राजनीति के सूर्य हैं- “मुलायम”

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वर्तमान भारतीय राजनीति में मुलायम सिंह यादव जी से बड़ी कोई राजनैतिक शख्सियत नही है।नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के बाद यदि किसी को वर्तमान समय में “नेताजी” नाम से सम्बोधित किया जाता है तो वे मुलायम सिंह यादव जी ही हैं।नेताजी नाम से सम्बोधन आजाद हिन्द सेना के संस्थापक सुभाष बाबू को उनकी क्रांतिकारी छबि,लड़ाकू प्रबृत्ति और अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण मिला तो समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव जी को भी नेताजी की उपाधि कुछ ऐसे ही लड़ाकू,अक्खड़,सफल नेतृत्वकर्ता गुणों के कारण प्राप्त है।

नेताजी मुलायम सिंह यादव जी का अभ्युदय तो 1967 में विधायक बनने के साथ ही हो गया था लेकिन निखार 1977 के बाद आना शुरू हुआ जो 1989 में पूरे शबाब पर आ गया।1977 में सहकारिता मंत्री के रूप में सहकारिता आंदोलन में अमिट छाप छोड़ने के कारण नेताजी की गणना उत्तर प्रदेश के जुझारू नेताओं के रूप में होने लगी थी।1984 आते-आते नेताजी उत्तर प्रदेश की राजनीति के तत्कालीन सर्वश्रेष्ठ राजनेता चौधरी चरण सिंह जी के अति निकटस्थ और विश्वस्त लोगों की सूची में शामिल हो चुके थे।चौधरी साहब ने सरेआम मुलायम सिंह यादव जी को अपना उत्तराधिकारी और राजनैतिक वारिस घोषित कर दिया था।उन्होंने नेताजी को अपना दत्तक पुत्र मानकर अपने सारे राजनैतिक जमीन को उन्हें सौंप दिया था।

किसानो के लिए संघर्ष करने,अन्याय के समक्ष न झुकने व हर जुल्म-ज्यादती के बिरुद्ध डटकर खड़े रहने की खूबियों ने चौधरी साहब को इतना प्रभावित किया कि वे मुलायम सिंह यादव जी को यूपी का नेतृत्व सौंप डाले।नेताजी ने भी चौधरी साहब के सपनो को कभी धूमिल नही किया।उन्होंने संघर्ष को ही ओढ़ना-बिछौना बनाकर सदैव संघर्ष किया।किसानो की पीड़ा को अपनी पीड़ा माना।1988 का दौर जब चौधरी साहब मरणशैया पर लेटे हुए थे तो उनका यह दत्तक पुत्र चौधरी साहब के सपनो को मूर्त रूप देने के लिए संघर्षरत था।

“क्रांति रथ”के पहिये उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी जड़ सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए चल पड़े थे जिस पर क्रांति नायक मुलायम सिंह यादव जी सवार थे।एक बस को क्रांति रथ का नाम देकर मुलायम सिंह यादव जी पूरे उत्तर प्रदेश की धूल फांकने निकल पड़े थे।नेताजी ने इस क्रांति रथ से और कांग्रेस विरोधी लय तैयार कर दिया था उन्होंने,तभी बोफोर्स का नाम गूंजा और वीपी सिंह जी राजीव गांधी जी से बगावत कर कांग्रेस से बाहर आ गए।कभी वीपी सिंह जी द्वारा डकैत उन्मूलन के नाम पर निर्दोष लोगो के इनकाउंटर पर उनके बिरुद्ध जोरदार संघर्ष करने वाले मुलायम सिंह यादव जी को अब बदली राजनैतिक परिस्थितियों में उनके साथ कांग्रेसी सत्ता को उखाड़ फेंकने के संकल्प को पूर्ण करने हेतु सहयोगी होना पड़ा।

वीपी सिंह जी और मुलायम सिंह यादव जी के नेतृत्व में यूपी सहित पूरा देश अब कांग्रेस विरोधी मोर्चे में शामिल हो गया। लोकदल, जनता पार्टी आदि विभिन्न दलो को विलीन कर जनता दल बना और जनता दल ने गैर कांग्रेस वादी राजनैतिक मुहिम को अंजाम देने के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया।1989 में कांग्रेसी सत्ता को सत्ता च्युत करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट हुआ और रैलियां शुरू हुयीं। इन रैलियों में मुलायम सिंह यादव जी का कांग्रेस विरोध और साम्प्रदायिकता विरोध यथावत कायम रहा।जनता दल और भाजपा का गठबंधन केंद्रीय स्तर पर रहा लेकिन सूबाई स्तर पर मुलायम सिंह यादव जी ने अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के कारण भाजपा से दूरी बनाये रखी और भाजपा से इतर रहते हुए यूपी में चुनाव लड़के सत्ता हासिल किया।

नेताजी ने बिना भाजपा से समर्थन लिए 1989 में सरकार बनाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर देश में गैर कांग्रेसवाद के साथ ही साथ धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को मजबूत बनाया।पूरे प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी ने साम्प्रदायिक सद्भावना रैलियां की और फिर लखनऊ में लेमार्टनीयर मैदान में बेमिशाल विशाल साम्प्रदायिक सद्भावना रैला कर पूरे देश को अपनी अतुलनीय शक्ति को प्रदर्शित कर पहली बार राष्ट्रीय राजनैतिक क्षितिज पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी।यूपी की सत्ता संभालने के बाद मुलायम सिंह यादव जी ने दवाई-पढ़ाई माफ़ की।पीसीएएस में हिंदी को स्वीकार कर किसानो के बेटों को अधिकारी बनने का अवसर दिया।किसानो का कर्जा माफ़ किया।

बड़े पैमाने पर बूढ़ो और विधवाओं को पेंशन दिया।किसान दुर्घटना और कन्या विद्याधन दिया।मण्डल कमीशन की सिफारिशों को लागू किया तो SC/ST का कोटा 22.5 % पूर्ण रूप से प्रदान किया।पंचायतो में प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक की कुर्सी पर SC/ST/OBC सहित सभी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण दिया।यूपी मुलायम सिंह यादव जी के नेतृत्व में एक नए विहान की तरफ अग्रसर हुआ।मुलायम सिंह यादव जी के उत्तर प्रदेश की राजनीति में बलशाली बनने के बाद केंद्रीय सत्ता को हासिल करने के लिए छटपटा रही भारतीय जनता पार्टी ने हिंदुत्व के मुद्दे को खूब उछाला लेकिन नेताजी ने फौलाद बनकर उनके मंसूबो को चकनाचूर किया।

1991 के समय तो धर्मनिरपेक्षता के लिए उन्हें खुद की आत्माहुति तक देनी पड़ी।वे इतने अलोकप्रिय हुए कि उन्हें प्रदेश में महज दो दर्जन सीटों तक सिमटना पड़ा। उन्हें अपनों ने ही मुल्ला मुलायम, मौलाना मुलायम, बाबर की औलाद तक कह डाला लेकिन वे सैद्धांतिक धरातल को छोड़े नही।अलोकप्रियता के दंश को झेल गए पर उन्होंने वैचारिक प्रतिबद्धता पर आंच नही आने दी।विवादित बाबरी मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ने वाले मारे गए लेकिन मुलायम सिंह यादव जी देश के संविधान,सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश,राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दिए गए अपने वचन के निर्वाह हेतु मुलायम नही पड़े बल्कि अत्यंत कठोर बने रहे और कानून को तोड़ने वालो को जमींदोज किया और बाबरी मस्जिद जमींदोज करने की मंशा को फलीभूत नही होने दिया।

देश के रक्षा मंत्री बने मुलायम सिंह यादव जी ने जब उत्तर प्रदेश से बाहर देश की राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने वहां भी अपना लोहा मनवा लिया तथा सेना के इतिहास में वे एक अविस्मरणीय रक्षा मंत्री के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिए।सीमा पर शहीद होने वाले प्रत्येक सैनिक की डेड बॉडी उसके घर लाने का कानून मुलायम सिंह यादव जी ने ही बनाया वरना उसके पहले हमारे शहीद सैनिक की उसके शहादत के बाद उसकी टोपी उसके घर आती थी।

नेताजी ने शहीद सैनिक की शहादत के बाद उन्हें दस लाख रूपये देने का प्राविधान किया जिसकी नकल करते हुए उनके बेटे अखिलेश यादव जी ने अपने प्रदेश के शहीद सैनिक को अलग से बीस लाख रूपये देने की शुरुवात की है।नेताजी ने सेना में हिंदी को सम्मान दिलाया तो हिमालय की सबसे ऊँची और बर्फीली चोटी पर धोती-कुरता पहन करके जा पँहुचे और सैनिको की हौसला आफजाई किये।नेताजी की मौजूदगी में जब पाकिस्तानी तोपो ने सीज फायर का उल्लंघन करते हुए गोले दागे तो नेताजी ने भारतीय सैनिको से पूछा कि ये कैसी आवाजें हैं?सैनिको ने जब बताया कि पाकिस्तानी तोपें गोले दाग रही हैं तो नेताजी ने पूछा था कि फिर हमारी तोपें क्यों खामोश है?

सैनिको ने जब जबाब दिया कि ऊपर से अनुमति नही है तो नेताजी ने कहा था कि आन स्पॉट खड़ा देश का रक्षा मंत्री आदेश देता है कि हमारी सेना भी जबाबी कार्यवाही करे, फिर क्या पाकिस्तान के दर्जनों बंकर ध्वस्त हो गए थे।ऐसा सर्जिकल स्ट्राईक जिसमे खुद रक्षा मंत्री आन स्पॉट मौजूद रहे न हुवा है और न होगा।ऐसे अद्भुत नेतृत्व क्षमता के मुलायम सिंह यादव जी युद्ध समर्थक नही हैं, पाकिस्तान विरोधी भी नही है क्योंकि समाजवादियो की स्पष्ट राय है कि भारत,पाकिस्तान और बंगला देश का महासंघ बनना चाहिए क्योंकि ये अखण्ड भारत के हिस्सा हैं, आज भले ही अलग-अलग हैं।

मुलायम सिंह यादव जी की स्पष्ट मान्यता है कि हमे पाकिस्तान और बंगला देश से बेहतर रिश्ते बनाने चाहिए लेकिन यदि वे युद्ध की स्थिति पैदा करते हैं तो युद्ध भारत की धरती पर नही वरन पाकिस्तान या बंगला देश की धरती पर होगा।अपनी लम्बी और अमिट राजनैतिक पारी जारी रखने वाले समाजवादी महानायक श्री मुलायम सिंह यादव जी ने न रहने पर देश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति में एकाएक वैक्यूम न हो जाये इसके लिए अपने सर्वगुण सम्पन्न युवा बेटे एवं विकास के अग्रणी जननायक श्री अखिलेश यादव जी को संघर्ष की भट्ठी में तपा के देश को समर्पित कर दिया है।

मुलायम सिंह यादव जी 22 नवम्बर 1939 में सैफई,इटावा में जन्म लेकर देश को अनवरत दिशा दे रहे हैं।देश का जर्रा-जर्रा मुलायम सिंह यादव जी के दीर्घायु जीवन की कामना करता है।समाजवादी सोच के लोग माननीय मुलायम जी को “सूर्य” सा तेजवान, प्रकाशवान, ऊर्जावान बने रहने की कामना करते हैं।