अजमेर प्रशासन से न कांग्रेसी खुश न भाजपाई

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नसीराबाद के लवेरा में चार युवकों की मौत के बाद भी प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई-पूर्व डीजे किशन गुर्जर। अजमेर प्रशासन से न कांग्रेसी खुश, न भाजपाई।तो क्या प्रशासन के रवैए से सरकार की छवि खराब हो रही है…?

एस0 पी0 मित्तल

भाजपा विपक्ष में है, इसलिए अजमेर जिला प्रशासन से न खुश होना स्वाभाविक है, लेकिन यदि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी प्रशासन के रूखे रवैए पर कलेक्टर अंशदीप के खिलाफ निंदा प्रस्ताव स्वीकार करवाने की मांग करें तो फिर प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठता है। विगत दिनों सांसद भागीरथ चौधरी और विधायक वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में पार्षदों और भाजपा नेताओं का एक शिष्टमंडल कलेक्टर अंशदीप से मिलने गया तो कलेक्टर ने सामान्य शिष्टाचार भी नहीं निभाया। विधायक देवनानी की उम्र 73 वर्ष है और सांसद चौधरी 60 के पार हैं, लेकिन फिर युवा अंशदीप ने कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे हुए ही ज्ञापन लिया। जबकि भाजपा के नेता खड़े होकर ज्ञापन दे रहे थे। यह माना कि अंशदीप कांग्रेस सरकार में कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना अंशदीप का संवैधानिक दायित्व है। यदि कोई अधिकारी अपने संवैधानिक दायित्व का भी निर्वाह नहीं करता है तो उसके मिजाज का अंदाजा लगाया जा सकता है।

आमतौर पर यह माना जाता है कि कलेक्टर की कुर्सी पर बैठा प्रशासन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार करता है। लेकिन अजमेर में तो कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष विजय जैन ही प्रशासन से खफा है। जैन ने 29 अगस्त को ग्रामीण ओलंपिक खेल समारोह का बहिष्कार कर अपनी नाराजगी जताई। कांग्रेस के नेता अब चाहते हैं कि कलेक्टर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा जाए। प्रशासन के रवैए से अजमेर कांग्रेस बुरी तरह खफा है। कांग्रेसियों की खुली नाराजगी से जाहिर है कि कांग्रेस के जिम्मेदार नेताओं के साथ कलेक्टर का सामान्य संवाद भी नहीं है। जब सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के साथ ऐसा व्यवहार है तो फिर आम जनता के साथ किए जाने वाले व्यवहार का अंदाजा लगाया जा सकता है।

लवेरा में भी नहीं दिखाई गंभीरता-

हाल ही में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए अजमेर के किशन गुर्जर का भी मानना है कि गत 28 अगस्त को नसीराबाद के लवेरा गांव में हुए चार युवकों की मौत के मामले में भी अजमेर प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई है। खेत में बने पानी के हौद में दम घुटने से चार युवकों की मौत हो गई थी। लोगों की नाराजगी के बाद कलेक्टर अंशदीप लवेरा गांव आए। पूर्व डीजे गुर्जर का कहना है कि कलेक्टर को इस बात की जांच करवानी चाहिए थी कि पानी के हौद में चार युवकों की मौत कैसे हो गई, लेकिन मौतों के बाद भी हौद को यूं ही छोड़ दिया गया। यही वजह रही कि 30 अगस्त को नसीराबाद के श्रीनगर के थानाधिकारी गणपत सिंह हौद को देखने गए तो तबीयत खराब हो गई। थानाधिकारी ने सिर्फ झुक कर हौद को देखा था।

यह तो अच्छा हुआ कि गोपाल और सुखदेव नाम के दो युवकों को जल्दी से हौद से बाहर निकाल लिया गया। अन्यथा 30 अगस्त को भी दो और युवकों का हौद में दम घुट जाता। 30 अगस्त को थानाधिकारी के साथ जाने वाले एक सिपाही को भी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। गुर्जर ने कहा कि 28 अगस्त को घटना वाले दिन ही मैंने प्रशासन को चेता दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन ने हौद को अपने कब्जे में नहीं लिया। प्रशासन को विशेषज्ञों को भेज कर हौद की सही स्थिति का पता लगाना चाहिए था, लेकिन मौत के हौद को प्रशासन ने यूं ही छोड़ रखा है। यह माना कि पानी का हौद निजी खेत में बना हुआ है, लेकिन चार युवकों की मौत के बाद तो प्रशासन को हौद की सुध लेनी चाहिए। गुर्जर का कहना है कि एक साथ चार युवकों की मौत से गुर्जर समाज में मातम का माहौल है। एक युवक हेमानाथ (महेंद्र सिंह) तो पुष्कर स्थित देवनारायण मंदिर का भावी महंत था।