प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव में धांधली-मिश्र

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प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव में धांधली-मिश्र
प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव में धांधली-मिश्र

प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव में धांधली-मिश्र

लखनऊ। उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कृपा शंकर मिश्र ने प्रेस बयान जारी करते हुए बताया कि सहकारी निर्वाचन आयोग द्वारा प्राथमिक सहकारी समितियों के घोषित निर्वाचन कार्यक्रम अनुसार 14 मार्च को नामांकन, 15 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच, 16 मार्च का नाम वापसी एवं 18 मार्च 2023 को मतदान होना है। भाजपा द्वारा 15 मार्च को ही समाचार प्रकाशित कराया गया कि 7 हजार सहकारी समितियों में 70 हजार नामांकन हुए हैं जिनमें 20 हजार भाजपा के प्रतिनिधि चुनकर आ रहें हैं जबकि 16 मार्च को तो नामांकन की जांच होनी थी जिसमें काफी नामांकन खारिज किये जा चुके हैं। मिश्र ने आगे बताया कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा बढ़ चढ़कर सक्रियता के साथ चुनाव लड़ने हेतु नामांकन किया जा चुका है जिनमें लगभग 250 प्रतिनिधि र्निविरोध निर्वाचित हो रहें हैं मतदान तिथि 18 मार्च के पश्चात अधिकारिक कांग्रेसजनों की सहकारिता चुनाव में जीत कर आने की संभावना है। प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव में धांधली-मिश्र

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उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल पर सहकारी समितियों के चुनाव मामले में आरोप लगाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सहकारी समितियों के चुनाव में सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों को ही नामांकन पत्र उपलब्ध कराया जा रहा है।भाजपा = और सपा के बीच सहकारी समितियों में मुख्य मुकाबले के आसार हैं। सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव के पार्टी में पुनः आ जाने के बाद अब सपा की ताकत और बढ़ गई है। शिवपाल सिंह यादव की कोऑपरेटिव सेक्टर में काफी पकड़ है। ऐसे में सपा में उनकी वापसी का फायदा पार्टी को मिल सकता है। सहकारी समितियों में पिछले कई दशकों से समाजवादी पार्टी के प्रभुत्व को भाजपा चुनौती देना चाहती है।

इटावा किसान सेवा समिति चुनाव मे भारी हंगामा,पुलिस पर धांधली करवाने का आरोप। सपा नेता मनीष यादव उर्फ़ पतरे को गिरफ्तार किये जाने के प्रयास के बाद सपा कार्यकर्ताओ ने चौबिया थाने का घेराव। सपा नेता अंकुर यादव व मनीष यादव के चौबिया थाने पर गिरफ्तारी का कारण जानने पर एसओ द्वारा नही मिला संतोषजनक जवाब। भारी हंगामे के बाद मनीष यादव पतरे को किया गया रिहा।