योग के आसन एवं नुक्सान

158
योगगुरु के0 डी0 मिश्रा

योग का उद्धेश्य हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। या इसे ऐसे कह सकते है कि जीवन का सर्वांगी विकास करना। सर्वांगी विकास से तात्पर्य यहाॅ शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास से है। योग एक ऐसा साधना विज्ञान है, जिसके द्वारा जन्म-जन्मो के संस्कार क्षीण हो जाते हैं।योग का उद्धेश्य हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। या इसे ऐसे कह सकते है कि जीवन का सर्वांगी विकास करना। सर्वांगी विकास से तात्पर्य यहाॅ शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास से है। योग जीवन जीने की कला है। योग एक ऐसा साधना विज्ञान है जिसके द्वारा जन्म-जन्मो के संस्कार क्षीण हो जाते हैं। शारीरिक एवं मानसिक निरोगताए स्वस्थताए व कुविचारों कुसंस्कारों से मुक्ति मिलती है। सुसंस्कारिताए सुविचार के द्वारा अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। जीवन उच्च व दिव्य बनता जाता हैं। आत्मदर्शन व आत्मसाक्षात्कार के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है।

शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग हमारी बहुत मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायता करता है और आपको आराम से रहने में मदद करता है।

योग के प्रमुख आसन :-

वीरभद्रासन

इस आसन को करने से पैरों तथा भुजाओं में शक्ति मिलती है। 

इस आसन को खड़े होकर,अपने पैरों के बिच 3-4 फ़ीट की दूरी रखकर लम्बी साँस लेकर दोनों हाथों को जमीन के समांतर ऊपर उठाकर अपने सिर को दाएं तरफ मोड़ें फिर साँस छोड़कर दाएँ पैर को 90 डिग्री में दाएँ तरफ मोड़ें। इस पोजीशन में कुछ देर रूककर फिर दूसरी तरफ दोहराएं। इस योग को 3 -4 बार दोहराएं। 

वृक्षासन 

इस आसन को करने से शारीरिक संतुलन बना रहता है। यह आसन जांघों ,पैर और रिड की हड्डी को मजबूत बनता है। 

इस आसन को खड़े होकर दोनों हाथों को बगल में रखना है। उसके बाद दाहिने पैर को अपने बाएं जांग पर रखकर सीधे खड़ा होना है। धीरे -धीरे दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर लेजाकर प्रार्थना मुद्रा में रहना है और कम से कम 30 -45 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहना है। इस योग को दूसरी तरफ भी दोहराएं। 

अर्ध चंद्रासन 

यह आसन पूरे शरीर के लिए लाभदायक होता है,शरीर लचीला तथा गर्भाशय व मूत्र संबंधित रोगों से लाभकारी भी होता है। 

इस आसन को खड़े होकर अपने शरीर को दाहिने तरफ मोड़ें और दोनों हाथों को सीधे ऊपर  करके अपने शरीर की तरफ ही घुमाएं। इस मुद्रा में 30 -45 सेकंड तक रूकें और इसे दूसरी तरफ भी दोहराएं। इस आसन में शरीर को आधे चंद्र के आकार में घुमाया जाता है 

भुजंगासन  

इस आसन को करने से कमर दर्द की परेशानियां दूर होती है। यह आसन पीठ व मेरुदंड के लिए मददगार है और गैस व मोटापा कम करने में मदद करता है। 

इस को पेट के बल लेटकर एक लम्बी साँस के साथ अपने शरीर के ऊपरी भाग (सिर ,गर्दन ,कन्धों और छाती )को ऊपर उठाकर किया जाता है। इस मुद्रा में 20 -30 सेकंड तक रूककर तथा इस क्रिया को 4 -5 बार दोहराया जाता है। 

अब सवर्णों को भी मिलेगा जाति प्रमाण-पत्र

बाल आसन

बालासन शरीर को संतुलित करता है तथा रक्त संचार को सामान्य बनाए रखता है। बालासन से तनाव भी दूर होता है। 

इस आसन को करने के लिए जमीन पर अपने घुटनों के बल बैठकर फिर एक लम्बी साँस लेकर धीरे -धीरे आगे की तरफ झुकें और अपनी साँस छोड़ें। अपने हाथों को सीधे जमीन पर हथेलियों को नीचे की तरफ करके रखें और इस मुद्रा में 30 -45 सेकंड तक रहें तथा धीरे -धीरे साँस ले और छोड़ें। 

मार्जरी आसन 

यह आसन शरीर को सक्रिय बनाने तथा ऊर्जावान बनाने में सहायक है। इस आसन से शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है। 

मार्जरी आसन को करने के लिए अपने घुटनों और हाथों के बल आकर घोड़े के जैसे अपने हाथों के बिलकुल सीधा रखें। साँस छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ लाएं  तथा कमर को बाहर की तरफ  गोल करें ऐसा करने से पीठ में  खिचाव आएगा। फिर सांस लेते हुए सिर को ऊपर की ओर लेकर जाएं और कमर  अंदर  ओर  करें। इस आसन को 2 -3 बार दोहराएं।  

नटराज आसन

 इस आसन से संतुलन सुधारनें, वजन को कम करने,शरीर का लचीलापन बढ़ाने,तनाव कम करने,फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और कंधे, बाहे और पैर मजबूत करने में मदद मिलती है। 

इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर गहरी साँस लेकर अपने बाएँ पैर को अपनी दाईं जांघ पर रखे और नमस्कार मुद्रा धारण करें। फिर कुछ देर के लिए इसी मुद्रा में रहे और फिर धीरे -धीरे साँस ले और छोड़ें। इस मुद्रा को दूसरी तरफ भी दोहराएं। 

गोमुख आसन 

इस आसन की नियमित अभ्यास करने से शरीर सुडोल बनता है और मांसपेशियां मजबूत रहतीं हैं। 

इस आसन को करने के लिए सुखासन में बैठकर अपने पैरों को आगे करें और बाएं टांग अपने शरीर की तरफ मोड़ें। अपने दाहिने घुटने को उठाकर अपने बाएं पैर को दाएं जांघ के नीचे रखें फिर अपनी दाहिनी टांग को शरीर के तरफ खींचकर बाएं जांघ ऊपर रखें। फिर बाएं हाथ को पीठ पर और दाएं हाथ को ऊपर गर्दन की तरफ से लेजाकर दोनों हाथों को एकदूसरे को पकड़ने की कोशिश करें। आपकी पीठ एकदम सीधी होनी चाहिए और फिर ऑंखें बंद करके इस मुद्रा में 2 मिनट तक रहें। इस आसन को दूसरी तरफ  दोहराएं।  

हलासन 

अभ्यास करने से रीड की हड्डी लचीली रहती है और यह आसन पेट के रोग, थायराइड दमा, रक्त संबंधी रोगों में भी काफी लाभकारी है

इस आसन को पीठ के बल लेटकर अपने दोनों हाथों को जमीन पर सीधा रखकर एक लम्बी सांस लेकर अपने पैरों को थोड़ा ऊपर उठायें और फिर 90 डिग्री पर रोककर रखें तथा फिर साँस लेते हुए अपने कूल्हों को पीठ की मदद से ऊपर उठायें। उसके बाद अपने पैरों को 180 डिग्री तक मोड़ें जब तक की वह  जमीन को न छूह ले। इस आसन को धीरे -धीरे करें।  

सेतु बांध आसन

 इस आसन को करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है तथा पेट की मांसपेशियां एवं जांघों का अच्छा व्यायाम होता है और शरीर तंदरुस्त होता है। 

इस आसन को लेटकर और फिर दोनों बाजुयों को दोनों तरफ करके अपने शरीर को इस भांति ऊपर उठाना है जिससे आपका शरीर एक पुल बन जाए। एक लम्बी साँस लेनी हैं और उसे 25 -30  सेकंड तक रोककर रखना है। फिर धीरे -धीरे अपने शरीर को नीचे पहली मुद्रा में लेकर आना है। इस योगासन को 4 -5 में दोहराना है। 

सुखासन

यह आसन मन को शांति प्रदान करता है और चिंता ,तनाव और मानसिक थकान से जुड़े रोगों से दूर करता है। इस आसान को करने से लम्बाई बढ़ने,छाती चौड़ी करने में भी लाभ मिलता है। 

इस आसन को बैठकर किया जाता है। चोंकड़ी लगाकर सीधे बैठकर तथा अपने हाथ अपने घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा धारण करनी है और धीरे -धीरे साँस लेनी और धीरे -धीरे साँस छोड़नी हैं। 

नमस्कार आसन 

इस आसन को करने से मानसिक तनाव से मुक्ति ,वजन कम करने तथा शरीर को निरोगी और स्वस्थ करने में सहायता मिलती है। 

यह काफी सरल आसन है और इसे किसी भी आसन की शुरुआत में किया जाता है। इस के अन्त्रगत काफी आसन आते हैं :–

  • प्रणाम आसन – इसे करने के लिए सीधे खड़े होकर अपने कन्धों को ढीला रखकर सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर करें और सांस छोड़ते हुए प्रणाम मुद्रा ग्रहण करें। 
  • हस्तउत्तानासन-इसे करने के लिए सांस लेते हुए हाथों को ऊपर अपने कानों के पास रखा जाता है और शरीर को थोड़ा ऊपर की तरफ खींचना होता है। 
  • हस्तपाद आसन – इसे करने के लिए सांस लेते हुए आगे झुकना और सांस छोड़ते हुए अपने पैरों के पंजों को छूना होता है। 
  • अश्व संचालन आसन -इसे करने के लिए दाहिने पैर को पीछे कर घुटने को जमीन से लगाकर चेहरे को ऊपर लेजाकर ऊपर की तरफ देखना होता है। 
  • दण्डासन -इसे करने के लिए बाएं पैर को पीछे कर शरीर को सीधी रेखा में  किया जाता है। 
  • अष्टांग नमस्कार -इसे करने के लिए मुँह के बल जमीन पर लेटकर धीरे -धीरे अपने कूल्हों को ऊपर उठाना होता है। 
  • भुजंगासन -इसे करने के लिए मुँह के बल जमीन पर लेटकर अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाना होता है। 
  • पर्वत आसन -इसे करने के लिए मुँह के बल जमीन पर लेटकर हाथ और पैरों को जमीन पर और बाकि शरीर को ऊपर उठाना होता है। 

ताड़ासन

ताड़ासन मानसिक तथा शारीरिक संतुलन बनाये रखता है। रीड की हड्डी में खिचाव लाता है और शरीर की बनाबट में भी सुधार लाता है। 

इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों की उँगलियों को पकड़कर सिर के ऊपर लेजाकर सीधा करें होर फिर अपने पंजों पर वजन डालते हुए अपने शरीर को ऊपर उठायें। 

त्रिकोणासन 

इसका अभ्यास करने से शरीर का तनाव दूर होता है और लचीलापन आता है। 

इस आसान को खड़े होकर अपने दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें और फिर दाएँ पैर को 90 डिग्री में मोड़ें। उसके बाद शरीर को दाएँ तरफ झुकाते हुए अपने पैर की उँगलियों को छूएं और बाएँ हाथ को ऊपर की और सीधे रखकर 1 -2 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें। फिर इस क्रिया को दूसरी तरफ भी दोहराएं।

 उष्ट्रासन 

ऊंट के समान मुद्रा इस आसन के करने से शरीर लचीला तथा मजबूत रहता है और फेफड़ों की  क्षमता बढ़ती है। 

इस आसन को करने के लिए अपने पैरों के ऊपर बैठें और फिर अपनी बाजुयों को घुटनों पर रखकर खड़े हो जाएँ। फिर पीछे की तरफ झुककर अपनी एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें। शरीर का वजन पैरों और भुजाओं पर ही होना चाहिए तथा पीठ धनुष के जैसी दिखनी चाहिए। 

ब्रज आसन

इसका अभ्यास करने से शरीर सुढोल बनता है ,पीठ दर्द और कमर दर्द जैसी समस्या में लाभदायक है। 

इस आसन को करने के लिए अपने पैरों को मोड़कर तथा कमर सीधी करके बैठा जाता है। फिर आंखें बंद कर लम्बी सांस लेनी और छोड़नी होती है। 

शवासन 

यह आसन थकान और मानसिक परेशानी को दूर करता है तथा ध्यान/एकाग्रता में सुधार आता है। 

इस आसन को मरे हुए शरीर की तरह लेट कर किया जाता है और दोनों पैरों को अलग -अलग करके रखना है। कुछ मिनटों के लिए धीरे-धीरे साँस लेनी और धीरे -धीरे साँस छोड़नी हैं। 

कपाल भारती

कपाल भारती करने से  हृदय और मस्तिष्क रोग दूर रहतें हैं। यह कफ,दमा ,श्वास रोगों में भी लाभदायक है।  यह मस्तिष्क और शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है। 

 इस आसन को करने के लिए जमीन पर पैरों के ऊपर बैठकर पीठ को सीधी करके एक लम्बी सांस लेना है जिससे आपका पेट बिलकुल भर जाये और फिर धीरे -धीरे सांस छोड़े ताकि पेट अंदर चला जाये। इसे आप 5 मिनट तक दोहराएं। 

अनुलोम विलोम

यह आसान डायबिटीज रोगियों  के लिए काफी लाभदायक है। यह मन को शांत रखता है और एकाग्रता बढ़ाता है। यह आसान वजन काम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ाने में भी लाभदायक है। 

 इस आसन को बैठकर अपने दाएं पैर को बाएं पैर पर तथा बाएं पैर को दाएं पैर की जांघ पर रखें। अपने दाहिने नाक को दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करें और बाएं नाक से धीरे धीरे गहरी सांस लें और फिर दाहिने नाक पर रखें अंगूठे को हटाकर धीरे -धीरे सांस छोड़ें और सांस छोड़ते समय अपनी उंगली से बाएं नाक को बंद करें। उसके बाद बाएं नाक  बाएं हाथ के अंगूठे से बंद करें और दाएं नाक से सांस ले फिर बाएं तरफ से सांस छोड़ते समय अपने दाईं नाक को बंद कर लें। इस आसन को 10 -15 मिनट तक दोहराया जा सकता है। 

योग के नुक्सान

योग हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसके बहुत से लाभ हैं लेकिन अगर हम योग को सुचारु तरीके से न करें तो इसके नुक्सान भी देखने को मिलतें हैं।  योग करने से हमें थकावट महसूस होती है क्योंकि कई बार हम अपने शरीर की क्षमता से ज्यादा अभ्यास करने लग जातें हैं। योग को नियमित रूप से करने यह आपकी एक आदत भी बन जाती है और अगर किसी कारण आप योग नहीं कर पाए तो आपको कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा। अगर आप अपनी जरूरत से ज्यादा अपनी मांसपेशियों को खींचेंगे तो आपको लकवा मारने का डर भी रहता है। कई बार योग अभ्यास करने या दूसरों को देखकर उनके जैसा बनने के विचार भी हावी हो जातें हैं। कई बार गलत योग करने या गहने पहनकर योग करने से हमें चोट भी लग सकती है। कई लोगों में पाया गया है की उनके टेस्टेस्टरोन हार्मोन बढ़ने के कारण उन्हें गुस्सा अधिक आता है। कई लोगों में पाया गया है की उनकी जिह्व का स्वाद ही बदल गया है जो चीजें वह योग शुरू करने से पहले कहते थे अब उन्हें नापसंद है।