GST की कार्यवाही में सामने आ रहे बड़े मामले

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समय से जमा किया जीएसटी तो डरने की कोई जरूरत नहीं। एआई आधारित डेटा विश्लेषण से 2558 व्यापारी चिन्हित, इनकी हुई जांच। राज्य कर विभाग की कार्यवाही में सामने आ रहे बड़े मामले।अधिकाधिक व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत हों, इसके लिए जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है।

प्रकरण-1
जनपद हापुड़ के पिलखुआ में हाजी टेक्सटाइल्स द्वारा रॉ मैटेरियल प्लेन कपड़ा तथा रंग इत्यादि खरीदकर बेड की चादरें बनाने का काम किया जाता है। व्यापार के इस प्रारूप में व्यापारी को भारी मुनाफा होता है। जाहिर है कि इसमें पर्याप्त मात्रा में वैल्यू एडीशन होता है, लेकिन इस फर्म द्वारा कैश के रूप में कोई टैक्स जमा नहीं किया जा रहा था। जबकि फर्म का वास्तविक टर्न ओवर ₹25 करोड़ है। फर्म के द्वारा अपनी कैश कर की देयता को एडजस्ट करने के लिये ₹50 हजार से कम मूल्य के बिलों से इनपुट क्रेडिट लेते हुए आउटवर्ड टैक्स की लायबिल्टी को आईटीसी में ही समायोजित कर लिया जाता था। फर्म के द्वारा कभी कोई कर कैश के रूप में जमा नहीं किया गया था। विभाग ने फर्म के संबंध में स्थानीय स्तर से भी इनपुट लिया तथा रेकी करने पर पाया गया कि फर्म का केवल एक मुख्य व्यापार स्थल घोषित है तथा 03 अन्य गोदाम /फैक्ट्री अघोषित स्थलों से चल रही हैं। फर्म द्वारा अपने टर्नओवर को छिपाने तथा करापवंचन की दूषित मंशा से 03 अघोषित स्थानों पर माल को रखा जाता है। राज्य कर विभाग की विशेष अनुशासनिक शाखा ने इन जगहों को खोज निकाला। फर्म के संबंध में बोवेब पोर्टल से जीएसटीआर-2ए देखे गए तथा पाया गया कि फर्म द्वारा ऐसी फर्मों से खरीद दिखाकर आईटीसी ली जा रही है जो वास्तव में कोई व्यापार करती ही नहीं है। फर्म का डेटा विश्लेषण बीफा पोर्टल से भी किया गया। इस प्रकार फर्म द्वारा अस्तित्वहीन फर्मों से बोगस खरीद दिखाकर ₹59.30 लाख की अनुचित आईटीसी ली गई। 07 दिसंबर को जाँच की गई,व्यापारी ने गलती मानी और प्राथमिक आकलन पर ही फर्म द्वारा ₹87.16 लाख की देयता स्वीकार करते हुए राशि जमा की गई, जबकि यह फर्म इससे पूर्व कोई कर जमा नहीं कर रही थी।

प्रकरण-2

गोरखपुर के गीडा में संचालित फर्म सर्वश्री इंडियन ऑटो व्हील्स भारी वाहनों की बॉडी का निर्माण व सर्विसिंग का काम करती है। संबंधित व्यापारी के संबंध में राज्य कर विभाग ने जब बीफा रिपोर्ट से प्राप्त इनपुट के आधार पर डेटा एनालिसिस किया तो कुछ गड़बड़ी का अंदेशा हुआ। 10-11 दिसंबर को जांच हुई। डॉटा एनालिसिस के अधार पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि वित्तीय वर्ष 2020-2021 एवं 2021-2022 में जीएसटीआर-3बी में स्वीकृत करदेयता, जीएसटीआर-1 की तुलना में ₹85.32 लाख कम है तथा व्यापारी द्वारा वर्ष 2019-2020 के लिए दाखिल जीएसटीआर-9सी में कुल ₹32.77 लाख अधिक आईटीसी क्लेम की गई थी, लेकिन धनराशि जमा नहीं की गयी थी। साथ ही, घोषित व्यापार स्थल के अतिरिक्त अन्य जिलों को अघोषित व्यापार स्थलों पर पार्ट्स का ₹5.40 लाख का स्टॉक ट्रांसफर दिखाया गया है, जबकि यह सप्लाई की श्रेणी में आता है। व्यापारी द्वारा वाहनों की बॉडी के निर्माण में प्रयुक्त सर्विस (लेबर) का अंश अनुचित रूप से कम दर्शाने के कारण गुड्स का अंश अधिक दिखाया गया तथा उसकी अनुचित रूप से आईटीसी क्लेम करने के कारण स्वीकृत कर में कैश सेट ऑफ कम किया गया। उपलब्ध डॉटा की सघन जांच की गई तथा उससे प्राप्त इनपुट के आधार व्यापार स्थल की रेकी कराई गई, तथ्यों की पुष्टि पाए जाने पर व्यापारी पर ₹123.49 लाख कर और ब्याज व अर्थदण्ड तय हुआ। अंततः 11 दिसंबर को ₹99 लाख कर एवं ₹1 लाख अर्थदण्ड के मद में जमा कराया गया।

आईटी टूल्स के जरिए राजस्व बढ़ाने पर जोरआईटी टूल्स बीफा के जरिए नये रजिस्टर्ड व्यापारी द्वारा हाई वेल्यू के ई-वे बिल जनरेट करने समेत उसके उपयोग की जांच की जा रही है। इसके अलावा नॉन फाइलर का टर्नओवरवाइज समीक्षा करते हुए रिटर्न दाखिल करने के साथ देय राजस्व को जमा करने का काम भी किया जा रहा है। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल्स के आधार पर अन्य जानकारी एकत्रित कर राजस्व को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग के पूरी तरह से ऑनलाइन होने से जीएसटी रिटर्न दाखिले में उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है।

यह कुछ मामले उदाहरण हैं प्रदेश में जीएसटी चोरी के। कर अपवंचन के ऐसे सैकड़ों प्रकरणों से हो रही राजस्व क्षति को रोकने के लिए राज्यकर विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिसके शानदार परिणाम भी मिले हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कर अपवंचन की रोकथाम के लिए लगातार कार्यवाही की जाती रही है। इसी कड़ी में बीते दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डेटा विश्लेषण से प्रदेश में 2558 ऐसे व्यापारी चिन्हित हुए, जिनकी खरीद, बिक्री और नियमानुसार देय कर भुगतान मिसमैच था। ऐसी गड़बड़ियों का गहन अध्ययन करने के बाद जोन वार रणनीति के साथ कार्यवाही की जा रही है। राज्य कर विभाग की कार्यवाही के दौरान केवल इन्हीं चिन्हित व्यापारियों की ही जांच की गई। बता दें कि राज्यकर विभाग की यह कार्यवाही किसी विशेष अभियान का हिस्सा नहीं है, बल्कि ऐसी कार्यवाही सतत जारी रहती है।

व्यापारियों को न हो कोई परेशानी


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश और प्रदेश के विकास में व्यापारी व उद्यमी बंधुओं के योगदान को सराहते हुए राज्य कर विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी उद्यमी, व्यापारी का उत्पीड़न न हो। राजस्व की चोरी राष्ट्रीय क्षति है। छापेमारी की कार्यवाही से पहले पुख्ता जानकारी इकठ्ठा करें। रेकी करें। पूरी तैयारी करने के बाद ही कार्यवाही की जाए।

डिजिटाइजेशन से कर अपवंचन पर लगाम तो व्यापारियों को सहूलियत –


योगी के निर्देश पर राज्य कर विभाग में कर अपवंचन रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है। विभाग के बोवेब पोर्टल पर हर पंजीकृत व्यापारी की खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड उपलब्ध होते हैं, जिसकी मासिक विवेचना की जा रही है। वहीं बीफा यानी बिजनेस इंटेलीजेंस एंड फ्रॉड एनालिसिस साफ्टवेयर की मदद से कर चोरों पर सीधी निगरानी की जा रही है। दूसरी ओर व्यापारियों की सुविधा के लिए रजिस्ट्रेशन, पेमेंट, नोटिस, आदेश, रिफंड एप्लीकेशन, देय रिफंड का भुगतान सब कुछ ऑनलाइन ही हो रहा है। अधिकाधिक व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत हों, इसके लिए जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है।

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