अब आधार से जुड़ेगा जन्म और मृत्यु का डेटा

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अजय सिंह

देश में आये दिन आधार कार्ड का इस्तेमाल लगभग सभी कार्यो में हो रहा है. हर जगह आपके प्राइमरी डॉक्यूमेंट में आधार को सबसे पहले माँगा जाता है. जिसके कारण आधार का दुरुपयोग काफी हद तक बढ़ गया है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति जो भारत का निवासी है, बिना किसी लिंग भेद के आधार कार्ड के लिए नामांकन करवा सकता है.

आपको बता दे कि यूआईडीएआई ने जन्म और मृत्यु के डेटा को आधार से जोड़ने का फैसला लिया है. नवजात शिशु को अस्थाई आधार नंबर जारी किया जाएगा, बाद में इसे बायोमीट्रिक डेटा के साथ अपग्रेड किया जाएगा. साथ ही मृत्यु के पंजीकरण के रेकॉर्ड को भी आधार के साथ जोड़ा जाएगा, ताकि इन नंबर के दुरुपयोग को रोका जा सके. यानी आधार में अब हर व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के आंकड़े जोड़े जाएंगे. इसके लिए जल्दी ही 2 पायलट प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी है. आधार को 2010 में लॉन्च किया था और देश की लगभग पूरी वयस्क आबादी को इसमें एनरॉल किया जा चुका है.

UIDAI के एक अधिकारी ने कहा कि जन्म के साथ ही आधार नंबर अलॉट करने से यह सुनिश्चित होगा कि बच्चे और परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. इससे कोई भी सामाजिक सुरक्षा के लाभ से वंचित नहीं रहेगा. इसी तरह मृत्यु के डेटा से आधार को जोड़ने से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा. अभी ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमें लाभार्थी की मौत के बाद भी उसके आधार का इस्तेमाल हो रहा था. इसके लिए जल्दी ही 2 पायलट प्रोजेक्ट शुरू होंगे.

आधार नंबर को Driving License, PAN, Passport and Digilocker में स्टोर किए दूसरे दस्तावेजों के साथ क्रॉस चेक किया जाएगा. आधार नंबर को ड्राइविंग लाइसेंस के साथ क्रॉस वेरिफाई करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पहले से चल रहा है. जिससे सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान को रोका जा सके. पिछले 5 साल में 19.63 करोड़ नए आधार नंबर अलॉट किए हैं जबकि 52 करोड़ मौजूदा आधार नंबर को अपडेट किया है.

नवजात बच्चों को प्रॉविजनल आधार नंबर जारी करने का प्रावधान पहले से ही है. शहरों और राज्यों के जन्म पंजीकरण डेटाबेस के साथ डेटा को क्रॉस वेरिफाई किया जाएगा. साथ ही मृत्यु से जुड़े आंकड़ों के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों से डेटा मांगे जाएंगे, ताकि डुप्लिकेशन न हो. कोरोना महामारी में मृत्यु के बाद भी देखा जा रहा है कि उस व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ अभी भी मिल रहा है. जिन लोगों की हाल में मौत हुई है, उनकी पेंशन अब भी निकाली जा रही है. उन लोगों के आधार नंबर अब भी एक्टिव हैं.

क्या है डेटा

UID विभाग के एक सीनियर अधिकारी की माने तो अभी 5 साल के बच्चों का बायोमीट्रिक डेटा लिया जाता है. बच्चों के घर जाकर आधार टीम उनके बायोमीट्रिक डिटेल लेकर उन्हे परमानेंट आधार नंबर दे सकती है. बच्चे की उम्र 18 साल होने पर बायोमीट्रिक को फिर से रजिस्टर किया जाता है. आपको बता दे कि 5 से 18 साल की उम्र वाली 93 % आबादी का आधार रजिस्ट्रेशन है. जबकि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में यह संख्या केवल 25% है.

क्या है जीरो आधार

यूएआईडीएआई की जीरो आधार अलॉट करने की भी योजना है. इससे फर्जी आधार नंबर जेनरेट नहीं होगा. साथ ही एक व्यक्ति को एक से ज्यादा आधार नंबर अलॉट नहीं किए जा सकेंगे. जीरो आधार नंबर ऐसे लोगों को दिया जाता है जिनके पास जन्म, निवास या आय को कोई प्रमाण नहीं होता है. ऐसे व्यक्ति को आधार इंट्रोड्यूसर वेरिफाइड इलेक्ट्रॉनिक साइन के जरिए आधार इकोसिस्टम से इंट्रोड्यूस कराता है. इलेक्ट्रॉनिक साइन से यह पता चलेगा कि व्यक्ति जेनुइन है और देशभर में उनके द्वारा इंट्रोड्यूस किए लोगों के नंबर का वेरिफिकेशन किया जा सकता है.

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