विधा कहानी डिवोर्स

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जयश्री बिरमी (अहमदाबाद)

ज युति को लड़का देखने आ रहा था लेकिन युति को ऐसे शादी नहीं करनी थी।उसके अपने पापा बृजमोहन शर्मा से काफी बहस होती रहती थी और उसकी मां रीती तो वैसे भी परेशान रहती थी युति की हर बात उसकी समझ से बाहर थी।वह हमेशा अपने जात बिरादरी के नियमों और सामाजिक व्यवस्था के तहत ही जीना सीखी थी।उसे कभी भी समाज या जात बिरादरी के प्रति विद्रोही विचार कभी भी नहीं आते थे।रीती  जब बीस साल की थी तब बृजमोहन का रिश्ता आया तो उसके पिता ने उसे बताया कि ब्रिज वकील था और अच्छे घर का लड़का था ,उन्हें पसंद था तो रीती भी उसे से मिल ले अगर पसंद आता हैं तो रिश्ता तय कर देंगे।और रीती को ब्रिज पसंद भी आ गया तो रोका भी होगा और बाद में सगाई और शादी भी हो गई।ब्रिज और रीती आपस में बहुत प्यार से रहते थे,ब्रिज एक समझदार और सुलझी विचारधारा वाला आदमी था और रीती तो थी ही एकदम सदा विचारों वाली,तो अच्छी कट रही थी जिंदगी।शादी के दो साल बाद युति भी आ गई तो उनकी जीवन बगिया महक गई।उन्होंने युति को बहुत अच्छे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया फिर उसे अच्छी नौकरी भी मिल गई।जब युति को लड़का देखने आने की बात हुई तो रीती की आंखों के सामने से अपने दिनों की याद एक सिनेमा सी गुजर गई। लेकिन जब युति ने बताया कि उसके साथ मनन करके लड़का हैं वह उसे पसंद हैं तो रीती ने पूछ ही लिया क्या वह उनकी बिरादरी का था क्या…..? और भड़क के युति ने मां को जवाब दिया,” क्या लड़के उनकी बिरादरी से बाहर नहीं रहे क्या…? मनन एक पढ़ा लिखा लड़का हैं,हिंदू हैं ये काफी नहीं है क्या….?

रीती को बेटी का जवाब अच्छा नहीं लगा,और शायद ब्रिज को भी नहीं लेकिन वह चुप रहा और बेटी को समझाते हुए बोले,”ठीक है बेटी अगर तुम्हे पसंद है मनन तो मैं उसके माता पिता से बात करता हूं  तुम दोनों के रिश्ते के बारे में ,अगर ठीक  रहा तो लगे हाथ शादी का मुहूर्त भी निकलवा लेंगे।” युति एकदम से बिफर के बोली,” शादी शादी क्यों कर रहे हो आप पापा …? शादी से पहले एक दूसरे को जानना भी तो जरूरी हैं,अगर छ: महीने साथ मनन के साथ रह लूंगी तो उसे  जान जाऊंगी और बाद में शादी कर लेंगे।” रीती तो सुनते ही सकतें में आ गई और बोली,” जिस बात को उसने या उनकी बिरादरी को स्वीकार नहीं किया वही युति क्यों करना चाहती हो….? जो तुम करना चाहती हो वह स्वीकार्य नहीं हैं हमारे समाज और बिरादरी में।”युति भी चिल्लाई,” क्या अगर मेरी शादी में कोई मुुश्किल आई तो तुम्हारी बिरादरी वाले बचाने या मदद करने थोड़े ही आयेंगे? “अब बस चर्चा ही चर्चा थी जो ब्रिज सुन तो रहा था लेकिन स्वीकार नहीं कर रहा था।एक ख्यातनाम वकील जो ऐसे कितने ही कैस देखता था अदालत में उसका पुत्री प्रेम जीत गया और उसने उस लिव इन रिलेशनशिप के लिए हामी भी भरदी।

   छः महीने बीत गए और युति और मनन ने अपनी शादी के लिए सहमति बता भी दी तो रीती और ब्रिज ने खुशी खुशी दोनों की शादी करदी।बिदाई की वेला बहुत ही मुश्किल थी माता पिता दोनों के लिए।वैसे भी युति तो इतने महीनों से अलग ही रहती थी किंतु ये जो बिदाई ,रीती रिवाजों के साथ हुई उसको सहना बहुत मुश्किल थी।  ब्रिज और रीती अभी बेटी के जाने के गम को भुला कर अपनी दिनचर्या में उसके बगैर ही जीना सीख रहे थे कि एक दिन दरवाजा खुला और अपने बैग्स और सूटकेस ले युति आ धमकी और कुछ जोर से चिल्ला रही थी।लेकिन दोनों कुछ समझे उससे पहले उसने जाहिर कर दिया कि वह मनन को छोड़ आई थी।अब रीती से रहा नहीं गया वह भी चिल्ला कर बोली,”ओह तो छः महीने के लिव इन में कुछ नहीं समझ आया तुम्हे,पहचान हो  नहीं गई ? तब तो बड़े बड़े दावे किए जा रहे थे।अब क्या हुआ….? “घर का वातावरण एकदम बोझिल हो गया और खाना जो बन चुका था वह भी किसी ने खाया नहीं और उदासी छा गई घर में।जब युति से पूछा गया तो उसने बताया,” अब मनन   पहले जैसा नहीं  रहा ,बस हर वक्त अपनी ही चलता हैं,वह कहे वही सच,मैं भी तो कमाती हूं तो घरमे मेरी भी तो चलनी चाहिए मेरी भी तो राय लेनी चाहिए ,मैं भी तो सयानी हूं,कोई बुद्धू थोड़ी हूं…..?

” खूब  आक्रोश से बोली और अपने कमरे में जा अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।रीती और ब्रिज एक दूसरे की शक्ल देखते रहे लेकिन इस प्यार करने का दावा करने वाले जोड़े में क्या और क्यों मन दुःख हुआ ये समझ नहीं पाएं।कहां गया उनका एकदूसरे को समझ लेने का दावा!जब मनन को ब्रिज मिले तो उसने बताया कि युति हर बार उसे गलत साबित करने के लिए उससे बहस करती रहती हैं और विमान कार्ड खेलती हैं,” मैं औरत हूं इसका मतलब ये नही तुम हर बात में मुझे दबा के रखोगे।जब मैंने घर के लिए लॉन ली तो दोनों की तनख्वाहों को ध्यान में रख के ली थी अब उसे हैं कि वह अपनी तनख्वाह अलग रखेगी,उसे घर भी अच्छा चाहिए तो लॉन भी थोड़ी ज्यादा ही होगी और उसका हफ्ता भी ज्यादा ही आयेगा न?”ब्रिज को भी मनन की बात सही लगी और वह उसे ढाढस बंधवाके घर की और निकल पड़ा।घर पहुंच कर उसने रीती को सारी बातों से ज्ञात किया और आगे क्या करना चाहिए ये सोचने लगे।दूसरे दिन सुबह नाश्ते के बाद जब वे लोग बैठे थे तो रीती ने बोला,”युति तुम्हे अब अपने घर चले जाना चाहिए ज्यादा दूर रहेगी तो मनन के साथ दूरियां और बढ़ जाएगी।”ये सुनते ही युति भड़क उठी और रीती की और देख तुनक के बोली,” मां तुम अपने स्तर की ही बात करोगी आजकल पढ़े लीखें लोग ऐसे सहन नहीं करते, स्वाभिमान  से जीते हैं।

“इतना सुनना था की रीती की आंखे भर आई, आहत हो उठी थी वह,अपने आपको अनपढ़ कहने और समझने वाली बेटी के शब्दों से।और ब्रिज की तो भवें तन गई और गुस्से में बोला,”चुप हो जाओ युति और अपने शब्द वापस लो और अपनी मां से माफी मांगो और नहीं तो अपना सामान उठाओ और घर से बाहर निकलो।”युति भी तो माफी मांगने वालों में से कहां थी!वरना मनन के साथ बात इतनी आगे बढ़ना नहीं थी।वह भी जोर से कुर्सी हटाई और तुनक कर उठी और अपने कमरे की और गई, थोड़ी देर बाद बाहर आई तो हाथ में उसके दोनों बैग थे और घरसे बाहर निकल गई।रीती हतप्रभ सी बाप बेटी का कार्य कलाप देखती रही और युति को बाहर जाती देख उसके पीछे जाने के लिए उठ ने लगी तो ब्रिज ने उसे बैठा दिया और उसी वक्त मनन को फोन करके वास्तविकता से वाकिफ कर दिया।उसे पता था कि वह जाएगी तो मनन के पास ही तो मनन को भी सूचित करने के लिए बोल दिया।और हुआ भी वही कुछ देर में ही मनन का मैसेज आया कि युति उसके पास पहुंच चुकी थी। अपने घर पहुंचते ही युति मनन से लिपट कर रोने लगी और अपने ही मां और पापा के वर्तन के बारे में शिकायत भी की।अब उसके लिए मनन ही ज्यादा नजदीक था उसी को अपना समझ ने लगी ।मनन ने भी उसे उसकी गलती के बारे में समझाया और अपनी मां के सम्मान को ठेस पहुंचाने का उसे कोई हक्क नहीं था। थोड़े दिन बाद ब्रिज और रीती उनके घर आएं रीती  बहुत सारा खाना बनके लाई थी। मां को देखते ही युति भी दौड़ पड़ी और लिपट के रोने लगी और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगी।रीती ने भी उसे चूम लिया और उसके आंसू पोंछ कर उसे माफ कर दिया।