अब पत्रावलियों में दोनों साइड में होगा प्रिंट-मुख्य सचिव

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स्वच्छ भारत मिशन के मूलमंत्र ‘Reduce, Reuse & Recycle’ के दृष्टिगत स्टेशनरी के मितव्ययिता पूर्वक उपयोग को बढ़ावा तथा अपशिष्ट को कम करके राजस्व की बचत व पर्यावरण संरक्षण हेतु मुख्य सचिव ने समस्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को जारी किये कड़े निर्देश।

लखनऊ। स्वच्छ भारत मिशन के मूलमंत्र ‘Reduce, Reuse & Recycle’ के दृष्टिगत स्टेशनरी के मितव्ययिता पूर्वक उपयोग को बढावा देने तथा अपशिष्ट को कम करके राजस्व की बचत के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश जारी किये है।अपने निर्देशों में उन्होंने कहा है कि उनके समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली पत्रावलियों, प्रस्तुतीकरण, कार्यवृत्त, आलेख्य आदि में प्रायः मात्र एक साइड में ही प्रिंट किया जा रहा है, जिससे स्टेशनरी का न केवल अनावश्यक दुरुपयोग होता है, बल्कि इससे पेड़ों के कटने से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है एवं कूड़े की मात्रा बढ़ती है। उन्होंने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से अधीनस्थ समस्त विभागाध्यक्षों एवं कार्यालयाध्यक्षों से अपेक्षा की है कि पत्रावली/पत्राचार करते समय आवश्यकतानुसार कागज के दोनों साइड का उपयोग प्रिटिंग में किया जाए। बैठक से पूर्व एजेंडा की सॉफ्ट कॉपी सभी संबंधितो को भेज दी जाये। अलग से हार्ड कापी दिये जाने की कदाचित् आवश्यकता नहीं है। 

इसके अतिरिक्त यथासंभव एजेंडे की केवल कुछ ही प्रतियां कागज के दोनों साइड प्रिंट की जाएं, जिसे अभिलेख के तौर पर पत्रावली में रखा जाये एवं बैठक में आवश्यकतानुसार कुछ लोगों को ही उसकी दोनों साइड पर छपी प्रतियां उपयोग हेतु दी जायें। एजेंडा बिन्दु के ऊपर प्लास्टिक कवर अथवा प्रस्तुतिकरण को प्लास्टिक फोल्डर में देने की कोई आवश्यकता नहीं है, इससे अनावश्यक रूप से प्लास्टिक का प्रचलन बढ़ता है।अपने निर्देशों में उन्होंने यह भी कहा है कि बैठक में अलग से पेपर, पेन, नोट पैड इत्यादि देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि बैठक में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपना पेन, नोट पैड इत्यादि साथ लेकर आता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें भी प्लास्टिक फोल्डर या स्टेशनरी नहीं दी जाये।

         कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिवों को भेजे गये निर्देशों में उन्होंने उक्त निर्देशों के प्रति अधीनस्थ में जागरुकता का सृजन करके मितव्ययितापूर्वक उपयोग को बढ़ावा देकर तथा अपशिष्ट को कम करके राजस्व की बचत के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में सतत योगदान की अपेक्षा करते हुए उक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन एवं अनुश्रवण सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है।