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उत्तर प्रदेश में विगत 05 वर्षाें के दौरान प्रदेश में 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। यह नदियां कभी उस क्षेत्र विशेष में कृषि उत्पादन की रीढ़ रही होंगी, लेकिन लापरवाही के कारण यह नदियां लुप्तप्राय सी हो गयी थीं। जन सहभागिता के माध्यम से ग्राम्य विकास और अन्य विभागों ने जल शक्ति विभाग के साथ मिलकर इनके पुनर्जीवन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। आज यह नदियां पुनर्जीवित हुई हैं।प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश व प्रदेश आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम मना रहा है। देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर यदि अलग-अलग क्षेत्रों के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में कार्य करते हुए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें तो इसके परिणाम हमारे सामने होंगे। प्रधानमंत्री जी ने अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रत्येक जनपद के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में 75-75 अमृत सरोवर बनाने का आह्वान किया था। यह प्रसन्नता का विषय है कि प्रदेश में अमृत सरोवर बनाने की प्रक्रिया तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। अब तक प्रदेश में कई अमृत सरोवर बनाये जा चुके हैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में यह कार्य स्वतः स्फूर्त भाव से होता हुआ दिखायी दे रहा है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए एक विशेष व्यवस्था बनायी है। इसके अन्तर्गत शहरी क्षेत्रों में एक विशेष क्षेत्रफल से अधिक के आवासों के निर्माण में तथा किसी भी सरकारी भवन के निर्माण हेतु रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता की गयी है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है कि राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) में यूपी ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके लिए भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग को सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि एनएचपी के तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की एजेंसियों ने उपलब्ध जल संसाधनों से संबंधित विभिन्न जानकारियों को एकीकृत कर भारत सरकार की डिजीटल इंडिया पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश के अंदर नदियों की पवित्रता की जब बात की जाती है तो हमने उन्हें मां जैसा पवित्र भाव दिया है। गंगा मईया के रूप में हमने भारत की सबसे पवित्र नदी को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि अनेक गांवों में मैं जब जाता हूं तो गांव के लोग पवित्र भाव के साथ गांव की गंगा कहकर उसे संबोधित करते हैं। गंगा ने भारत की ऋषि और कृषि दोनों परंपराओं का संवर्धन किया है और अमृत सरोवर जैसे कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं।पहले प्रदेश की जनसंख्या मात्र 6 करोड़ थी, आज 25 करोड़ है तो स्वाभाविक रूप से पेयजल, सिंचाई एवं अन्य औद्योगिक उत्पादन के लिए ज्यादा से ज्यादा भूगर्भीय जल का इस्तेमाल बढ़ गया है। लेकिन समस्या यह थी कि बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए भूगर्भीय जल संरक्षण को किसी अभियान से नहीं जोड़ पाए थे। इसलिए डार्क जोन, खारा पानी, आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या एक चुनौती रूप सामने खड़ी हो गई। इसको देखते हुए हम लोगों ने इसके प्रबंधन, संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्ययोजना बनाई। आज इसमें परिवर्तन देखने को मिल रहा है।


प्रदेश में विगत 17 जुलाई को प्रदेश के 10 जनपदों के 26 विकास खण्डों की 550 ग्राम पंचायतों में भूजल संरक्षण के लिए जागरूकता के एक विशेष अभियान को बढ़ाया गया। इसके लिए डिजिटल भूजल रथ यहां से प्रारम्भ हुए थे, जो उन जनपदों में जन जागरूकता प्रदान कर रहे हैं। यह रथ लोगों को जल की एक-एक बूंद के संरक्षण के लिए प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। अभी जल शक्ति मंत्री जी ने ‘खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़’ एवं ‘घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में’ इस पवित्र भाव के साथ जल संरक्षण के कार्य के प्रति जागरूक किया है। यदि हर व्यक्ति इसे मिशन भाव से लेकर जल की एक-एक बूंद की कीमत को समझने लगे, तो आने वाले समय में जीव सृष्टि तथा जन्तु सृष्टि के लिए किसी भी प्रकार का संकट खड़ा नहीं होगा। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों से आवश्यकतानुसार जल का उपयोग किये जाने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी को जल की एक-एक बूंद की कीमत को समझना होगा। पुराने सरोवर, तालाबों तथा कुओं को फिर से पुनर्जीवित करना होगा।इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। मुख्यमंत्री को पौधा व स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने भूजल एटलस का विमोचन भी किया। भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए उत्तर प्रदेश को दिया गया सम्मान चिन्ह को मुख्यमंत्री जी को सौंपा गया।इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ अधिकारी, स्वयं सहायता समूह के सदस्यगण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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