भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा

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मथुरा को कई नाम से पुकारा गया है जैसे-शूरसेन नगरी,मधुपुरी,मधुनगरी इत्यादि,वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है एवं इसे लवणासुर की राजधानी बताया गया है जिसे जिसे भगवान राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न ने युद्ध में हराकर मारा था इसके बाद उन्होंने यहां पर राज किया। यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा नरेश अपने कंस मामा को मारा था।भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे,इस मथुरा में अनेकों मंदिर है। यहां पर कृष्ण के मामा कंस का राज पाठ भी यही था। यहां पर कई सारे चमत्कारी मंदिर है।मथुरा में आपको आस्था और धर्म का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। दुनिया भर से लोग इस जगह पर घूमने आते हैं। अगर आप मथुरा जा रहे हैं तो अपनी सुविधा अनुसार इन जगह पर जरूर घूमने जाएं।

मथुरा मंदिरों की भूमि है, जहां आपको शहर के हर नुक्कड़ पर मंदिर ही मंदिर देखने को मिल जाएंगे। हालांकि, ‘भगवान कृष्ण जन्मभूमि’ में न केवल भगवान कृष्ण को बल्कि भगवान शिव को भी समर्पित मंदिर हैं। इस तरह आप यहां वैष्णव और शैव संस्कृति को एक साथ देख सकते हैं। मथुरा के इन मंदिरों में आप पर्यटकों की भारी संख्या में भीड़ देख सकते हैं। जन्माष्टमी के समय जब मंदिर चमकदार रोशनी, दीयों और रंगीन सजावट से जगमगा रहा होता है, तो यहां का दृश्य देखने लायक होता है।

मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। इस शहर को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है। यह भारत का प्राचीन शहर है तथा यमुना नदी के किनारे बसा है| मथुरा लगभग दिल्ली से 180किलोमीटर तथा आगरा से 58 किलोमीटर पर स्थित है|यहां पर दुनिया भर से पर्यटक कृष्ण नगरी में भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान विष्णु ने मथुरा को सर्वाधिक अपना प्रिय स्थान बताया है।कृष्ण की नगरी में यहां पर दूध दही के पकवान बहुत ही ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। यह सात पवित्र स्थानों में से एक हैं।

मथुरा से लगभग 26 किलोमीटर दूरी पर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड आता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन में गौचारण लीला करते थे। कृष्ण को गौ हत्या का पाप लगा था इस पाप से मुक्ति के लिए श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड -श्याम कुंड खोदा और उस में स्नान किया इस पर राधा जी ने श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन से एक और कुंड- राधा कुंड खोदा और उस में स्नान किया स्नान करने के बाद राधा जी और श्री कृष्ण ने महारास रचाया इसमें दोनों ने अपनी सुधबुध खो बैठे। महारास से प्रसन्न होकर राधा जी से कृष्ण ने वरदान मांगने को कहा। तब उन्होंने कहा कि इस राधा कुंड में जो भी स्नान करें उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो। इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को वरदान दे दिया। महारास वाले दिन कार्तिक मास की अष्टमी-अहोई अष्टमी थी। तभी से इस विशेष तिथि पर पुत्र प्राप्ति को लेकर दंपति राधाकुंड में स्नान कर राधा जी से आशीर्वाद मांगते हैं।

कृष्ण जन्मभूमि हिन्दुओं के पूजन के लिए पावन धरती मानी जाती है। भगवान श्री कृष्ण मथुरा के एक जेल की कोठरी में पैदा हुए थे। जेल की कोठरी वाले स्थान पर एक मंदिर है। यहां हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर जहाँगीर के शाशन में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा बनवाया गया था। यहां की जेल की दीवार और बाकी अन्य चीजे देखने पर लगता है,मानो भगवान् श्री कृष्ण आज भी बालक के रूप में यहाँ हैं। लोग कहते हैं यहाँ पर भगवान् कृष्ण की सोने की मूर्ती रखी हुई थी जिसे महमूद गजनवी उठा ले गया था। मथुरा जंक्शन से इस मंदिर की दूरी लगभग 3.5 किलोमीटर है।