा के साथ अपनेपन का भी एहसास हो।

कुमार केशव को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

निष्पक्ष दस्तक का सवाल लखनऊ मेट्रो परियोजना के दौरान किन-किन दिक्कतों का आपको सामना करना पड़ा तो उनका जबाब था कि ”जब मैं लखनऊ मेट्रो से जुड़ा तो हम सिर्फ पांच लोग ही थे। बहुत ही छोटा समूह था। हमने अपने निजी स्तर पर भी काम किया। हमने चरणबद्ध तरीके से काम करना शुरू किया। हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या यूटिलिटी की थी।” उन्होंने कहा, ”लखनऊ जैसे शहर में लोगों ने कभी मेट्रो की कल्पना भी नहीं की थी। तंग स्थान पर मेट्रो पिलर खड़ा करना आसान काम नहीं था। सड़कों को चौड़ा करने का काम पसीने छुड़ा देने वाला था।

हजरतगंज में भूमिगत काम करना सबसे बड़ी चुनौती रही। हालांकि, स्थानीय लोगों और मीडिया का भरपूर साथ मिला।” वह कहते हैं, ”हमने इस परियोजना के लिए दिन-रात काम किया है। छुट्टियों के दिन लोगों से मिलकर चर्चाएं की हैं। उनकी राय जानी है, जानकारी इकट्ठा की है।” उन्होंने बताया, ”दिल्ली और लखनऊ की भौगोलिक स्थितियों में खासा अंतर है। दिल्ली में संसाधनों की कमी नहीं है। यहां हर तरह की सुविधाएं हैं, लेकिन लखनऊ में इसका अभाव है।”

कुमार केशव ने कहा कि “सफलता के लिए कड़ी मेहनत और निष्ठा के अतिरिक्त और कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होता। लगातार प्रयासरत रहिये, स्वयं के प्रति ईमानदार रहिये और अपने व्यावसायिक लक्ष्यों की ओर पूरी सत्यनिष्ठा के साथ बढ़ते रहिए। अभी हमें सफलता की कई नई अभिलेख लिखने हैं।”

इस अवसर पर कुमार केशव ने इंडियन कंक्रीट इंस्टिट्यूट का धन्यवाद करते हुए बताया कि “मैंने 2014 में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (पूर्व में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था, जो कि निःसंदेह मेरे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी। उस दिन से लेकर आज तक मैंने अपना सर्वस्व यूपीएमआरसी के लिए समर्पित किया है। मैंने इसे कभी एक नौकरी के रूप में नहीं देखा, बल्कि ये साल मेरे जीवन का अहम हिस्सा रहे हैं और हमेशा रहेंगे। मैंने अपनी टीम के साथ जो भी उपलब्धियाँ हासिल की है उन पर मुझे गर्व है।

लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना को निर्धारित समय-सीमा से 36 दिन पूर्व पूर्ण करने के बाद, यूपीएमआरसी ने कानपुर में कोविड-19 की दो लहरों के बावजूद भी मेट्रो परियोजना के प्राथमिक सेक्शन (आईआईटी-मोतीझील) पर सिर्फ़ 2 साल और 1.5 माह में यात्री सेवाओं का परिचालन शुरू कर इतिहास रचा है और अपनी कर्मठता को प्रमाणित किया है। मैं इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों का भी धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने मेट्रो निर्माण के दौरान हमारा धैर्यपूर्वक साथ दिया।”

कुमार केशव को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार