अब खेला होगा….

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नितेन्द्र वर्मा

तो भइया बिगुल बज चुका है । अब खेला होगा औ जम के होगा । महीने में पूरे हफ्ते भर का प्रोग्राम है । लेकिन ये जो रैली पे रोक लगा दिए हैं वो बहुतै गलत है भइया । मल्लब सरासर नाइंसाफ़ी है ।हाँ तो भइया कोरोना लाख कोशिश कर ले लेकिन चुनाव तो होगा । स्कूल बंद हुई जाये, कॉलेज बन्द हुई जाये, परीक्षा कैंसिल हुई जाये मल्लब दुनिया इधर की उधर हुई जाये लेकिन चुनाव हो के रहेगा । सही भी है इससे जनता का मन भी लगा रहता है । पार्टियों को भी खर्च करने का मौका मिल जाता है । वरना लाखों की भीड़ एक दिन, एक जगह, एक साथ कहाँ इकठ्ठा हो पाती है भला ।

जनता को भी एक दूसरे को जानने समझने का मौका मिल जाता है । छात्रों के पेपर भले धड़ल्ले से कैंसिल हो रहे हों लेकिन ये तो नेताओं का पेपर है ना । नेताओं का औ पूरे देश का फ्यूचर इसी पास टिका है । रैलियाँ पे रोक लगने से जनता बड़ी नाराज है । अब बताइये कोरोना काल में भी रैली नहीं होगी तो कब होगी । बंगाल चुनाव तो याद ही होंगे।ये मीडिया वाले भी सब मिले हुए हैं । एक तरफ तो बाजार में लोगों की भीड़ छाप देते हैं औ कहते हैं कि देखिये कउनो कोरोना गाइड लाइन फॉलो नहीं कर रहा है । उससे कई गुना ज्यादा भीड़ जब रैलियों में दिखती है तो उसको जनता का जोश औ नेताओं की जीत बताते हैं ।

इधर भाभी जी को कोरोना हो गया तो अखिलेश भैया पहिले ही ठंडे पड़ गए थे । प्रियंका दीदी का भी मन नहीं लग रहा था । बहन जी को तो वइसे भी ये सब पसन्द नहीं है । सो ये सब तो रैलियों से दूर ही थे । लेकिन कुछ लोग तो रैलियों के चक्कर में कोना कोना छान मारे । बीते दिनों में जितने फीते कट गए अगर उसी हिसाब से काम हो गए तो यकीन जानिए यूपी की जनता ही यूपी को नहीं पहचान पायेगी ।बाकी आप सब कमर कस लीजिये ….