अब बदल रही सीबीसीआईडी की तस्वीर!

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एकल नहीं टीम बनाकर निपटाई जाती विवेचनाएँ।अब बदल रही सीबीसीआईडी की तस्वीर…!

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार की सतर्कता से सीबीसीआईडी के कामकाज का ढर्रा ही बदल गया है। अब कोई इस मुगालते में नहीं रहे कि जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई तो वह ठंडे बस्ते में चली गई। सीबीआईसीडी के मुखिया महानिदेशक ने विवेचना एक अधिकारी से कराने के बजाए अब टीम से कराने का निर्णय लिया। अपर मुख्य सचिव गृह का सहयोग मिलने से सीबीसीआईडी मुखिया ने बड़ी संख्या में लंबित पड़ी विवेचनाओ को अभियान चलाकर जांचें निपटाया गया है। सीबीसीआईडी मुख्यालय में जांच दबाने वाले बाबूओं पर विशेष निगरानी रखा जा रही है। यही नहीं अब बगैर किसी कार्य के कोई व्यक्ति मुख्यालय में प्रवेश भी नहीं कर सकता है।


बीते दिनों अपर मुख्य सचिव गृह अवनीेश अवस्थी ने सीबीसीआईडी मुख्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान सीबीसीआईडी मुख्यालय की कार्यशैली बदलने का सच सामने आया। बताया गया है कि बड़ी घटना होने के बाद जैसे ही उसकी जांच सीबीआई को सौंपी जाती है। सीबीआई तुरंत ही मामले की जांच में सक्रिय हो जाती है। इसी प्रकार अब राज्य सरकार की जांच ऐजेंसी सीबीसीआईडी भी कुछ इसी तर्ज पर काम कर रहीं है। जांच की विवेचना के लिए पहले एक अधिकारी नियुक्त किया जाता है। सीबीसीआईडी के महानिदेशक ने इस व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए अब जांच के लिए टीम गठित कर जांच कराए जाने का निर्णय लिया है।


सीबीसीआईडी के महानिदेशक गोपाल लाल मीणा ने बताया कि सरकार की जीरों टॉलरेंस की नीति पर चलकर लंबित पुराने मामलों को अभियान चलाकर निस्तारित किया जा रहा है। सीबीसीआईडी के सभी सेक्टरों में जहां पहले सैकड़ों की संख्या में विवेचनाएं लंबित रहा करती थी, अब सभी सेक्टरों में इनकी संख्या काफी कम हो गई है। श्री मीणा ने बताया कि सीबीसीआईडी के सभी नौ सेक्टरों में विवेचनाओ की संख्या घटकर 106 रह गई है। उन्होंने बताया कि पहले कई मामलों में अभियोजन के लिए केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिलने से मामले पेंडिग रहते थे। इस संदर्भ में उन्होंने कई मामलो में अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर अभियोजन की संस्तुति दिलाने को आग्रह किया। इस कार्य में एसीएस होम का सहयोग मिलने से विवेचनाओं को पूरा करने में काफी सहयोग मिला। डीजी सीबीसीआईडी ने बताया कि कई जांचे घटना होने के काफी समय बाद सीबीसीआईडी को विवेचना के लिए दी जाती है। ऐसी घटनाओ के साक्ष्य एकत्रित करने में दिक्कते आती है। इसके बाद भी उपलब्ध साक्ष्यों और अभिलेखों के आधार पर पूरी पारदर्शिता के साथ विवेचना की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर निस्तारण किया जाता है। महानिदेशक के अथक प्रयास व नए कदम से सीबीसीआईडी की विश्वनीयता भी बढ़ी है।