महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

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महाराष्ट्र जारी राजनीतिक संकट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल करके दलबदल में शामिल सभी विधायकों पर कार्रवाई की मांग की गई है। अर्ज़ी में कहा गया कि विधायकों का दलबदल असंवैधानिक है। दलबदल करने वाले विधायकों को 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल किया है।

महाराष्ट्र के विधायकों की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर अयोग्य/इस्तीफा देने वाले विधायकों को 5 साल तक चुनाव लड़ने से रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि ऐसे विधायकों पर उनके इस्तीफे/विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने की तारीख से पांच साल तक चुनाव लड़ने रोक लगे। याचिका में कहा कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद केंद्र ने दलबदल के मामलों में अभी तक कदम नहीं उठाया है। कुछ राजनीतिक दल स्तिथि का फायदा उठाते हुए निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश करते हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक विचारों के बीच संतुलन बनाए रखने में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण है।सुप्रीम कोर्ट में जया ठाकुर की 2021 से लंबित अर्ज़ी में नई याचिका दाखिल की गई।

जिसमें SC ने जनवरी 2021 में केंद्र से जवाब मांगा था। दरअसल, महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार के बड़े नेता एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत का रुख अपनाया लिया है और उनके समर्थन में 34 से ज़्यादा विधायकों ने गुवाहाटी में डेरा जमा रखा है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे का कहना है कि शिवसेना अपनी मूल विचारधारा हिंदुत्व से दूर होती जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को माहकघाड़ी गठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए। वहीं एकनाथ शिंदे गुट ने 34 बागी विधायकों के राज्यपाल को पत्र लिखा। 34 बागी विधयकों ने हस्ताक्षर वाली चिट्ठी गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को भेजा है। जिसमें में कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना विधायक दल के नेता हैं, भरत गोगावले को नया चीफ व्हिप चुन लिया गया है। शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था।