मोदी जी के दो भाई बेरोज़गारी और महंगाई- सुप्रिया श्रीनेत

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पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, दही, लस्सी और यहाँ तक की आटे, चावल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स लगा कर कमर तोड़ महंगाई बढ़ायी।
देश में महंगाई और बेरोज़गारी के लिए मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लगातार महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को उठाती रही है। पिछले एक साल में तमामों धरना प्रदर्शन।
कांग्रेस 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘‘महंगाई पर हल्ला बोल’’ विशाल ऐतिहासिक रैली का आयोजन कर रही है।
आज की कहानी पीपली लाइव के गाने में संशोधन के साथ है – “सखी सैंया तो नईखे कमात हैं, महंगाई डायन मारे जात है”।

मोदी जी के दो ही भाई, बेरोज़गारी और महंगाई।



लखनऊ।
आगामी 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई पर ‘‘हल्ला बोल ’’ विशाल ऐतिहासिक रैली का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जा रहा है जिसको मुख्य रूप से राहुल गांधी जी संबोधित करेंगे, इस संदर्भ में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सोशल मीडिया तथा डिजिटल प्लेटफार्म की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत द्वारा लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस को सम्बोधित किया गया।सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी विपक्ष में रह कर बहुत बड़ी बड़ी बात करते थे – आज उन्होंने ही जनता को महंगाई के बोझ तले दबा दिया है।  देश में 83 प्रतिशत लोगों की आय घट गयी है, तब देश को महंगाई तले रौंदा जा रहा है। और यह महंगाई पेट्रोल, डीज़ल तक ही सीमित नहीं है – आटे, दाल, चावल, दूध, दही, लस्सी के दामों में भी आग लगी है। सरकार की वित्त मंत्री कहती है न हम दही पीते है और न ही प्याज, लहसुन खाते है। सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना बयान से पूरी जनता भुगत रही है। सरकार कोरोना के पीछे नहीं छुप सकती। देश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल के पहले नोटबंदी और जीएसटी के चलते खराब होने लगी थी वर्ष 2016 तक ग्रोथ रेट गिरकर 4.1 हो चुका था। मनमोहन सिंह जी की सरकार में 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया था जो इस समय 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गये।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार का रिकॉर्ड इस सच्चाई को उजागर करता है-

2014-2022- वृद्धि

एलपीजी 2014 में 410 प्रति सिलेंडर- अब 2022 में 1,053-1,240 रुपये प्रति सिलेंडर- 156 प्रतिशत की वृद्धि।
पेट्रोल 2014 में 71 रुपये प्रति लीटर- अब 2022 में 95 -112 रुपये प्रति लीटर- 40 प्रतिशत की वृद्धि।
डीजल 2014 में 55 रुपये प्रति लीटर- अब 2022 में 90-100 रुपए प्रति लीटर- 75 प्रतिशत की वृद्धि।
सरसों का तेल 2014 में 90 रुपये प्रति किलो- अब 2022 में 200 रुपए प्रति किलो- 122 प्रतिशत की वृद्धि।
गेहूं का आटा 2014 में 22 रुपये प्रति किलो- अब 2022 में 35-40 रुपए प्रति किलो- 81 प्रतिशत की वृद्धि।
दूध 2014 में 35 रुपये प्रति लीटर- अब 2022 में 60 रुपए प्रति लीटर- 71 प्रतिशत की वृद्धि।
आटा, दाल, चावल, लस्सी, दही सब महंगा

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री जी ने 2019 में मतदाताओं के सामने इस बात का दंभ भरा था कि खाद्यान्न, दही, लस्सी औरछाछ जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन 2022 में उन्होंने उन्हीं वस्तुओं पर जीएसटी लगा दी। और हर बार की तरह जब पकड़े गए तो ठीकरा राज्य सरकारों के सिर परफोड़ दिया। आपकी जानकारी के लिए 2 बातें बताना ज़रूरी है

पहला निर्मला सीतारमण जी ने साफ़ झूठ बोला राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने लिखित में जीएसटी काउन्सिल की बैठक में टैक्स लगाने का विरोध किया था। दूसरा, जीएसटी काउन्सिल में केंद्र सरकार के पास 33 प्रतिशत वोट होता है और प्रत्येक राज्य के पासमात्र 2 प्रतिशत तो किसी भी राज्य को टैक्स के निर्णय का विरोध करने के लिए या तो केंद्र सरकार नहीं तो 25 राज्य सरकारों का साथ चाहिए होता है। पर 25 में से 19 तो भाजपा शासित हैं। तो एक बात साफ़ है- दाम बढ़ाने का निर्णय भाजपा सरकारों और केंद्र सरकार के कारण हुआ है। महंगाई पर संसद में मंत्री कहते हैं फ्री फंड का खाना खिलवा रहे हैं दूसरे सदस्य कहते हैं बाजार में कहीं महंगाई है ही नहीं। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लोगों को राशन दिया जा रहा है वह जनता के पैसे से ही आता है न कि भाजपा कार्यालय से।  

उज्जवला का सच 4.5 करोड़ सिलेंडर नहीं भराए

राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा कि मोदी जी ने 2019 के चुनाव में लोगों से वोट लेने के लिए उज्ज्वला योजना का खूब प्रचार किया लेकिन चुनावों के तुरंत बाद उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए रसोई गैस पर सब्सिडी को ख़त्म कर दिया। रसोई गैस की कीमतों में दोगुनी से अधिक वृद्धि करके उसे 1,053-1200 रुपये प्रति सिलेंडर तक पहुंचा दिया और करोड़ों उपभोक्ता आज अपने खाली गैस सिलेंडर को फिर से भराने की स्थिति में नहीं हैं। क़रीब 4.5 करोड़ लोगों ने तो सिलेंडर भराया ही नहीं। मध्यम वर्ग भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ये उन तमाम मामलों में से सिर्फ़ दो ऐसे उदाहरण हैं जहां प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों का वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें धोखा दिया और फिर अपनी ‘‘डूब मरो” की विचारधारा का पालन करते हुए उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया। हर कीमत पर अपने खजाने को भरने की मोदी सरकार की हताशा ने उसे अप्रत्याशित ईंधन कर लगाने के लिए प्रेरित किया, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को और आघात पहुंचा है।

पेट्रोल डीज़ल – वैश्विक दाम कम- फिर हमारे दाम ज़्यादा क्यों….?

सुप्रिया श्रीनेत जी ने आगे कहा कि पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की वैश्विक कीमतें 2021-22 की तुलना में 2013-14 में बहुत अधिक थीं लेकिन उपभोक्ता आज एक लीटर ईंधन या एलपीजी सिलेंडर के लिए यूपीए शासन काल की तुलना में कहीं अधिक भुगतान कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मई 2014 में कच्चा तेल 106 डॉलर प्रति बैरल था उस समय पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल 55 रुपये प्रति लीटर था- आज अगस्त 2022 में कच्चा तेल 97.01 डॉलर प्रति बैरल है इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत 95-112 रुपये तक है। साथ ही डीजल की कीमत 90-100 रूपये तक है। एलपीजी वर्ष 2013-14 में 881 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी उस समय प्रति सिलेंडर 410 रुपये में मिल जाता था। आज अगस्त 2022 में एलपीजी की कीमत 670 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है दाम घटने के बावजूद प्रति सिलेंडर 1053-1240 रुपये का है।

कच्चे तेल और रसोई गैस की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें पिछले कुछ महीनों से कम हो रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। कोरोना काल में जब कच्चा तेल 20 डॉलर प्रति बैरलके नीचे था तब भी देशवासियों से टैक्स वसूली की जा रही थी। पर जब-जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में वृद्धि होती है तो मोदी सरकार पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को बढ़ाना कभी नहीं भूलती। वर्ष 2014 से अब तक केन्द्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी 13 बार बढ़ाई गयी है तथा 2 बार घटायी गयी है। 27 लाख करोड़ सरकार ने मुनाफा कमाया है जो राज्यों के साथ साझा नहीं हुआ। पहले राज्यों को तीन रूपया प्रतिलीटर टैक्स के रूप में मिलता था जो अब घट कर 57 पैसा प्रतिलीटर हो गया है। 72 हजार करोड़ टैक्स का राज्य सरकारों का केन्द्र पर बकाया है।

नोटबंदी और जीएसटी की मार, सरकारी कम्पनियों की अंधाधुंध सेल- रोज़गार बनाएगा कौन….?

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा कि मोदी सरकार की दिशाहीन नीतियों ने बेरोज़गारी की स्थिति को विनाशकारी मोड़ पर लाकर खड़ा करदिया है। नोटबंदी और जल्दबाज़ी में लागू की गई जीएसटी कर प्रणाली पहले ही अर्थव्यवस्था को बड़ा गहरा आघात पहुंचा चुकी थी, इस सबके ऊपर मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर रही है, उनका निजीकरण कर रही है और बहुमूल्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियाँ अपने पूंजीपति मित्रों को हस्तांतरित कर रही है। सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर 60 लाख पद खाली पड़े हैं। आज जब 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी है, सात वर्षो में 22 लाख आवेदन आये जिसमें सात लाख लोगों को ही नौकरी मिल सकी। 42 प्रतिशत लोगों ने नौकरी खोजना ही बंद कर दिया।

अग्निपथ का काला सच

उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना हमारे युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं के साथ तो खिलवाड़ करती ही है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक नया ख़तरा है। सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपने देश की सेवा करने का सपना देखने वाले युवकों और युवतियों को 4 साल के लिए संविदा आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें पेंशन या सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।

बेरोज़गारी से लाचार हैं युवा, हताश, निराश हैं

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा कि सरकार की इन विवेकहीन नीतियों के परिणाम विनाशकारी रहे हैं। लाखों युवा निराश होकर नौकरी के बाज़ार से बाहर हो गए हैं। इस पलायन के बावजूद 20 से 24 आयु वर्ग के 42 प्रतिशत युवा जो अब भी नौकरी की तलाश में हैं, वे बेरोज़गार हैं। इसी का नतीजा है कि पीएचडी और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्राप्त युवा भी चपरासी जैसे कम शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत वाले पदों के लिए आवेदन करने के लिए मजबूर हैं।

4 सितम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की ऐतिहासिक “महंगाई पर हल्ला बोल” रैली

अंत में सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस कठिन समय में लोगों के साथ खड़ी है। संसद से सड़क तक हमने मोदी सरकार की अक्षमता और उन दिशाहीन नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाई है जिनके कारण भारत में महंगाई और बेरोज़गारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जून 2021 से अब तक हमने सात राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। 5 अगस्त को देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके दौरान दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे राहुल गांधी सहित 60 से अधिक सांसदों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने सारा दिन अपनी हिरासत में रखा। प्रियंका गांधी के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती की गयी। उसके बाद आगामी रविवार यानि 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘‘महंगाई पर हल्ला बोल’’ रैली आयोजित कर रहें हैं।

हम मांग करते हैं कि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने और रोज़गार पैदा करने के अपने वादे को बिना विलम्ब के पूरा करे। हम सभी नागरिकों से आग्रह करते हैं कि जन-विरोधी और युवा-विरोधी इस सरकार की कुरीतियों के खिलाफ़ हमारे साथ आएँ।

उक्त प्रेसवार्ता में पूर्व मंत्री तथा उत्तर प्रदेश कांग्रेस मीडिया एवं कम्यूनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व विधायक सतीश अजमानी, महासचिव दिनेश सिंह, संगठन सचिव अनिल यादव, मीडिया संयोजक अशोक सिंह, ललन कुमार, अंशू अवस्थी, प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय, पंकज तिवारी, संजय सिंह, सचिन रावत, प्रियंका गुप्ता, आस्था तिवारी, प्रज्ञा सिंह, राकेश पाण्डेय आदि मौजूद रहे।