अधिकारियों की करस्तानी

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तनवीर अहमद सिद्दीकी

सामाजिक कार्यकर्ता & आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने राजधानी लखनऊ में जिले के मुखिया जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की शिकायत  

लखनऊ।  सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीयूजी नंबरों पर सभी अधिकारियों को शिकायते सुनने और निस्तारण का सख्त निर्देश दिया है। लेकिन राजधानी में जिले के मुखिया  अभिषेक प्रकाश ने सीएम के आदेशों को ठेंगे पर रख लिया है। डीएम साहब केवल कार्यक्रमों में ही व्यवस्त रहा करते हैं। यदि कोई उनके व्हाट्सएप पर कोई शिकायत मैसेज करे तो ध्यान नहीं देते। यही नहीं फोन लगाते रहें, उठाने के लिए मानों बैन कर रखा गया हो। यही नहीं सरकारी लैंडलाइन नंबर भी मानों कार्यालय में सिर्फ अपने कामों के लिए रख दिया गया हो, आम जनों की शिकायते नहीं सुनी जाती। डीएम श्रीमान अभिषेक प्रकाश के इस कारनामे से परेशान होकर सामाजिक कार्यकर्ता & आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने सीएम योगी आदित्यनाथ,उत्तर प्रदेश के राज्यपाल व सभी उच्चाधिकारियों से शिकायत की है। साथ ही जांच कराकर सभी शिकायतों का तत्काल निस्तारण की मांग की है। 

अधिकारियों की करस्तानी

चिंताजनक बात है कि जब डीएम श्रीमान अभिषेक प्रकाश का रवैया ही इस तरह का लापरवाही भरा होगा तो उनके मातहत क्या करेंगे। जबकि सीएम योगी ने सभी उच्च अधिकारियों को आदेश दिया है कि वह सीयूजी नंबरों पर आने वाले फोन को खुद ही रिसीव करेंगे और समस्याओं का निस्तारण करेंगे। इसके बाद भी अधिकारी सीयूजी नंबरों पर पीड़ितों की शिकायतें नहीं सुनते हैं। यही वजह है कि सीएम योगी की मंशा प्राथमिकता पर शिकायतों का निस्तारण किया जाना फेल हो रहा है। अधिकारियों की करस्तानी के कारण सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। 

शिकायतों की बाढ़

सामाजिक कार्यकर्ता & आरटीआई एक्टिविस्ट श्री तनवीर अहमद सिद्दीकी का कहना है कि जिलाधिकारी लखनऊ श्रीमान अभिषेक प्रकाश प्रायः अपने सरकारी आवास पर एवं अपने कार्यालय में आम जनता की समस्याओं को सुनने के लिए मिलते नहीं हैं। जिलाधिकारी लखनऊ के सरकारी आवास पर आम जनता की कोई भी डाक रिसीव नहीं की जाती है। इस वजह से शहर में शिकायतों की बाढ़ आ गई है। यह बात अलग है कि बड़े कार्यक्रमों में शिरकत कर डीएम आदेश निर्देश देकर इतिश्री कर लेते हैं। समाजसेवी का आरोप है कि जिलाधिकारी द्वारा सरकारी लैंडलाइन फ़ोन और मोबाइल फ़ोन पर कॉल करने पर भी आम जनता की शिकायतें ग्रहण नहीं की जाती है। सरकारी लैंडलाइन फ़ोन पर कॉल करने पर बहानेबाजी की जाती है।

बंद ही रहता है फोन

समाजसेवी का आरोप है कि सरकारी सी.यू.जी. मोबाइल फ़ोन नंबर 9454417557 अधिकतर बंद ही रहता है और दूसरे सरकारी सी.यू.जी. मोबाइल फ़ोन नंबर 9415005000 पर कभी कॉल रिसीव ही नहीं की जाती है। व्हाट्सएप एवं एस.एम.एस. से भेजी गयी शिकायतों का कोई भी संज्ञान नहीं लिया जाता है। यही नहीं ई-मेल आई.डी. [email protected]   [email protected] पर भेजी गयी शिकायतों का संज्ञान लेकर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है और शिकायतकर्ता को शिकायत-निस्तारण के सम्बन्ध में ई-मेल या डाक द्वारा कोई भी सूचना नही दी जाती है। हैरान करने वाली बात है कि सरकार सीयूजी नंबरों पर भी लाखों रुपए जनता के समाधान को लेकर खर्च कर रही। लेकिन अधिकारियों के द्वारा सीयूजी नंबरों का प्रयोग महज अपने लाभ के लिए किया जा रहा है। 

कब सुधरेंगे अफसर

योगी सरकार आए दिन अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर रहे हैं। समय समय पर बैठक कर चेतावनी भी जारी करते रहते हैं। लेकिन डीएम जैसे अहम पद बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की करस्तानी ही होश उड़ाने वाली है। ऐसे में शिकायतों का निस्तारण तो दूर कूड़ों की तरह इसका ढेर लगता जा रहा है। शिकायतों के निस्तारण को प्राथमिकता पर सुनिश्चित कराने को लेकर सीएम का निर्देश धरा का धरा रह गया है। सम्पूर्ण समाधान दिवस से लेकर हर शिकायतें अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। यदि अधिकारी ईमानदारी से अपने कामों को पूरा करें तो शायद पीड़ितों को दर दर भटकना नहीं पड़ता। कानून व्यवस्था भी अधिकारियों के लापरवाही की भेंट चढ़ता जा रहा है। जब तक कोई बड़ी घटना नहीं होती अधिकारियों की कुंभकरणी निंद्रा टूटने का नाम नहीं लेती। 

सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 का भी समय से नही करते है निस्तारण

सामाजिक कार्यकर्ता & आरटीआई एक्टिविस्ट  श्री तनवीर अहमद सिद्दीकी का यह भी कहना है कि जिलाधिकारी लखनऊ में आरटीआई का भी समय से नहीं करते निस्तारण और आरटीआई का निस्तारण समय से करने के लिए कार्यलय में नहीं मिलते है जन सूचना अधिकारी व प्रथम अपीलीय अधिकारी आरटीआई आवेदनकर्ता को मजबूरन उत्तर प्रदेश सूचना आयोग गोमती नगर लखनऊ में दर्ज करनी पडती अपील / शिकायत जो कि बडे अफ़सोस की बात है l